कल दिन भर जून ने उससे विशेष
बात नहीं की, उखड़ा-उखड़ा रहा और बिना कुछ कहे गुडनाइट कहकर सो गया. माना कि उसकी
आँख में दर्द है पर मुँह में तो नहीं..खैर. आज सुबह माँ अस्पताल गयीं और एक्सरे
आदि कराया. आजकल मौसम उनके अनुकूल है दिन कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता.
इतवार बेहद अच्छा बीता, मधुर-मधुर सा, जून ने भी उससे पहले की तरह बात की,
शायद उसे बाल कटवाने के बाद नूना का चेहरा पसंद आया, उसे खुद भी कितना हल्का-हल्का
लग रहा था. चीना पाक में यह ब्यूटी पार्लर बहुत अच्छा है. परसों रात उसकी असमिया
मित्र और एक परिचिता ने किसी चोर के बारे में बताया और उसने स्वप्न में आतंकवादी
देखे. लेकिन कल के स्वप्न में जून द्वारा चलाए गए हवाई जहाज में उड़ती रही. कल वह
दूसरी बार जून के साथ बाइक से तिनसुकिया गयी, आधे घंटे में वे वहाँ पहुँच गए. एक
नाईट गाउन खरीदा जो माँ के नाप का निकला, उसने सोचा है कि अपने लिये कपड़ा लेकर सिलेगी.
आज सुबह उठकर वह जून को दफ्तर के लिये विदा करने बाहर आयी तो पता चला कि उस
अधिकारी का परिवार असम छोड़कर जा रहा है जिसे उस दिन गोली लगी थी, सुनकर अच्छा नहीं
लगा पर वे लोग कर ही क्या सकते हैं. साढ़े सात बजे हैं बाकी अभी सब लोग सोये हैं, उन
लोगों के आने से घर कितना भरा-भरा सा लगता है. हर वक्त कुछ न कुछ करने को रहता है,
दिमाग कभी भी शांत नहीं रहता, अर्थात कुछ न कुछ चलता ही रहता है. कल दिन भर बेहद
गर्मी थी, वे लोग उनसे ज्यादा परेशान थे, उसे तो अब आदत हो गयी है, गर्मी ज्यादा
नहीं सताती.
कल बीएड के फार्म के लिये भेजा २० रूपये का ड्राफ्ट वापस आ गया इस पत्र के साथ
कि देर से भेजा गया जबकि उन्होंने उसे अंतिम तिथि से पूरा एक महीने पहले पोस्ट
किया था. कल रात फिर वर्षा हुई, खाद फिर गीली हो गयी, माली उसके सूखने का इंतजार
कर रहा था. नन्हें को अस्पताल ले गए थे उसके पैर में छोटी सी फुंसी हो गयी थी
इन्फेक्शन हो गया है. सासु माँ की रिपोर्ट आ गयी है सब कुछ सामान्य है.
उसी इन्फेक्शन के कारण नन्हे को बुखार हो गया, दो दिन बाद उतरा. रात उसे परेशान
देखकर वह बहुत घबरा गयी थी, नन्हें से बच्चे को इतनी पीड़ा इतनी बेचैनी, नींद में
बार बार डर जाता था. पर अब सब ठीक हो गया है. कल भी दिन भर वर्षा होती रही जैसे आज
सुबह हो रही है. सुबह वह बाहर गयी तो हल्की-हल्की फुहार पड़ रही थी. कितनी प्यारी
लग रही थी सुबह, हरे हरे नहाये हुए पेड़ और काले काले बादल धुली ढली सड़क, और सुखद
नींद में सोया नन्हा, सहलाता हुआ हथेली से जैसे लौ को ढकता हुआ सा जून. आज उसका मन
बेहद खुश है, कल घर से पत्र आया था, उसका फार्म छोटा भाई मेरठ ले गया था. इस वर्ष
तो उसका जा पाना कठिन ही लगता है, ठीक ही होता है जो होता है. अपने घर से इतनी दूर,
यानि जून से इतनी दूर नन्हा और वह उसको कितना याद करेंगे. परसों माली ने गमलों में
मिट्टी व खाद भर दी है, सभी पौधे सुरक्षित हैं.
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