Thursday, August 30, 2012

चूहे की खिटपिट



जून का और पत्र नहीं आया. आज दोपहर छोटे भाई की शादी का कार्ड मिला, जो खुशी सामान्य हालातों में होती वह महसूस नहीं हुई, फिर भी कार्ड हिंदी में है, उन सभी का नाम है, देखकर अच्छा लगा, शादी में जायेगी. सोनू के लिये यह एक अवसर होगा, उसके जीवन की दूसरी शादी, पहली बार बुआ की शादी में वह मात्र चार महीने का था. वह भी सबसे मिल पायेगी, मामा, मामी, बुआजी और सारे रिश्तेदारों से. आज एक पत्र और आया है, गुजरात से मौसा जी का. पढ़कर सभी को अत्यधिक क्षोभ हुआ. सगे रिश्तेदार होकर लोग इस तरह का व्यवहार करते हैं. किसी की मृत्यु हो जाने के बाद उसके माता-पिता से ऐसा व्यवहार, सचमुच यह दुनिया पैसे से ही चलती है. भावनाओं से ज्यादा कीमत पैसे की ही है.

आज इतवार है, कल वह कुछ नहीं लिख सकी. आज का दिन अच्छा बीता. माँ-पिता आज शांत रहे. सुबह नन्हें ने कहा चाचा आसाम में हैं. बड़ा होकर समझ जायेगा कि चाचा कहाँ हैं. जून का पत्र कल आयेगा और चार दिन बाद तो वह आ भी रहे हैं. मौसम ठंडा हो गया है, कल रात एक के ऊपर एक दो चादर ओढ़ी तो ही सो पायी.

रात भर स्वप्न देखती रही जून आ गए हैं और पिछली  कई रातों को उसने स्वप्न में उसे देखा है. अगर वह ना आये तो? यह सोचकर अच्छा नहीं लगता, उसका पत्र भी नहीं आया..सोचा होगा जब स्वयं ही जा रहा है तो पत्र की क्या जरूरत है. कल उसने स्वप्न में एक सफेद कमीज, काली पैंट पहने लडके को दूर से आते देखा, सोचा शायद उसका भाई है पर पास आकर पता चला वह नहीं था, वह बिना उन्हें देखे आगे निकल गया. जाने वह कहाँ होगा, होगा भी या नहीं.

वह भाई की शादी में गयी और लौट भी आयी. जून आ गए थे और उसके अगले दिन वे गए. नन्हा और वह शादी में, वह स्वयं दिल्ली चले गए. वहाँ सभी से मिलना हुआ, शादी का कार्यक्रम भी अच्छी तरह सम्पन्न हो गयी. वापसी में वह भाभी के भाई-भाभी के साथ आयी. आज ही उसने माँ को पत्र लिखा है जून को भी. यहाँ दो महीने रहने के बाद वह वापस जायेगी  अपने घर. वैसे यह भी तो अपना ही घर है बचपन के अपने घर से ज्यादा अपना घर.

कल फोन आया था पड़ोस में, उन्होंने बुलाकर बात करवायी, बहुत अच्छा लगा इतने दिनों बाद जून से बात करके. अब केवल बारह दिन ही रह गए हैं, जब वह आएंगे. किसी चूहे की आवाज आ रही है जहाँ सोनू सोया है, उसके पीछे की अलमारी के पास से. आज संभवतः उन्होंने पहली बार खाना समय पर खा लिया है, तीन बजने में दस मिनट हैं, उसने सोचा कुछ लिख ले या सूची ही बना ले कि उन्हें यहाँ से क्या-क्या लेकर जाना है. कल रात स्वप्न में फिर उसे देखा, उसे लगा वह मोटरसाइकिल पर बैठाकर घुमा रहा है, और इतनी धीमे अच्छी तरह चला रहा है जैसे हवा में उड़ रही हो. कभी वह बड़ा भाई बन जाता था कभी जून कभी खुद, कुछ समझ नहीं आया कैसा स्वप्न था.
क्रमशः

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