उन्होंने तीन बर्तन खरीदे स्टील की
छोटी सी प्लेट, कटोरी और गिलास. और जन्मदिन मनाने का तरीका भी उन्हें अच्छा लगा,
कोई औपचारिकता नहीं, जैसे सभी एक दूसरे से नितांत परिचित हों. गृहणी भी उसे अच्छी
लगीं, उसने सोचा कि बाद में एक बार और वह उनके घर जायेगी यदि जून भी जाने को तैयार
हुए. उसने शिफान की बहुत सुंदर साड़ी पहनी थी, जिसकी छवि निहारते उसे थकान नहीं हो
रही थी. कल रात जून ने अपने तीन दिनों से चल रहे सलीम शरीफ (समदर्शन के डायरेक्टर)
के सेमिनार की कई बातें बतायीं, बहुत अच्छी बातें, उसने बेहद अच्छी तरह बतायीं.
लेकिन उसका असर कितना और कब तक होगा, यह कौन बताएगा उनके सिवा. स्वयं को
जाने-पहचानें यही सार था उन बातों का.
उनके घर से दो घर छोड़ कर रहने वाली एक और परिचिता (वे भी उड़िया हैं) ने बुलाया
और अपनी बहन की दी हुई मिर्चें देते हुए कहा, आपके खीरे की बेल में कितने खीरे लगे
हैं. एक वह तोड़ कर लायी है. कल माँ का पत्र
आया है वे लोग एक सप्ताह के लिये जम्मू जा रहे हैं मंझले भाई के पास, सो वे
उन्हें अगले हफ्ते पत्र लिखेंगे. कल शाम वे एक हिंदी फिल्म देखने गए जिसमें थोड़ा
सस्पेंस भी था. नन्हें का पैर उस दिन गर्म पानी के पाइप से जल गया था अभी तक घाव ठीक
नहीं हुआ है पूरे तीन दिन हो गए हैं आज चौथा दिन है. जलने पर भी वह सिर्फ पांच
मिनट ही रोया, बहादुर बच्चा है. कल रात उसकी बाँह में फिर पुराना दर्द उभर आया,
दबाने से कुछ राहत मिली. टीवी पर देखे धारावाहिक ‘इंतजार’ में देखा था कि जटाशंकर
का ब्याह होते-होते रह गया पर स्वप्न में देखा उसकी मंगनी हो गयी है. एक और अच्छा
स्वप्न था, एक पुराना स्कूल, उसमें हनुमान जी का प्रकट होना और चट्टानों पर चढ़कर
उनका घर तक पहुँचना.
दो दिन कुछ नहीं लिखा, परसों सोनू सुबह साथ ही उठ गया, और कल उसके लिये एक
निकर सिलती रही, मगर अभी से छोटी है, कुछ दिन ही पहनेगा, आज अभी तक नन्हा सोया है,
आजकल सोते समय वह बहुत पैर चलाता है, शायद उसे गर्मी लगती हो या जगह कम पड़ती हो, जल्दी
ही उन्हें उसके लिये अलग बिस्तर लगाना चाहिए. इस समय कैसे स्थिर सोया है, वह जो
किताब पढ़ रही थी The Regent’s Daughter जो आज समाप्त हो गयी. उसका
अंत अच्छा नहीं लगा पर उसके सिवा तो कहानी बढ़ती ही जाती, कहीं न कहीं तो अंत होना
ही था.
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