Friday, March 21, 2014

नये का आगमन


सुबह के सवा आठ बजे हैं, कुछ देर पहले उसने ध्यान करने का प्रयास किया, पर इस सत्य से सामना हुआ कि जब मन में कोई बात हो तो ध्यान बंट जाता है और सफलता नहीं मिलती. उसके मन में दो विचार चल रहे हैं, पड़ोसिन आज शाम को क्लब में होने वाली क्विज प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही है उसे फोन करना है और कल हुई बच्चों की क्विज प्रतियोगिता का परिणाम पूछना है. दूसरी बात यह की उसके मुंह का स्वाद कुछ ठीक नहीं लग रहा कुछ चिपचिपा सा..सम्भवतः पाचन क्रिया ठीक न होने के कारण.

आज इतवार है, जून और नन्हा दोनों कम्प्यूटर के साथ व्यस्त हैं, जून के एक केरेलियन मित्र आये हैं, he is computer wizard ! कल वे क्लब गये, पड़ोसिन की टीम चौथे स्थान पर रही, उसने फोन किया, उसकी आवाज में ख़ुशी थी कुछ पाने का उल्लास ! जून प्रिंटर भी ले आये हैं, और दीपक चोपड़ा की किताब से बनाया उसका कैलेंडर दीवार पर लगाने के लिए तैयार है. she knows, laws are too good to apply ! but she will try.

आज उन्हें तिनसुकिया जाना है, नया टीवी खरीदने, कल पुराना ओनिडा सात हजार में बिक गया. कई वर्ष वह उनके साथ रहा, अब किसी और का घर आबाद करेगा. उसे याद है वे पुराने घर में थे, वह उन दिनों घर गयी हुई थी, जून ने पास ही रहने वाले एक दक्षिण भारतीय मित्र से खरीदा था, वे लोग तब कम्पनी छोड़कर जा रहे थे. कल पत्रों के जवाब का दिन है पर पिछले पन्द्रह दिनों से कोई पत्र नहीं आया है, उसने सोचा, अबसे महीने में एक बार ही करेगी पत्र लिखने का काम. आजकल न किसी के पास पत्र का जवाब देने का समय है और न ही पत्र पढने का. माँ-पापा भी उम्र के साथ-साथ सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो रहे हैं. कल शाम वे क्लब नहीं गये, नन्हे को कम्प्यूटर का आकर्षण था और उसे इतवार की शाम का भारीपन लग रहा था. सुबह उठी तो फिर उससे पहले एक स्वप्न चल रहा था, मन एक मिनट के लिए भी शांत नहीं बैठता, नींद में भी नहीं, शायद यही जीवन है. मन का यही काम है कुछ न कुछ बुनते रहना. ध्यान करने बैठी तो वॉयल के कपड़े पर कढ़ाई दिखने लगी. creative mind की यही तो पहचान है. अज नन्हे का तीसरा टेस्ट है, उसे उनसे ज्यादा नये टीवी का इंतजार है.

फिलिप्स का नया टीवी बहुत अच्छा है, देखने में भी और चलाने में भी, आवाज काफी जोरदार है और तस्वीर को कई तरह से एडजस्ट कर सकते हैं, सारा काम रिमोट से होता है. कल वे नन्हे के आने से पहले घर पहुंच गये थे पर टीवी कार से घर में नहीं लाये थे, पर उससे रहा नहीं गया और उसके खाना खाने से पहले ही उन्होंने टीवी चलाया, शाम भर घर में ही रहे, वैसे भी गर्मी बहुत थी. नन्हा पढ़ाई करता रहा वह सुनती रही जून विश्राम करते रहे.कड़कती धूप में टूटी फूटी सडक पर गाड़ी चलाना इतना आसान नहीं था, वापसी में कह रहे थे कि गाड़ी बदलने का वक्त भी आ गया है, शायद इसी वर्ष वे नई कार भी ले लें. आज भी धूप तेज है, माली लॉन में घास काट रहा है, कल कहा था उसने कि सुबह पांच बजे आयेगा ताकि ठंडे वातावरण में ही काम खत्म कर  दे पर शायद उसकी नींद नहीं खुली होगी. कल उसने अपने जन्मदिन के लिए स्वयं ही एक उपहार लिया, नील रंग की तांत की साड़ी ! नन्हे के लिए नाईट ड्रेस और टीवी जो जून ने काफी देखभाल के बाद और मोलभाव के बाद ही लिया. एक दिन एक मित्र के यहाँ बैठे-बैठे ही उनके मन में विचार आया कि पुराना अब निकाल देना चाहिए, हर कार्य पहले एक विचार ही तो होता है.



1 comment:


  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन आठ साल का हुआ ट्विटर - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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