आज सुबह से अब समय मिला है,
उसका खत नहीं आता जिस दिन कैसा अधूरा-अधूरा लगता है और फिर आज तो हल्का सा दर्द भी
है. उदासी भरा माहौल, उखड़ा-उखड़ा सा मन फिर जून की बेतहाशा याद...कितना ख्याल रखता
था वह ऐसे में. जाने कैसा होगा. एकाएक वोल्टेज काफी तेज हो गया है. सोनू का विकास
जिस तरह यहाँ हो रहा है कभी तो ठीक लगता है, कभी डर लगता है उसे. उसकी भाषा,
बातचीत करने का तरीका कैसे बदलता जा रहा है. उसकी कोई बात वह सुनता ही नहीं है. हर
समय उसे किसी न किसी के पास जाना रहता है कुछ न कुछ करना रहता है. आठ बजने को हैं,
उसे ख्याल आया जून क्या कर रहा होगा इस वक्त. अगर ऐसा हो जाये की ननद को बैंक की
नौकरी मिल जाये तो.. बहुत अच्छा होगा उन सभी के लिए. जून के लिए भी जो भविष्य की
चिंता में हैं और उनके अधूरे स्वप्नों के लिए भी. उसने मन ही मन जून से कहा कि वह
उसे खत लिखे बिना रह नहीं सकती पर ...एक ही तो अन्तर्देशीय लिफाफा बचा है.
कल से अखबार वाले ने ‘आज’ देना शुरू किया है. जब आयी थी तभी से चाहती थी कि ‘हिंदुस्तान’
या ‘नवभारत टाइम्स’ रोज आए पर ऐसा किसी न किसी कारण से हो न सका. चलो ‘आज’ ही सही
पर अभी तक तो पेपर आया नहीं है. अप्रैल का महीना खत्म होने को है, फिर आएंगे मई और
जून के महीने, भीषण गर्मी के, जिस तरह यहाँ सभी डरा रहे हैं. नन्हे को रात जल्दी
नींद नहीं आती और सुबह छत से जल्दी आना पड़ता ही है, सुबह कैसा चिड़चिड़ा हो गया था
वह. टीवी पर पीठ और गर्दन के कुछ व्यायाम दिखाए जा रहे हैं यह आकर उसका व्यायाम
करना तो जैसे बंद ही हो गया है. उसने सोचा पुनः शुरू तो कर ही सकती है. परीक्षा की
तैयारी पिछले कुछ दिनों से विशेष नही हो पा रही है, सुबह पढ़ नहीं पाती है, दोपहर
को नींद आ जाती है और शाम को ही एकाध घंटा पढ़ पाती है. लगता है कुछ परिवर्तन करना
होगा. समाचारों में सुना ‘लूसी’ अब नहीं रही, कितनी सशक्त हास्य अभिनेत्री थी वह.
सुबह की शीतल ताजा हवा यहाँ कमरे में बैठे ही महसूस हो रही है, कल भी मौसम
गर्म नहीं था, न आज है बल्कि कल रात छत पर सोये थे तो काफी ठंड लग रही थी. सुबह
साढ़े चार बजे ही वह नन्हे को लेकर नीचे आ गयी, उसे ठंड नहीं लगती, चादर ओढने पर उतार
देता है और अभी कुछ देर पूर्व रोते-रोते उठा, पूछा उसने बहुत कि क्या बात है, पर
वह नहीं बोला. कोई स्वप्न देखकर डर गया
होगा.
सांय पांच बजे हैं, अभी कुछ देर पूर्व नींद खुली, तीन बजे सभी सोये. ननद का
इंटरव्यू अच्छा रहा. छोटे भाई का पत्र आया है, पिताजी के रिटायरमेंट के अवसर पर यदि
उसे जाना हो तो वह आकर उन्हें ले जायेगा. वह जून से पूछ सकती है पर निर्णय तो उसे
ही लेना है. लेकिन वह उतनी भीड़-भाड़ में वहाँ जाना नहीं चाहती. उसके पीछे कारण क्या
है वह भी तो स्पष्ट होना चाहिए. वह और नन्हा कुछ दिन माँ-पिता के साथ रहें ऐसी
इच्छा है, सब साथ हों तो ठीक से बात करने का भी वक्त नहीं मिल पायेगा, पर पिताजी
को वह इस अवसर पर कोई उपहार देना चाहती है, किताबों का एक सेट ही सब्बे उत्तम
उपहार रहेगा और एक पत्र भी. लाइट नहीं है पर सोनू कैसे आराम से सोया है, सोते समय
आजकल बहुत परेशान करता है.
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