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Wednesday, September 4, 2024

शिव सूत्र


शिव सूत्र

कल उन्हें नन्हे के घर जाना है और वहाँ से उसके एक मित्र के यहाँ, उसका नया घर देखने; जहाँ गृहप्रवेश की पूजा का आयोजन किया गया है। नन्हा भी एक महीने के लिए किराए पर लिए घर में है, उनके ख़ुद के घर में रिनोवेशन का काम जो चल रहा है।किसी भी अन्य मूर्त या अमूर्त वस्तु की तरह एक घर को संभाल और संवार कर रखना इतना आसान तो नहीं है। इसके रख-रखाव का ध्यान रखना होता है ताकि लंबे समय तक यह सुंदर और सुरक्षित बना रहे। 


वे लोग कल दोपहर बारह बजे ‘सॉंग ऑफ़ साउथ’ पहुँचे, जो एक विशाल सोसाइटी है। वहाँ कई बड़े-बड़े लॉन तथा पार्किंग स्थल थे। उसमें बाहरवें टावर में सत्रहवीं मंज़िल पर मित्र का घर है। कुछ अन्य लोग तथा उसके भाई-भाभी व भतीजी पहले से ही वहाँ उपस्थित थे। सोसाइटी के क्लब हाउस में भोजन का इंतज़ाम किया गया था। पूजा सुबह ही हो चुकी थी। नन्हे ने बताया, कल रात एयरपोर्ट से भाई के परिवार को लाते समय मित्र की कार को एक प्राइवेट बस ने टक्कर लगायी, बाँयी तरफ़ का पिछला दरवाज़ा धँस गया, भाई वहाँ बैठे थे, पर सौभाग्य से उन्हें कोई चोट नहीं आयी।फ़ोन करके उसने नन्हे को बुलाया, वे सब उसकी कार में बैठ कर रात को एक बजे घर लौटे।


रात्रि के नौ बजे हैं। साढ़े नौ बजे गुरुजी की एबीसी टीम के साथ मीटिंग है।जिसमें सभी अनुवादकर्ताओं से चर्चा होगी और उन्हें दिशा निर्देश भी दिये जाएँगे।आज महिला दिवस के उपलक्ष्य में सोसाइटी में योग सत्र का आयोजन किया गया था। सुबह कई लोगों को महिला दिवस पर संदेश भेजे। पापाजी से बात हुई, उन्हें गुरुजी पर लिखी उसकी कहानी पसंद आयी। सुबह वे टहलने जाते हैं तो किसी न किसी सड़क पर सूखे पत्तों के ढेर पर सोया कुत्तों का परिवार भौंक कर अपनी नाराज़गी व्यक्त करता है, उनकी नींद में जैसे ख़लल पड़ गया हो। ‘देवों के देव’ में रावण का अहंकार टूटते देखा, जब शिव ने उससे कहा, भक्ति का अहंकार भक्त को डुबा देता है।रावण कितना बड़ा विद्वान था पर अपनी भक्ति और ज्ञान का गर्व उसे ले डूबा।


आज घर में पीछे आठ दिनों से चल रहा काम पूरा हो गया। सुबह साईं बाबा पर एक फ़िल्म देखनी आरंभ की थी, जो अभी उनके जन्म की कथा के साथ समाप्त होने वाली है। इस फ़िल्म में उनकी अद्भुत बाल लीलाएँ दिखायी गई हैं।यह भी दिखाया गया है कि देवत्व उन्हें जन्म से ही प्राप्त था, जिसे वह सहज ही प्रकट भी करते थे, जिसका जगत को सदा लाभ मिलता था और आज भी मिल रहा है। प्रेम और करुणा की मूर्ति थे, सेवा उनका सहज स्वभाव था। इतने वर्षों तक उनके बारे में कितनी अफ़वाहें भी प्रचलित हो गई हैं, कोई उन्हें जादूगर बताता है तो कोई फ्रॉड भी। सत्य क्या है, यह कौन जानता है। शायद सबका अपना-अपना सत्य है। आज दिन भर परमात्मा की कृपा का अहसास होता रहा, वही तो है सबका आधार ! संत कहते हैं, वह अपना आप ही तो है। वह तो सदा से ही था, अब उसकी प्रतीति अनायास ही रहने लगी है। 


आजकल एक विचित्र बात उसके साथ हो रही है।जो भी विचार मन में आता है, वह घट जाता है। उसके बिना कहे ही जून वैसा ही करने लगते हैं। उसकी छोटी-छोटी इच्छाएँ पूरी होती रहती हैं।इच्छा उसके लिए लाभप्रद है या नहीं इसका कोई भेद नहीं रहता। परमात्मा की शक्ति रहस्यमयी है। विचार ही वस्तु बन जाते है,  इसका  प्रत्यक्ष उदाहरण एक बार नहीं अनेक बार मिला है पिछले दिनों। आज दिन भर मन हल्का सा रहा है, मन के साथ तन में भी हल्कापन लग रहा है। नापा, उनकी सोसाइटी में शिवरात्रि की तैयारी चल रही है। मंदिर के रास्ते पर बिजली के बल्ब लगा दिये गये हैं, आगे एक तरफ़ तख़्त बिछाया  गया है, स्टेज जैसा, शायद बच्चे अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। आश्रम में गुरुजी द्वारा शिवसूत्र पर दो दिनों का व्याख्यान चल रहा है। अद्भुत है शिवसूत्र ! पहले उसने शिवसूत्र पर ओशो को व्याख्या भी सुनी थी।नन्हे के एक जूनियर साथी की यात्रा के दौरान हृदयाघात से मृत्यु हो गई, कुछ दिन पूर्व उसका तलाक़ हुआ था। लिवर व किडनी की भी समस्या थी। शायद अपने पापा से  उसका रिश्ता भी अच्छा न रहा हो, पिता ने उसकी माँ के न रहने पर दूसरा विवाह कर लिया था। कभी-कभी जीवन कितना विचित्र रूप लेकर आता है। एक परिचिता से पता चला, विवाह टूटने से वह अवसादग्रस्त था।उसके पिता बहुत दुखी हैं।  


आज शिवरात्रि है, वे कुछ देर पूर्व ही मंदिर से होकर आये हैं। बहुत भीड़ थी, बच्चे नृत्य के लिए तैयार थे। महिलाएँ श्लोक उच्चारण कर रही थीं। कुछ लोग खड़े थे। मंदिर में पुजारी पूजा कर रहा था। वे मास्क ले जाना भूल गये, सो जल्दी वापस लौट आये। कल सुबह एक मेडिकल कॉलेज में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने जाना है।साईं बाबा की किताब आगे पढ़ी, अनोखे व्यक्ति ?संत थे वे। संत व्यक्ति नहीं रह जाता, वह समष्टि से एक हो जाता है। उसके चमत्कारों से पुस्तक भरी पड़ी है।गुरु जी के पास रहने वाले भी कितने ही चमत्कारों का अनुभव करते हैं, उसने स्वयं भी अनेकों बार अनुभव किया है।आश्रम के सत्संगका टीवी पर प्रसारण देखा, आज चित्रा जी आयी हैं, जिनके सुमधुर भजन सुनकर मन मंत्रमुग्ध हो जाता है।