उल्फा लीडर भारत सरकार से बात करने के
पक्ष में नहीं हैं, भगवान जाने असम का भविष्य क्या होगा. कल सूजी व नारियल के
लड्डुओं के कारण वह कुछ ज्यादा नहीं लिख सकी, सो दिन भर बेचैनी सी रही, अजीब सी
बेचैनी, जैसे हरारत हो गयी हो. दोपहर को जून अभी घर पर ही थे, वह सो गयी, नन्हे ने
सब कुछ अपने आप किया, वह अब सचमुच बड़ा हो गया है, बहुत समझदार और बहुत प्यारी बातें
करता है. अपने आप होमवर्क करके खाना खाकर सोने चला गया.
कल शाम जून एक फिल्म का
कैसेट लाए थे, Hook इंडिया
टुडे में सुबह ही पढ़ा था उसके बारे में, कल्पना की उड़ान है पूरी फिल्म, अजीब-अजीब
से दृश्य जादू लोक में ले जाते हैं. अभी पूरी नहीं देखी उन्होंने, नन्हे को बहुत
अच्छी लग रही थी, पर सुबह स्कूल जाने से पहले बोला, उसे अंग्रेजी फिल्मों में या
तो कॉमेडी अच्छी लगती है या जेम्स बॉण्ड की फिल्म. बच्चे पिता को अपना आदर्श मानते
हैं, उसका अच्छा उदाहरण आजकल देखने को मिल रहा है, जून ने कुछ दिन पूर्व कहा कि वह
हर सब्जी में आलू क्यों डालती है, उसे आलू अच्छे नहीं लगते, और दो दिन बाद नन्हा भी
वही बात कह रहा है, जबकि आलू उसे बहुत पसंद थे. घर से पत्र आया है सासु माँ ने ननद
के लिए तकिये के गिलाफ, टीवी कवर, और मेजपोश बनाने के लिए कहा है, कल वे तिनसुकिया
जाकर कपड़ा लायेंगे, कल ही बाजार से वह
लक्ष्मी, उनकी नौकरानी के लिए ऊन लायी थी, पर पता नहीं उसे स्वेटर बनाना आता भी है
या नहीं.
आज पूरा दिन व्यवस्तता में
बीता. सुबह उसकी मित्र का फोन आया उनकी कार का छोटा सा एक्सीडेंट हो गया है, तिनसुकिया
जाकर विंड स्क्रीन बदलवानी पड़ेगी. दोपहर के भोजन के बाद वे तिनसुकिया गए, लौट कर
टीवी पर पहले बजट देखा, फिर शाम की फिल्म. डॉ मनमोहन सिंह ने कुशलता के साथ बजट पढ़ा
बीच-बीच में हँसाते भी रहे, पीवी नरसिंहाराव को एक अच्छे वित्त मंत्री मिल गये
हैं. उसने आज अपने केश भी कटवाए, जून को स्टाइल पसंद नहीं आया, चिढ़ाने लगे, कल फिर
जाना होगा, टीवी देखते-देखते और दिन में जरा भी आराम न होने के कारण वह थकी हुई तो
थी ही, उसे क्रोध आ गया पर हमेशा की तरह उनका
स्नेह, उनकी उदारता और मीठी-मीठी बातें..वह जल्दी ही हँसने लगी.
कल दोपहर उसकी असमिया सखी
अपने बेटे को जो नन्हे का हमउम्र है, छोड़ गयी फिर शाम को वे लोग उसे लेने आये.
दोनों बच्चों में बहुत दोस्ती है, मनोयोग से खेल खेलते हैं, कभी कुछ योजनायें बनाते हैं. शाम को वे सब क्लब गए,
टीटी खेला, पहले अभ्यास फिर दो गेम खेले.
आज भी आधा दिन टीवी के
नाम, “चाणक्य” और विश्वकप श्रंखला में भारत और आस्ट्रेलिया के बीच मैच देखने में,
भारत जीतते-जीतते... मात्र एक रन से हार गया. उसका मन उदासी से भर गया यह सोचकर कि
पूरे भारत में कितने ही व्यक्ति जो मैच देख रहे होंगे बेहद उदास महसूस कर रहे
होंगे. अब पाकिस्तान के साथ होगा अगला मैच उसे तो जीतना ही होगा. शाम को उन्हें पड़ोसी
के बेटे के जन्मदिन की पार्टी में जाना था, वहाँ कई लोगो से मुलाकत हुई कुछ परिचित
कुछ अपरिचित..रात को सोने की तैयारी करते-करते टीवी पर “मधुरिमा” देखा, भगवतीचरण
वर्मा के गीत तो बहुत सुंदर थे पर छायांकन अच्छा नहीं लगा सिर्फ एक गीत छोड़कर...’वह
एक छोटा सा विहग...अपनी उमंग में उमग’. ‘हम दीवानों की क्या हस्ती, मस्ती का आलम
छोड़ चले’...भी बहुत अच्छा गीत है, बहुत पहले उनके स्वर्गवास पर धर्मयुग में पढा था
उसने.
नन्हे का स्कूल शिवरात्रि
के कारण बंद था, उसके साथ क्रिकेट खेला, पहले क्लब, फिर उसके मित्र के यहाँ ले गयी
उसे. शाम को वे अपने एक परिचित परिवार में गए, शिवरात्रि का व्रत रखा था उन्होंने,
छोटा सा आपरेशन होना है पेट का गृहणी का, वैसे तो जरा-जरा सी बात पर घबरा जाती है
पर आज निर्भय लगी. घर आयी तो उसके पेट में हल्का दर्द हो रहा था, खाना बनाने का भी
मन नहीं कर रहा था, खिचड़ी बना दी उसने जो नन्हे और जून दोनों को पसंद है. फिर चुपचाप
बिस्तर में लेट कर ‘सरिता’ पढ़ती रही, सरिता के कुछ पुराने अंक पंजाबी दीदी ने दिए
हैं.
No comments:
Post a Comment