वर्षा अभी थमी नहीं है, आज भी
बीहू का अवकाश है, नया वर्ष आरम्भ हुआ है तो ‘म्यूजिक कॉर्नर’ वाले उनकी सिलाई
मशीन आज ठीक नहीं करेंगे क्योंकि नए वर्ष के पहले दिन वे कोई काम नहीं करते. जून
कुछ देर के लिये ओ.सी.एस. गए थे, लौट आये हैं और व्यस्त हैं. नन्हा उनकी नई उड़िया
पड़ोसन के घर गया है. पिछले दो दिन से वह कुछ परेशान लगता है, बेवजह ही रोता है,
शायद बेवजह नहीं, पर वे समझ नहीं पाते. शायद वे उसकी ओर पूरा ध्यान
नहीं दे पा रहे हैं. छुट्टी के दिन वैसे भी घर में काम ज्यादा होता है और सुबह सोकर
देर से उठने से और भी समय कम मिलता है. कल शाम नूना का मन अशांत था, जैसे मन में
कितना कुछ घुमड़ रहा था. शाम को वे लोग एक पुराने परिचित के यहाँ गए थे, पर उनका
व्यवहार उदासीनता भरा था, वह कुछ ज्यादा ही संवेदनशील है, उसे लगा अब उनके
सम्बन्धों में वह पहले जैसी बात नहीं है.
वर्षा के कारण लगता है महरी आज भी काम पर नहीं आयेगी, उसे छाता खरीदने के लिये
पैसे देने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं. नन्हा अभी कुछ देर पूर्व ही सोकर उठा
है और इस समय दूध पी रहा है, लेकिन कब पीना छोड़ कर खेलने बैठ जायेगा कुछ नहीं कह
सकते, बीच-बीच में वह उस पर नजर रखती है. उसका रोज का काम अभी आधा ही हुआ है और
यदि बर्तन व कपड़े भी धोने पड़े तो पूरे ग्यारह ही बजेंगे आज. कल शाम उन्होंने नए
पड़ोसी उड़िया जोड़े को चाय पर बुलाया था, नयी दुल्हन में उसे बहुत बचपना लगा.
परसों शाम या कहें दिन भर ही कुछ अनाप-शनाप सभी कुछ खाया सो कल सुबह से ही सिर
भारी था. शाम को जाकर ठीक हुआ. मानसिक तनाव के कारण सिरदर्द होता है इसका अनुभव
उसे कभी नहीं हुआ पर अपच के कारण कई बार हुआ है. जून ने उसकी बहुत देखभाल की. खाना
बनाने में भी सहायता की, पर भिन्डी की सब्जी जो उसने बनायी, नमक भूल गया. कल क्लब
में उनकी देखी हुई ‘इंकलाब’ फिल्म थी, मौसम ठंडा था वर्षा भी यदाकदा हो जाती थी,
सो वे नहीं गए.
आज उसने कई दिन बाद योग के आसन किये. परिणाम पता नहीं क्या हो. चाहे इसका कोई
ठोस कारण न हो पर उसे ऐसा लगता है की नन्हे के जन्म के बाद वह जब भी कुछ दिन
व्यायाम करती है, दो एक हफ्ते तो ठीक रहती है फिर कुछ न कुछ समस्या अवश्य होती है.
सर्दी, जुकाम, सरदर्द या कमर में दर्द कुछ न कुछ. नन्हे के ऊँ ऊँ की आवाज आ रही है,
अभी चुप होकर जब वह उसे आवाज देगा तभी वह जायेगी, नहीं तो रोने का जो मूड उठते समय
शुरू हुआ है, वह भूलेगा नहीं. कल फिर वर्षा होती रही, वे कहीं नहीं गए, सुबह वह
कुछ देर के लिये पड़ोस में गयी और शाम को सामने रहने वाली अकेली लड़की के यहाँ, पर
शायद उसे उसके आने की उम्मीद नहीं थी, वह नर्वस हो गयी जब उसके बेड पर सोये एक
व्यक्ति को उसने देखा, उसे न तो आश्चर्य हुआ न ही इससे कोई मतलब है, पर उसने तय
किया है अब वह उसके घर तभी जायेगी जब पूरा पता हो कि वह अकेली है. कल टीवी पर
‘श्रावंती’ एक अच्छी तेलेगु फिल्म देखी, परसों रात की ‘विद्यापति’ इससे कहीं ऊपर
थी.
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