उसके दांत में कैविटी है, कल एक्सरे कराया था, डाक्टर आज आगे का इलाज बतायेंग. कल
से ही दर्द भी है, यह सब उसकी ही असावधानी के कारण है. खैर इलाज करने पर ठीक हो जायेगा.
आज भी वर्षा हो रही है. सुबह के आवश्यक कार्य हो चुके हैं, अब नन्हे को मदद करनी
है व जून के आने से दस मिनट पहले फुल्के सेंकने हैं. उन्हें भी सर्दी-जुकाम ने
परेशान किया है. कल घर से आने के बाद पहली बार लाइब्रेरी गयी, दो किताबें लीं जो
दस दिनों में वापस करनी होंगी वरना फाइन देना पड़ेगा. कल उस सखी में यहाँ भी गयी,
उसका छोटा-बेटा बिलकुल माँ पर गया है, छोटे-छोटे हाथ-पैर और लम्बी-लम्बी उँगलियाँ
बहुत अच्छी लग रही थीं. उसकी सास से भी पहली बार मिली. बड़ा बेटा बहुत एक्टिव हो
गया है. कल अंततः वह संगीत के लिए नहीं जा सकी, अब अगले सोमवार को जा पायेगी या
उससे भी अगले सोमवार को. आज सबह व्रत की महत्ता पर सुना, तो उसे लगा, पन्द्रह दिन
में एक बार उन्हें व्रत करना चाहिए, या फिर शुरुआत वे महीने में एक दिन पूर्णिमा
के व्रत से करते हैं. उसे अपने साथ जून को भी व्रत करवाने का ख्याल तो ऐसे आ रहा
है जैसे वह भी फौरन मान जायेंगे, क्योंकि उन्होंने सुख में, दुःख में, स्वास्थ्य
में, अस्वास्थ्य में, मृत्यु में, जीवन में यानि जीवन के हर क्षण में साथ निभाने
की कसम जो खायी है.
आज बहुत दिनों के बाद उसने ‘योगासन’ किये, फिर देह
का नाप लिया और अपने वस्त्रों को अपने अनुसार ठीक करने के बारे में निर्णय लिया.
गर्मी के मौसम में कुरते की बाहें यदि कोहनी से ऊपर हों तो सुविधा रहती है और सलवार
का पायंचा अगर पैरों में न फंसे तो चला कितना आसान. आज सुबह जून थोड़ा देर से उठे,
पर समय पर ही दफ्तर जा पाए. उसकी नासिका में हल्की सी सुरसुरी लग रही है, कहीं यह
आने वाले दिनों में होने वाले उपद्रव की शुरुआत के संकेत तो नहीं. कल एक मित्र परिवार
को लंच पर बुलाया था, वे कल ही घर से आये थे, सो सारी सुबह उसी में व्यस्त रही,
दोपहर नन्हे को पढ़ाने में, पढ़ता तो वह खुद ही है बस उसे उस पर नजर रखनी पडती है,
शाम जून के साथ. कल स्पीकिंग ट्री में sub-conscious mind पर कई बातें पढ़ीं. किसी
के सोचने का नजरिया ही उसके आने वाले कल को निर्धारित करता है. यदि उनके विचार
अच्छे होंगे तो कल भी अच्छा होगा. अभी एक सखी का फोन आया उसने बताया केन्द्रीय
विद्यालय में कल ‘वाक इन इंटरव्यू’ है, उसका पिछला अनुभव देखते हुए इस विषय में
बात करना या सोचना भी भूल होगी.
कल जून ने डेंटिस्ट से बात की, वह उसके दांत का rct
करने को राजी हो गये. वे दोपहर साढ़े बारह बजे अस्पताल गये और पौने एक बजे डाक्टर
आये, उसे लोकल anesthesia के तीन इंजेक्शन दिए. थोड़ी ही देर में दायाँ गाल सुन्न
हो गया लगा जैसे गाल फूल गया हो. जून उसे छोड़कर चले गये. पन्द्रह-बीस मिनट बाद ही
इलाज शुरू हुआ जो आधा घंटा चला होगा. डाक्टर बार-बार उसे मुँह खोलने के लिए कहते
रहे, जितना हो सकता था उतना उसने खोला पर पीछे का दांत होने के कारण शायद उन्हें
देखने में परेशानी हो रही थी. न उसे वहाँ दर्द का अहसास हुआ न घर आकर ही, लेकिन
मुँह में उस दवा का स्वाद लगातार बना हुआ है जो कैविटी में भरकर उस पर रुई लगा दी
है. जून कहते हैं उन्हें दवा के कारण कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि दर्द बहुत हुआ
था. उन्हें बहुत अजीब लग रहा था कि वह दवा के कारण कुछ कहा खा नहीं रही है पर बाद
में वह उसकी हालत समझ गये. आज सुबह ससुराल से फोन आया उन्होंने माँ के स्वास्थ्य
के बारे में नूना के पिता को फोन किया था. कल एक परिचित का फोन आया उनकी कक्षा नौ
में पढने वाली बेटी हिंदी व्याकरण पढ़ना चाहती है, उसने मंगलवार से आने के लिये कह दिया
है. व्यस्त रहकर शायद वह rct का ज्यादा असर नहीं ले, जून ने आज कहा यह तो छोटी सी
समस्या है, कइयों को तो इससे कहीं ज्यादा तकलीफ होती है. Living 7 Habits में ही
कल पढ़ा कैंसर के बावजूद कुछ लोग जिंदगी से मुंह नहीं मोड़ते सो अगर उसके मुंह में
दवा का टेस्ट है तो यह कोई चिंता की बात नहीं !
अच्छा लग रहा है कि वो सामन्य होती जा रही है! मुझे अभी बुधवार तक का समय चाहिये सामान्य होने में. कल फिर बाहर निकलना है! उसके माध्यम से मुझे अपनी पत्नी की मन:स्थिति समझने का भी अवसर मिल रहा है!
ReplyDeleteमेरी पत्नी भी व्रत रखती हैं, लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि मैं भी रखूँ क्योंकि मैंने सुख-दु:ख में उनका साथ देने का वादा किया है!
दाँतों का दर्द और ईलाज दोनों पीड़ा दायक हैं! जल्दी सब ठीक हो!
स्वागत व आभार ...
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