Saturday, January 12, 2013

वंशी की धुन



कांग्रेस आई को पंजाब के चुनावों में पूर्ण बहुमत मिला है. श्री बेअंत सिंह जी मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करेंगे. अच्छा है पंजाब में पुनः जनता का शासन होगा. आज पंजाबी दीदी ने नन्हे और उसे दोपहर को अपने घर बुलाया है, उन्हें कुछ पौध भी देनी है. आज नन्हे के टेस्ट के कारण कल शाम वे घर पर ही खेले, पहला गेम बैडमिंटन का वह अच्छा खेल पाती है पर उसके बाद इतना थक जाती है कि अक्सर जून दूसरा गेम आसानी से जीत जाते हैं. कल रात को एक टेलीफिल्म देखी, “टूटे पंख” रुला दिया जिसने, यूँ तो उसका दिल बहुत कमजोर है जरा सा दुःख देखते ही पिघल जाता है, सिर्फ दुःख ही क्यों कोई भी दिल को छूने वाली बात हो कि आँखें नम हो जाती हैं. हर रोज एक बार तो ऐसा होता ही है, आंसू बिलकुल तैयार रहते हैं. कोई कहानी पढ़े या कविता कोई भाव भरी बात नन्हे से हो या जून से, ऐसा ही होता है. फिर फिल्म में सुधा का अभिनय करने वाली कलाकार ने तो कईयों को रुलाया होगा. वह  उपेक्षित थी और यही दुःख उसे खा रहा था. प्यार न मिले कोई बात नहीं पर उपेक्षा का जहर बहुत दुखदायी होता है. किसी के अस्तित्त्व को नकारना, किसी के प्रति उदासीन रहना वह भी पति या पत्नी के सम्बन्धों में, सचमुच उसका दुःख बहुत बड़ा था. कितनी देर हो गयी है, खाना अभी तक नहीं बना है पर रोज की तरह, पिछले दो-तीन दिन की तरह कुछ पंक्तियाँ उसे लिखनी ही हैं-
बहुत दिन हुए उसके मन की धरती में
एक बीज बोया था किसी ने
प्रेम का बीज
और वह भूल गया
अब उस बीज में अंकुर फूटा है
नन्हीं-नन्हीं शाखाएँ निकलेगी
फिर पत्तियों और फूलों से भर जायेगा
उसके मन का आंगन...
जहां पक्षी कलरव करेंगे

आज शनिवार है, नन्हे का स्कूल बंद है, सारी सुबह उसके साथ खेलते-खिलाते, बतियाते  बीती. इसी कारण साढ़े दस बज गए हैं और उसका काम खत्म नहीं हुआ है, आज कुछ लिखना मुश्किल लगता है फ़िलहाल अभी तो. कल फिर इधर-उधर के कामों में वक्त गुजर गया. चिट्ठियों के जवाब देने थे, छोटी बहन, मंझले भाई, माँ तथा छोटी ननद को खत लिखे. पिछले हफ्ते भी उसने सात पत्र लिखे थे, तीन के जवाब आ चुके हैं. कल धूप थी आज फिर बादल हैं. आज कई सारे पुराने खत पढ़कर जला दिए, फुफेरे भाई के खत में लिखी एक कविता मिली पढ़कर लगता नहीं था कि उसने खुद लिखी है, शायद लिखी भी हो, बहुत अच्छी कविता है, उसने उसे जलाने से पहले डायरी में नोट कर लिया. इतवार रात को बड़ी भाभी का फोन आया, वह एक पल को तो घबरा ही गयी, पर उन्होंने ऐसे ही फोन किया था हाल-चाल जानने के लिए. कल क्लब में टीटी खेला पर अभ्यास छूट जाने के कारण ठीक से नहीं खेल पायी. टीवी पर दुर्गा खोटे पर एक कार्यक्रम देखा, बहुत अच्छा लगा और उनकी यह बात कि हर काम को पूरे मन से करना चाहिए चाहे वह कितना भी छोटा या बड़ा काम हो...यानि  श्रम का सम्मान..और कल सुबह एक महिला चित्रकार तथा कविताओं का संकलन “स्वांत सुखाय” वाली कुमुदनी जी से साक्षात्कार देखा. आजकल टीवी पर बहुत प्रेरणात्मक कार्यक्रम आ रहे हैं, बेहद अच्छे लगते हैं. मन को जैसे उत्साह से भर देते हैं, कुछ भी नहीं बदलता पर फिर भी मन में कहीं वंशी की धुन बजने लगती है. वह भी कुछ करे ऐसा मन होता है, पर ज्यादा कुछ कर नहीं पाती, दोपहर को कल नन्हे को सुलाते-सुलाते खुद भी सो गयी. सोने का मोह छोड़ना होगा, बस कभी-कभी सुबह का यह वक्त मिलता है, शाम को जून के आ जाने के बाद तो पता ही नहीं चलता समय कैसे बीत जाता है.




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