Friday, August 17, 2012

कुछ तो खा लो




कल का इतवार कुछ अलग सा रहा, विम्बल्डन के कारण इतवार की फिल्म सुबह साढ़े बारह बजे से दिखाई गयी. उस समय टीवी का रिसेप्शन अच्छा नहीं था सो फिल्म वे देख नहीं पाए. शनिवार को वे फिर से तिनसुकिया गए थे, सोनू के लिये सैंडल व खिलौना और उसके लिये गाउन खरीदा, उसकी पसंद का एक अच्छा सा गाउन मिल ही गया. कल उसने सभी पत्रों के जवाब दे दिए. नन्हा अब बिल्कुल ठीक है, जब उसको बुखार था, उस दिन उसके हमउम्र मित्र की माँ तीन चार बार उसका हाल पूछने आयी थी.

कल शाम उन्होंने वीसीआर पर एक फिल्म देखी, ‘न्यू देहली टाइम्स’ जिसे देखने का बहुत दिनों से मन था, फिल्म की थीम काफ़ी अच्छी थी, किन्तु सासूमा व ननद को ज्यादा पसंद नहीं आयी, उन्हें ‘सिलसिला’ देखने का मन था, पर लगता है आज भी उसका कैसेट मिल नहीं पायेगा. आज फिर काफ़ी दिनों के बाद उसकी बांयी बांह में पीड़ा है. कल रात कई स्वप्न देखे एक के बाद एक और परसों रात देखा वह स्वप्न..उसे आश्चर्य हुआ, उस पर तो एक कहानी लिखी जा सकती है. सभी पात्र उसके आसपास के थे, बस एक को छोड़कर जिसकी शक्ल तक नहीं दिखी पर जिसका इतना प्रभाव था. नन्हा कल दिन भर खेलता रहा, पर अभी उसकी आँख पूरी तरह ठीक नहीं हुई है, और भोजन करने में भी बहुत आनाकानी करता है, कभी कभी उसे डांटना पड़ता है, शायद ज्यादा लाड़-प्यार की वजह से ही वह बिगड़ गया है. लगता है उसे कोई टॉनिक देना पड़ेगा, उसे आजकल भूख जो नहीं लगती.
 कल शाम उन्होंने नन्हें के जन्मदिन की पार्टी के लिये आने वाले मेहमानों व आवश्यक सामानों की सूची बनायी, पर आजकल वह इतना नटखट हो गया है कि लगता है जन्मदिन पर उसे सम्भालना एक बड़ा काम होगा. कुछ भी खाने में बहुत जिद करता है, शायद पिछले दिनों वह उस पर ज्यादा  ध्यान नहीं दे पायी, यही कारण रहा हो.

जून ने सुबह-सुबह कहा happy 7th july कल रात को जो कुछ हुआ उसके बाद उसका नन्हें और उसे स्नेह दिखाने, जताने का प्रयत्न मन को छू जाता है. सोनू को उसने पहले भी डांटा है, पर कल वह ज्यादा क्रोधित था, उसे भी पता नहीं क्या हुआ, शरीर जैसे जलने लगा और कांप रही थी वह, फिर बाद में आँसू. एक बात और समझ में आयी कि किसी भी माँ को अपने बेटे की बात कभी गलत नहीं लगती, शायद यही ममता है. बाद में जून को भी बहुत दुःख हुआ, उसने कहा तो है, अब वह गुस्सा नहीं करेगा. नन्हें के बिना वह कुछ भी नहीं और जून के बिना वे दोनों, और उन दोनों के बिना नन्हा.

नन्हें का जन्मदिन बहुत अच्छी तरह मनाया, उसे ढेर सारे उपहार मिले हैं. अभी अभी गीता में पढ़ा क्रोध करना तामसी प्रवृत्ति है, और उठते ही उसकी असमिया मित्र का भिजवाया एक कप मैदा देखकर तन-मन क्रोध से भर गया, पढ़े, सोचे का कुछ भी तो असर नहीं होता है फिर भी वह रोज पढ़ती है, शायद कभी मन के बंद कपाट खुल जाएँ. दिन भर गर्मी रही पर कल शाम मौसम तो ठंडा हो गया था, पर वह देर तक सो नहीं पायी, या वह जानबूझ कर नहीं सो रही थी, जब मन में कुछ न कुछ उमड रहा हो तो नींद को जगह कहाँ.

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