Friday, August 10, 2012

स्वीमिंगपूल में पहला दिन




पिछले तीन दिन वह फिर नहीं लिख सकी, सुबह न लिखे तो दिन भर व्यस्तता में याद ही नही रहता. कल रात जून के सो जाने के बाद वह कुछ देर पढ़ती रही, कल पांच पत्रिकाएँ एक साथ जो आ गयी थीं. परिणाम यह हुआ कि सुबह उसे बेहद नींद आ रही थी, वह तैयार हो रहे हैं यह नींद में कोई खबर तो कर रहा था, पर उठ नहीं पायी. बाद में उसे अच्छा नहीं लगा, खुद से वादा किया कि आगे ऐसा नहीं करेगी. जाने क्यों मन जिसे इतना चाहता है कभी उदासीन भी हो जाता है उसके प्रति, शायद ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, ऐसा कहीं पढ़ा था. उसने माँ को लिखा है कि वहाँ रहकर बी. एड करना चाहती है. उनका जवाब शायद महीने के अंत तक आ जाये.

आज उसका काम जल्दी हो गया, नन्हा अभी उठा नहीं है, कल वे उसे इस वर्ष पहली बार स्वीमिंग पूल ले गए थे. उसे बड़ा आनंद आ रहा था, एक बार तो वह पूरा पानी में ही चला गया था, कितना डर गयी थी वह, और नन्हा भी पानी में तैरने-उतराने लगा था ऊपर आने के लिये. अब वे कभी उसे पानी में अकेले नहीं छोड़ेंगे. कल दोपहर भर भी वह पढ़ती रही, इसी कारण आँख में हल्की पीड़ा थी रात को. टीवी पर ‘जिंदगी’ का अंतिम एपिसोड था, अंत सुखद था पर अप्रत्याशित. शायद इसके सिवा औए कुछ सोच ही नहीं सकते थे वे लोग. दोनों घर से पत्र आये हैं, एक शुभ समाचार मिला मंझले भाई-भाभी माता-पिता बनने वाले हैं, पर अब वे लोग यहाँ नहीं आ पाएंगे.

कल उनके नेपाली पड़ोसी अपना कलर टीवी उनके घर रख गए, घर गए हैं अपने परिवार को लाने. उन्होंने The old fox देखा, कुछ समझ में आया, कुछ नहीं, पर रंगीन टीवी की बात ही और है फिर ओनिडा हो तो और भी अच्छा है, सोने पे सुहागा. कल शाम बहुत दिनों बाद दो परिवार उनसे मिलने आये, अच्छा लगा. आज ईद है, जून के दफ्तर में अवकाश है, सोचा था आराम से उठेंगे, पर सुबह-सुबह बिजली चली गयी, गर्मी से नींद खुल गयी. उन्होंने शाक-वाटिका से भिन्डी व भुट्टे तोड़े, अंगारों की तरह गैस पर ठीक से भुन नही पाते, भीतर से कुछ कच्चे ही रह जाते हैं.

पिछले हफ्ते डायरी नहीं खोली, कई दिनों से उसने कुछ नहीं लिखा है कोई कविता आदि. आलस्य की पराकाष्ठा पर पहुँच गयी है वह, माना कि सुबह जब नन्हा साथ ही उठ जाता है तो संभव नहीं होता पर दोपहर को लिखा जा सकता है, मन भी बस कितना सुविधा-आराम सहित पसंद है. सारे किये-कराये पर इतने दिनों के नियम पर पानी फेर देता है. आज भी उसका मन हुआ वही किताब पढ़ने का, Jean pludiy की Queen Caroline अच्छी किताब है पर इसका मतलब यह तो नहीं कि दिनभर उसे ही लेकर बैठो. कल वह हॉस्पिटल गयी थी, दो परिचित महिलाओं को देखने, एक ने पांच किलो की बेटी को जन्म दिया है, गोल-गोल प्यारी सी. कल छोटे भाई और बड़ी बहन के पत्र भी आये, भाई अभी घर से दूर है, अगले माह घर जायेगा तभी वह उसे जवाब लिखेगी, बहन ने एक और सवाल पूछा है, जवाब के लिये मन में कितने विचार आ रहे हैं.

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