जून को सम्भवतः सोमवार को मुम्बई जाना पड़े, एक सप्ताह नन्हा और
उसे अकेले रहना पड़ेगा, अपने स्वार्थ के कारण नूना ने कहा, भगवान करे ट्रिप कैंसिल
हो जाये पर अब वह ऐसा नहीं चाहती यदि जून का जाना आवश्यक है, कम्पनी का लाभ है तो
उन्हें वहाँ अवश्य जाना चाहिए.
जून कल चले गये, कल रात उनका
फोन काफी देर से आया, वह कुछ देर पूर्व ही सोयी थी, पर नींद गहरी नहीं थी, जून के
बिना पहली रात को ऐसा ही होता है, बाहर का गेट, गैराज का गेट और बरामदे का गेट बंद
करके भीतर आकर दरवाजा बंद करते करते एक ख्याल कहीं न कहीं से आ जाता है सब ताले
ठीक से लग गये न. नन्हा आज स्कूल से देर से आने वाला है, उसके पास आठ घंटे हैं जिन्हें
उसे व्यवस्थित ढंग से बिताना है. मौसम ठंडा है, गर्मियों में ऐसा मौसम रहे तो
गर्मी का अहसास ही नहीं होता. कल शाम वह अकेले टहलने गयी. जून के न रहने से इस बार
उसे उदासी का ज्यादा अहसास हो रहा है, ज्यों-ज्यों उनका साथ बढ़ता जा रहा है,
निकटता भी बढ़ रही है, उनका एकनिष्ठ स्नेह नूना को अंदर तक भिगो गया है. she loves him
and misses him ! लेकिन वह उदास नहीं है, साधक कभी उदास नहीं होता, उसे अपनी भावनाओं
को उचित दिशा देनी होगी, ढेर सारे काम भी हैं. पत्र लिखने हैं, सिलाई करनी है और
दोपहर को संगीत क्लास में भी जाना है.
कल शाम उसने नन्हे के स्कूल
में बितायी, बच्चे बड़े उत्साह से अपने-अपने प्रोजेक्ट के बारे में बता रहे थे.
नन्हा भी खुश था. सुबह एक सखी से बात हुई, वह अपने पुत्र के भविष्य की बारे में
उसी तरह चिंतित थी जैसे जून के एक मित्र अपने पुत्र के भविष्य के बारे में, लेकिन
उसे नन्हे के भविष्य के बारे में चिंता करने की आवश्यकता महसूस नहीं होती न ही जून
को. उसे समझाना, रास्ता दिखाना उनका काम है लेकिन वह कौन सा रास्ता चुनेगा यह समय
स्वयं बतायेगा. आज उन्हें दो मित्रों के यहाँ जन्मदिन और विवाह की वर्षगाँठ के लिए
जाना है. दोनों के यहाँ से निमन्त्रण आया है, इसके अलावा तीन और सखियों से बात हुई,
एक महिला ने फोन पर पूछा उनके यहाँ सफाई कर्मचारी आया या नहीं, फिर स्कूल की एक टीचर
से बात हुई, स्कूल बंद हो गया है.. नन्हे के स्कूल की हेड मिस्ट्रेस से कल कुछ पल बात हुई. उसे लगा, इन सब बातों को
अगर ध्यान से देखें, परखें तो पता चलता है मूलतः सभी इन्सान एक हैं, सभी के कुछ
आदर्श हैं, कुछ इच्छाएं हैं, कुछ सपने हैं और सभी उस पूर्णता की तलाश में हैं,
जिसे पाने के बाद कुछ पाना शेष नहीं रहता, जिसे जानने के बाद कुछ जानना शेष नहीं
रहता !
एक सुहानी सुबह ! वर्षा रुक
गयी है और अपना सुखद प्रभाव सब ओर छोड़ गयी है. सब कुछ धुला-धुला और शीतल प्रतीत हो
रहा है. पंछी नहा धोकर चहक रहे हैं. नन्हा स्कूल गया तो वह कुछ देर बगीचे में ही
टहलती रही. कल वे दोनों जगह गये, दोनों जगह सखियाँ थकी हुई लगीं, जबकि वह भीतर तक तरोताजा
महसूस कर रही थी. जून का फोन आया था, इस बार वह ढेर सारे उपहार लाने वाले हैं. पिछले
दिनों उसने एक किताब पढ़ी “speed post” जो बहुत रोचक और ज्ञान वर्धक भी है. लेखिका एक
संवेदनशील, समझदार और वात्सल्यमयी माँ है, उनके लिखने का तरीका और सोच भी उसे
अच्छी लगी. आज जागरण में भूत-प्रेतों के बाद गन्धर्वों के अस्तित्त्व के बारे में
बताया जा रहा है, उसे इन सब बातों में विश्वास नहीं है, उसे लगता है मनुष्यों को
ज्यादा प्रैक्टिकल होना चाहिए और जमीनी हकीकत से जुड़ा रहना चाहिए. मनुष्येतर जीवों
के बारे में जानकर या देवों की पूजा करके वे महान नहीं बन सकते. उसने टीवी ही बंद
कर दिया और सोचा कि उसे दिन भर में किये जाने वाले कार्यों की एक सूची ही बना लेनी
चाहिए लिखित नहीं तो मानसिक रूप से ही सही. जिस भाव के साथ उसने यह पेज खोला था वह
न जाने कहाँ चला गया है, भाव भी असम के मौसम की तरह हैं पल में धूप तो पल में
वर्षा, जैसे कल शाम हुआ.
कहते हैं कुछ दिनों की जुदाई रिश्तों में नयेपन की खोज के लिये ज़रूरी होती है और आत्मनिर्भर भी बनाती है एक दूसरे को. ये नहीं कि "बाहर का गेट, गैराज का गेट और बरामदे का गेट बंद करके भीतर आकर दरवाजा बंद करते करते एक ख्याल कहीं न कहीं से आ जाता है सब ताले ठीक से लग गये न" - कोई बहुत मुश्किल काम हैं, लेकिन उन्हें करने का मौक़ा तभी मिलता है जब दूसरा न हो.
ReplyDeleteबच्चों के भविष्य के बारे में मेरे विचार भी उससे मिलते जुलते हैं. मुझे वो बहुत कुछ मेरे जैसी ही लगती है. मैं भी अपनी बच्ची पर यह नहीं थोपना चाहता कि उसे मेरे लिये क्या बनना है... उसे अपने लिये जो बनना होगा वो समय के गर्भ में छिपा है.
जून बहुत से गिफ़्ट लाने वाले हैं ये अच्छी बात है. अक्सर ये छोटी बातें बहुर बड़ा असर पैदा करती हैं!!
सही कहा है आपने...अच्छी बातें सभी को समान रूप से अच्छी लग सकती हैं, यदि वे वास्तव में अच्छी हों...स्वागत व आभार !
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