Wednesday, January 2, 2013

सोवियत संघ - स्वप्न सरीखा


कल जून का जन्मदिन है, वह कार्ड तो पहले ही ले आयी थी, केक कल बनाएगी और उपहार ? उसके पिताजी ने अपने हाथों से बनाकर जन्मदिन का कार्ड भेजा है दामाद के लिए, एक गुलाब का फूल...बिलकुल वास्तविक लगता है. कल बेहद गर्मी थी वे खेलने गए पर टीटी हॉल में खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था, पसीना टपक रहा था, सो वे जल्दी लौट आए. गर्मी के कारण नन्हे का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है, उसे कोई भी अप्रिय गंध उबकाई ला देती है. उसके भी घुटने पर घमौरी से दाना निकल आया है. यहाँ जुलाई-अगस्त में गर्मी पडती है, जब सारे देश में सावन की फुहार बरसती है.
आज वे सभी बहुत प्रसन्न हैं, एक तो जन्मदिन, और दूसरे सुबह उठते ही रिमझिम वर्षा...कल स्वतंत्रता दिवस है. जून ने उनकी आगामी यात्रा के लिए कोलकाता मैसेज भेज दिया है, उनकी हवाई यात्रा के बाद वहाँ ट्रांजिट फ़्लैट में रुकना है, घर जाने का उत्साह तो है पर सफर में होने वाली दिक्कतों को देखते हुए डर भी लगता है. एसी में जाएँ या द्वितीय श्रेणी में, यह भी सोचने की बात है. आजकल वह मन्मथनाथ गुप्त की एक किताब पढ़ रही है, ‘आधी रात के अतिथि’, अच्छी है,

नन्हे ने छोटा सा झंडा बनाया है, उसे लेकर सुबह उत्साहित था, वह प्रधानमंत्री का भाषण सुनने में, अच्छा लगा पर पहले की उनकी स्पीच से कुछ कम...दोपहर बाद उन्होंने कैरम खेला. शाम को दो परिवार आए थे आजादी की सालगिरह की चाय पार्टी के लिए, कुल मिलाकर पन्द्रह अगस्त अच्छा गुजरा.

पिछले तीन दिन वह लिख नहीं पायी, वे घर पर ही रहे, कल खेलने गए, काफी रश था. उसके गले में हल्की खराश लगी तो एक अदरक का टुकड़ा मुँह में रख लिया, उसे इस तरह अदरक खाते देखकर जून को बहुत आश्चर्य होता है, उसे सब्जी में भी अदरक पसंद नहीं है. आज सुबह उठी तो धूप तेज थी पर अब बदली छा गयी है, कितनी जल्दी यहाँ का मौसम रंग बदलता है. आजकल वह सिवाय किताबें पढ़ने के खाली समय में और कुछ नहीं करती है जैसे हाथ का कोई काम..यहाँ तक कि खत लिखने का भी मूड नहीं था. फोन पर बात अब कुछ आसान हो गयी है.
सोवियत संघ में सत्ता परिवर्तन का प्रयास असफल हो गया है. गोर्बाचोव पुनः मास्को लौट आए हैं, और इसी के साथ ही जनशक्ति की महत्ता एक बार फिर स्थापित हो गयी है. आज की जनता जागरूक है उसे बहलाया नहीं जा सकता पहले की बात और थी.. गर्मी पिछले तीन दिनों से जारी है, चेहरे से पसीना सूखता ही नहीं. बेहद गर्मी...एसी होने के कारण ही वे इतने आराम से हैं नहीं तो उन दिनों की तरह बदहवास हो गए होते जिन दिनों एसी नहीं था. मगर एसी कितने लोगों के पास है, दूधवाला कह रहा था कि गांव में पंखा भी नहीं है.

कल शाम ...जून ने उसे सरप्राइज देने के लिए जो बात छुपाई थी उसे सुखद नहीं दुखद सरप्राइज अवश्य दे गयी, पहले उसने कहा था कि एसी के लिए पीएफ से लोन लेना पड़ा है, पर कल कहा नहीं, उतने पैसे पासबुक में ही थे. उसे खुद पर झुंझलाहट हुई, पैसे के मामले में उसे बहुत कम जानकारी है, घर के खर्च से लेकर कोई सामान खरीदना हो तो सारे निर्णय वही करता आया है, सो उसने कभी जानने की भी जरूरत महसूस नहीं की. एक तो यहाँ बाजार जाने का कोई साधन नहीं है, दूसरे सब सामान जब घर बैठे मिल जाता है तो ..
नन्हे की तबियत आज ठीक नहीं थी पर उसके मना करने पर भी वह स्कूल जाने की जिद कर रहा था कि उसका टेस्ट है, अभी इतना छोटा है और टेस्ट की कितनी चिंता है, सचमुच यह नई पीढ़ी उनसे बहुत आगे होगी, पता नहीं स्कूल में कैसे पढाई कर रहा होगा, जून की बायीं कलाई में दर्द है जैसे कुछ माह पहले उसे हुआ था, शायद टीटी खेलने के कारण.. उसने सोचा फोन करके पूछे...
छोटे-छोटे मसलों को वे कितना बड़ा बना लेते हैं...रात भर कैसे सपने आते रहे, क्या हो जाता है ऐसा कि स्नेह की उज्ज्वल धारा कहीं लुप्त हो जाती है. कल बाजार से आते वक्त जून बहुत तेज कार चला रहे थे, नन्हा और वह डर ही गए थे. नन्हा कितना परेशान था घर आकर...उसके कोमल दिमाग पर कितना बुरा असर पहुंचता होगा.








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