आज उसने सुना, “मन को बहते हुए पानी सा होना चाहिए,
जिसमें निरंतरता हो, सत्य हो, अगर मन रुके हुए पानी सा निष्क्रिय हो जाये तो ऊर्जा
चुक जाएगी. जहाँ से तन, मन तथा बुद्धि को सत्ता मिलती है, उस परमेश्वर का स्मरण
सदा बना रहे, कर्मों में योगबल बना रहे. कर्म बंधन स्वरूप न हों.” सुबह उठी तो कुछ
देर के लिए मन दुखाकार वृत्ति से एकाकार हो गया था पर शीघ्र ही सचेत हो गयी. ईश्वर
उसके साथ है. आज भी प्रकाशक महोदय से बात हुई, उन्होंने कविताएँ पढ़ीं, सराहा भी,
कुछ नये शीर्षक भी उन्होंने सुझाये, जिनमें से चुनकर दो भेजने हैं. आज भी वर्षा की
झड़ी लगी हुई है, रात भर बरसने के बाद भी वर्षा थमी नहीं है. कल दोपहर उनके बाएं
तरफ के पड़ोसी के यहाँ एक बीहू नृत्य और गायन मंडली आ गयी थी. शोर बहुत था, बिजली
भी नहीं थी, वह कुछ पंक्तियाँ ही लिख पायी. आज से दूसरी किताब के लिए कविताएँ टाइप
करने का कार्य आरम्भ करना है. एक सखी के लिए विवाह की वर्षगाँठ का कार्ड बनाना है तथा
एक कविता भी उसके लिए लिखनी है. आज नन्हे की सोशल की परीक्षा है जो अंतिम है.
हिंदी में वह पेपर समय पर पूरा नहीं कर पाया, उसे इन छुट्टियों में हिंदी तथा गणित
नियमित पढ़ाना होगा.
कर्म अपने अहम का पोषण न
करे, किसी को दुःख देने वाला न हो तो मुक्ति का कारण हो जाता है अथवा कर्म बंधन में
डालने वाला होगा. मनसा, वाचा, कर्मणा जो भी हो अंतरात्मा की प्रसन्नता के लिए हो न
कि अहम् को संतुष्ट करने के लिए. जीवन उस महान सूत्रधार का प्रतिबिम्ब हो, जीवन से
उसका परिचय मिले, जीवन उसका प्रतिबिम्ब हो. ऐसा करने के लिए मन को संयमित करना
होगा. कल शाम को Anthony Robinson की पुस्तक में भी इसी प्रकार के विचार पढ़े. यह
सब आचरण में उतरे तो यात्रा पूरी हो सकती है. कलाकार का दिल पाया है तो उसकी कीमत
भी चुकानी होगी. अपनी संवेदना को तीव्रतर करना होगा और भावनाओं को पुष्ट. चिन्तन
करते हुए दर्शन भी तलाशना होगा और यही अध्यात्म के मार्ग पर ले जायेगा, जो भीतर से
उपजेगा वही सार्थक होगा और सुंदर भी, वही शाश्वत भी होगा.
‘बीज बोते हुए सजग रहें तो
फल अपने आप सही आयेगा, कर्म करते समय सजग
रहें तो उसका फल अपने आप ही सही आएगा. नीम का बीज लगाकर कोई आम की आशा करे तो
मूर्ख ही कहायेगा, ऐसे ही कर्म यदि स्वार्थ हेतु, क्रोध भाव से किया गया हो तो
परिणाम दुखद ही होगा.’ आज बहुत दिनों बाद उसने गोयनका जी का प्रवचन सुना. आज नन्हे
का स्कूल ‘तिनसुकिया बंद’ के कारण बंद है. तिनसुकिया में सोनिया गाँधी चुनावी दौरे
पर आ रही हैं. सुबह-सुबह समाचारों में सुना काश्मीर में हिंसा बढ़ गयी है तथा असम
में उल्फा ने नेताओं व कार्यकर्ताओं पर आक्रमण तेज कर दिए हैं. इस बेमकसद हिंसा से
किसी का भी लाभ होने वाला नहीं है. श्रीलंका में सैकड़ों सैनिक अपनी जान दे रहे
हैं, अंतहीन लड़ाई जो जमीन के एक टुकड़े के लिए अपने ही देश के लोगों से लड़ी जा रही
है. कल शाम ‘बंदिनी’ फिल्म देखी. नूतन का अभिनय प्रभावशाली था. वह उसे सदा से
अच्छी लगती आयी है. आजकल उसका हृदय अलौकिक आनन्द से ओतप्रोत रहता है, उस ईश्वर की
स्मृति बनी रहती है. जिसका स्मरण ही इतना शांतिदायक है उसका साक्षात दर्शन या
अनुभव कितना मोहक होगा. लेकिन उस स्थिति को पाने के लिए अभी हृदय को विकारों से पूर्णतया
मुक्त करना होगा, शुद्ध, निष्पाप, पवित्र हृदय ही उसका अधिकारी है !
आज सुबह छोटी बहन से बात
की वह फिर कुछ परेशान थी, निकट के व्यक्ति को समझ पाना या समझा पाना भी कभी-कभी
कितना कठिन हो जाता है. उसने प्रार्थना की, ईश्वर उनके हृदयों में प्रेम उत्पन्न
करे. मानव तो निमित्त मात्र हैं, रक्षक तो वही है. वही उसे व उसके परिवार को
बुद्धियोग देगा. कल शाम उसने बैक डोर पड़ोसिन को पौधों के लिए फोन किया, वह घर पर
नहीं थी पर उसका संदेश उस तक पहुंच गया होगा क्योंकि अभी कुछ देर पूर्व ही उसने
माली की बेटी से कुछ पौधे भिजवाये हैं, कैसे न कहे कि वह उसकी सुनता है ! आठ बजने
को हैं अभी तक स्नान-ध्यान शेष है. सन्त वाणी में इतना रस आता है कि टीवी के सामने
से हटने का मन नहीं होता. मन उद्दात विचारों से भर जाता है, ईश्वर के निकट पहुंच
जाता है. नन्हे को कल कई बातें बतायीं, वह सुनता तो है पर महत्व नहीं समझता. वह भी उसकी उम्र में
ऐसी रही होगी. पर ईश्वर तब भी उसके साथ था.

No comments:
Post a Comment