Tuesday, August 14, 2012

हीट एंड डस्ट



मन उसके वश में नहीं है, कितना पढ़ती है, समझती है फिर भी न जाने कहाँ से उद्वेग, उदासी और उदासीनता के भाव मन में घर कर ही लेते हैं. वह शांत भाव जिसकी हर क्षण तलाश रहती है कहीं नजर आता ही नहीं. कल रात नन्हे के मित्र का बुखार एकाएक तेज हो गया जिसका जन्मदिन मनाया था. उसे हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ा. जून वापसी में भीग गए. कल फिल्म देखी - Heat and dust , उपन्यास ज्यादा अच्छा था. फार्म आज भी नहीं आया, मनुष्य कितना विवश है, दीदी की बात का अर्थ अब समझ में आता है. सिर में जैसे कोई बात है जो चारों ओर से दबाव डालती रहती है हल्के-हल्के ही !
कल नहीं परसों उसने अपने सर्टीफिकेटस की फोटोस्टेट कॉपी व दो फोटो घर भेज दिए अब यदि उन्हें समय पर मिल जाएँ तो वे फार्म जमा कर सकते हैं नहीं तो इस वर्ष बीएड एक स्वप्न ही रह जायेगा. नन्हें को कल रात बुखार था कल सुबह से जुकाम था. इस वक्त ठीक लग रहा है. उसके गले में भी हल्की खराश है. अगले हफ्ते सासु माँ व दोनों ननदें आ रही हैं.

कल तीन दिन बाद सबको गोहाटी से लेकर जून आया और उसे उसका व्यवहार कुछ विचित्र सा लगा, उससे बात करने का स्नेह जताने का कोई प्रयत्न नहीं किया, बिस्तर में पहुंचते ही वह गहरी नींद में सो गया. पहले वह एक दिन के लिये भी जाता था तो वापस आते ही इतनी खुशी व्यक्त करता था. माना कि अब वह संभव नहीं था सबके सामने, पर रात को शुभ रात्रि भी नहीं. उसे समझ नहीं आया वह ऐसा क्यों कर रहा था.
कल सुबह एक ऐसी दुर्घटना के बारे में सुना कि दिल दहल गया और उसके मन के वह उलजलूल प्रश्न कहीं दफन हो गए. जीवन का कोई भरोसा नहीं, कब, कौन, किसे गोली मार दे, क्या पता, फिर कितने दिन साथ रहने को मिले हैं. शिकवे शिकायत किये ही क्यों जाएँ. जून की तबियत ठीक नहीं थी उसे बुखार भी था. और अभी तक यात्रा की थकान भी दूर नहीं हुई थी. चाहे यह सब अंशतः सत्य हो या फिर उसने इस बारे में कुछ सोचा ही न हो, खैर..कल जब वे नाश्ता कर रहे थे उनकी पड़ोसिन ने रात हुई एक अधिकारी की हत्या के बारे में बताया. कल दिन भर सारा शहर जैसे सिर्फ वही सोच रहा था, वही कह रह था, भयभीत था. आतंकवादी अपने उद्देश्य में, आतंक फ़ैलाने में सफल हुए. कुछ हद तक उसी संस्था का काम है जिसका हेड ऑफिस बर्मा में है. ऐसा पुलिस की अपराध शाखा का कहना है.
जून को आज माँ को मेडिकल चेकअप के लिये ले जाना था, पर वह बाइक लेकर नहीं गया था. कल दिन भर सामान्य बीता उसकी आँख में  में दर्द कुछ कम है. आज सुबह ही उड़िया पड़ोसिन ने बताया कि नामरूप में एक अन्य अधिकारी (फर्टिलाइजर प्लांट के) की हत्या कर दी गयी है. मौसम इन दिनों शांत है पर वातावरण गर्म है. दीदी का पत्र आया है वह आज जवाब लिखेगी. नन्हा आजकल खूब बातें बनाना सीख गया है, बुआ के साथ खूब खेलता है. जून कल शाम घर पर ही थे जब वे सब घूमने गए था. कभी-कभी उसे लगता है वह उसका ध्यान नहीं रख पा रही है उतना जितना पहले रखती थी. उसे कहे सांत्वना के शब्द भी खोखले लगते हैं, उसकी पीड़ा खुद की पीड़ा बन जाये ऐसा प्रेम कहाँ चला गया. पहले उसे जरा सी चोट लग जाने पर वह व्याकुल हो जाती थी.





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