आज उन्हें यहाँ पूरा एक हफ्ता
हो गया, बाजार गयी थी, किताब तो मिली नहीं..कला संकाय के लिए थी वह किताब वैसे
फार्म में तो ऐसा कोई वर्गीकरण नहीं था. अगले हफ्ते विज्ञान संकाय की पुस्तक भी आ
जायेगी ऐसा दुकानदार ने कहा तो है. कल रात उसने पत्र लिखा, कल संभवतः उसका पत्र भी
आयेगा, थोड़ा-थोड़ा गुस्सा तो वह जरूर होगा न..पर लगता है इस गुस्से में भी एक अजीब
तरह की मिठास है, प्यार है. मौसम भी आज अच्छा रहा और यहाँ सभी का व्यवहार सभी के
प्रति बहुत अच्छा है. स्नेह भरा, ऐसे वातावरण में रहकर ही वह बड़ा हुआ है. तभी उसका
दिल भरा हुआ है प्यार से. आज दोपहर को उसके एक मित्र अपनी पत्नी के साथ आए थे, कुछ
देर रुके फिर चले गए.
कल दोपहर और कल रात भी अपने घर की बहुत याद आयी. नन्हे को सुलाना था कि मेहमान
आ गए. वह इतनी जिद करता है पर उसे यहाँ डांटा नहीं जा सकता, सब उसकी पैरवी करने
लगते हैं. सोचा है आज से कम से कम वह तो समय से भोजन कर लेगी. और सोनू को भी साढ़े
नौ बजे तक सुला देगी. ग्यारह बजे रात तक जागना उसके लिए ठीक नहीं है. इस समय सुबह
के छह बजे हैं, कुछ देर पूर्व माँ को उठया गंगा जी जाने के लिए, पर शायद वह उठना
नहीं चाह रही हैं. लगता है कल रात वर्षा हुई, अभी भी हवा में ठंडक है.
कल उनका असम जाने के बाद पहला खत आया. गोहाटी से भेजा है. उनकी ट्रेन १२ घंटे
देर से पहुंची, सो शनिवार को दफ्तर नहीं जा सके. दूसरे खत से मालूम होगा कि सीएल की
जगह पीएल तो नहीं लेनी पड़ी. अब जबकि वह दूर है तो इतना याद आता है, इतना ख्याल
रहता है उसका और जब वह नजदीक था उसे...चलो अब मिलने पर सारी शिकायतें दूर हो
जाएँगी. घाट तक माँ के साथ घूमने जाना है पर वह हैं कि आ ही नहीं रही हैं. लगता है
वह मन से जाना नहीं चाहती हैं टालना चाहती है, हम सभी के कहने पर. बेमन से हाँ कह
देती हैं. वह चाहती है कि जल्दी जाकर जल्दी लौट आये जिससे नन्हा सोया रहे जब तक वे
आयें. कल का दिन सामान्य था, हाँ, चिट्ठी आयी यह बात तो थी.
डायरी लिखती है पर कल ध्यान ही नहीं था तिथि कौन सी है, कल ड्राईक्लीनर से
साड़ियां मिलनीं थीं, आज सुबह तो माँ बीस
मिनट में ही तैयार हो गयीं, मगर पन्द्रह मिनट में ही वे लोग लौट आये, अखबार लेने
का मन हुआ पर पर्स नहीं ले गयी थी. कल रात स्वप्न में जून को देखा, उसे भी आते
होंगे ऐसे स्वप्न, अगर वह उसे एक बार लिख दे कि अप्रैल में आ जाये तो वह आ जायेगा
पर वह ऐसा नहीं करेगी. वे जून में ही मिलेंगे. और उसके बाद अक्तूबर में. यहाँ सब
ठीक चल रहा है. माँ कभी कभी पुरानी बातें दोहराने बैठ जाती हैं, और जानबूझ कर उदास
होती हैं, जैसे दुखी होना उनके लिए जरूरी हो. पिता ठीक रहते हैं समझ गए हैं और ननद
भी. अभी विशेष गर्मी शुरू नहीं हुई है, सुबह-शाम मौसम बेहद अच्छा रहता है.
No comments:
Post a Comment