नन्हा अब ठीक है, कुछ देर पहले
उसने आँखें खोलीं फिर करवट बदल कर सो गया. आज उसके खुद के गले में हल्की खराश
महसूस हो रही है, जून होते तो उसे नमक पानी का गरारा करने को कहते. उसने दही लगाकर
बालों को धोया था, अब ठंड के डर से कोई कब तक बालों को न धोए...ईश्वर भली करेंगे. आज
पहली अप्रैल है, अभी तक तो किसी को मूर्ख नहीं बनाया, उसने सोचा पीछे रहने वाली
असमिया पड़ोसन को आज बुद्धू बनाएगी.
इतवार की सुबह, दोनों बाप-बेटा अभी सो रहे हैं वह बाहर घूमने गयी थी, सड़क
किनारे एक पॉपी का सूखा पौधा दिखा जिसके कुछ बीज उसने ले लिये अगले मौसम में
उन्हें उगाएगी तब ढेर सारे पॉपी के फूल खिलेंगे, और तब वह आज का दिन याद करेगी. कल
रात उन्होंने एक चीनी फिल्म देखी, उदास करने वाली, रुलाने वाली एक कविता हो जैसे.
उसकी आँखें एक क्षण को नहीं सूखीं, बहुत दिन पहले एक और अच्छी चीनी फिल्म देखी थी.
कल शाम जून कुछ सोच रहे थे, उन्हें ऑफिस का कुछ काम भी करना है, तीन-चार घंटों का
शायद इसी का तनाव हो.
आज सुबह जून बहुत खुश थे, उन्होंने विवाह के बाद के साल को याद किया. नन्हा
जल्दी उठ गया था पर दूध पीकर फिर सो गया, अब खरगोश से खेल रहा है, सचमुच का नहीं,
खिलौने से. आज वह ट्रंक आ ही जायेगा जिसका उन्हें इतना इंतजार है. कल उनकी पड़ोसिन
ने इडली बनायी परसों उसने दोसा बनाया था और साथ में मूंगफली की चटनी, सबने मिलकर
खायी. वह जो नन्हे का स्वेटर बना रही थी कल पूरा हो गया, गले के बार्डर में बहुत
सफाई नहीं आयी है. उसने सोचा वह खोल कर फिर से बनाएगी.
रेलवे स्टेशन से वह ट्रंक ले आये जून, उसमें सभी कुछ था जो वे डाल कर आये थे,
बस कूकम और डाला गया था. वह नन्हे को लेकर पार्क में गयी तो जून ने चने बना दिए,
बहुत स्वादिष्ट, उसे बहुत अच्छा लगा, वह जैसे पहले साल में पहुँच गया था, वही
भोलापन और प्यार छलकती आँखें. कल वे दोनों उसके काम के कारण ग्यारह बजे तक बैठे
थे. वह अखबार पढ़ रही थी पर आँखें थीं कि नींद से बोझिल हो रही थीं.
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