Saturday, March 1, 2014

इतवार की इडली


आज की मीटिंग अच्छी रही पर लौटने में देर हो गयी, पौने नौ बजे थे, नन्हा घर पर अकेला था, उसके खाने का वक्त भी निकल चुका था, पर वह काफी समझदार है, नैनी को बुलाकर रोटी बनवा रहा था जब वह घर पहुँची. जून का फोन भी आया, वह कल शाम को वापस आ जायेंगे तो जिन्दगी में फिर क्रम आ जायेगा. सुबह छह बजे उनका फोन आया तो उनकी आवाज काफी बदली-बदली सी लगी, फिर कुछ देर बाद उनका फोन आया तो राहत मिली. सुबह-सुबह ही नैनी स्वेटर का डिजाइन पूछने आ गयी, काम में देरी हुई पर उसे भी कोई जल्दी नहीं थी. दोपहर को बहुत दिनों बाद पार्लर गयी, बालों में मेहँदी लगवाने, फिर पड़ोसिन के यहाँ, वह पिछले कई दिनों से अकेली है. दोपहर को अकेले भोजन के लिए बैठी तो पता नहीं क्यों भूख महसूस नहीं हो रही थी, समय हो गया है भोजन कर लेना चाहिए, इसलिए खा लिया.

कल रात्रि बहुत तेज वर्षा हुई, वे खिड़की खोल कर सोये थे, पानी अंदर आ गया, शुरू में वैसे ही उसे नींद नहीं आ रही थी, बाद में वर्षा की तेज आवाजों से खुल गयी, उठकर खिड़की, दरवाजा बंद किया और फिर न जाने कब नींद आ गयी. स्वप्न में एक बहुत बड़ा आयोजन देखा. कल मीटिंग में ‘हसबैंड नाइट’ का जिक्र हो रहा था, शायद इसी लिए प्रेसीडेंट ने सभी को धन्यवाद दिया और कहा कि प्रोग्राम अच्छा रहा, कमियों की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिलाया, भारतीयों की यही खासियत है कि कमियों को, गलतियों को याद भी नहीं करना चाहते कि किसी के सेंटीमेंट्स को बात लग न जाये क्यों कि समूह में काम करना आता नहीं है, हरेक अपना व्यक्तिगत लक्ष्य लेकर चलता है, खैर, आज सुबह जून के फोन से ही नींद खुली, वह आज आने वाले हैं, नन्हे और नूना का जीवन दो दिनों में थोड़ा अस्त-व्यस्त हो गया है पर रोचकता बनी हुई है, अपने मन मुताबिक सोना, जगना...पर यह जीवन क्रम यदि ज्यादा दिन चला तो अस्वस्थता को निमन्त्रण देने जैसा होगा. रात को सोचकर सोयी थी कि सुबह संगीत का अभ्यास करेगी पर इधर-उधर के कामों में ही समय हाथ से निकला जा रहा है. रात के वादे ऐसे ही होते हैं. दूध वाले से शिकायत करनी थी, एक सखी से बात करनी थी, नन्हे की आलमारी की सफाई का प्रोजेक्ट भी अधूरा है. जून के बिना जीवन भी तो अधूरा है.

पिछले तीन दिनों से डायरी नहीं खोल पाई, अभी-अभी महसूस हुआ, जायजा लिया जाये, पिछले दिनों क्या-क्या हुआ, शुक्र की शाम को जून आये, वे तीनों साथ-साथ रह कर खुश हो गये थे. शनि की सुबह जून को अदरक वाली चाय बनाकर दी, उनके गले में खराश लग रही थी, शाम वे एक मित्र के यहाँ गये, इतवार की सुबह इडली बनाई, शाम टहलने व नन्हे को पढ़ाने में बीती. जून ने कार की सफाई की, क्योंकि नैनी का बेटा ‘आता हूँ’ कहकर गायब हो गया. कल सुबह माँ से बात की, अभी तक उन्होंने अपने दाँतों का व पिता ने अपनी आँखों का इलाज करवाना शुरू नहीं किया है. टीवी पर लगातार चुनाव परिणाम प्रसारित हो रहे हैं, बीजेपी आगे है पर इतना तो तय है कि पूर्ण बहुमत से काफी पीछे है. वह Amitav Ghosh की एक किताब पढ़ रही है आजकल. बहुत सी पत्रिकाएँ भी हैं पर समय नहीं है, नन्हे के इम्तहान छह मार्च से हैं, यानि सिर्फ तीन दिनों के बाद. आज संगीत कक्षा में वह सरगम सुना सकी, अध्यापिका ने राग काफी सिखाना शुरू किया.

सुबह-सुबह सेक्रेटरी का फोन आया, आज शाम को सारे कमेटी मेम्बर्स को गेस्ट हाउस जाना है. उसे फोन करके सभी को बताना था, एक महिला को फोन किया तो पहले वे बगीचे में थीं, फिर रियाज करने बैठ गयीं, उनके पतिदेव ने संदेश ले लिया, फोन पर तो वे बेहद संजीदा caring लगे, अगर वह कभी उन्हें यह बात कहे तो वह हँसेंगी. नन्हा आज भी स्कूल नहीं गया, पर सुबह से बिना नहाये बैठा था, उसने नहाने के लिए कहा तो मुँह बना लिया. बच्चे कोई भी बंधन नहीं चाहते किसी भी तरह का नियम-कानून तो वे जानते ही नहीं, जब जिस बात का मन होगा वही करेंगे, उसे लगा यह नई पीढ़ी बिलकुल निरंकुश होती जा रही है. स्कूल में अध्यापक की बात का कोई महत्व नहीं और घर पर माँ-पिता की बात की कोई अहमियत नहीं. आज भी मौसम भला सा है, सुबह समाचार सुने, बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, उधर UF और कांग्रेस जो एक-दूसरे के खिलाफ थे फिर एक होकर सरकार बनाने की बात कर रहे हैं, यह राजनीति का खेल आम  जनता की समझ से बाहर है. 





2 comments:

  1. घर-परिवार और राजनीति .......मजेदार......

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  2. अदिति जी, स्वागत व आभार !

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