Wednesday, March 26, 2014

आणविक परीक्षण


एक और नये सप्ताह का शुभारम्भ ! मई महीने का अंतिम सप्ताह, आज मौसम फिर साफ है, धूप निकल आयी है, जो एक सखी के अनुसार दो दिनों की वर्षा की बाद भली लग रही है, पर उसे तो वही काले-कजरारे बादलों से घिरा आकाश और ठंडी हवा पसंद है. आज उसे क्लब जाना है शाम की मीटिंग की तैयारी करने. दफ्तर से लौटते समय जून के साथ वापस आएगी.

आज आकाश पर बादल चहलकदमी कर रहे हैं. कल दूसरा पेपर हल करने का प्रयास किया, एक कहानी लिखनी थी, वह तीन सौ शब्दों से ज्यादा नहीं लिख सकी, उन्हें एक हजार शब्दों  की कहानी चाहिए, उसे और श्रम करना होगा और समय देना होगा. सितम्बर से पहले उसे जवाब भेजना है. पिछले दिनों स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण विशेष काम नहीं हो सका, अब से दोपहर को दो घंटे नियमित उसे बैठना होगा. अख़बार और पत्रिकाएँ शाम तक इंतजार कर सकती हैं. घर की सफाई का काम भी एकत्र हो गया है, शनिवार को घर में मेहमान आयेंगे, इसलिए घर बिलकुल साफ-सुथरा होना चाहिए. नन्हे की परीक्षाएं भी अगले महीने शुरू हो रही हैं, शाम को उसे भी वक्त देना जरूरी है. फिर कम्प्यूटर.. और सभी के जन्मदिन भी आ रहे हैं, कार्ड्स भेजने हैं. जीवन कितना व्यस्त रखता है.

कल छोटी बहन का पत्र आया, वह वहाँ खुश है, आर्मी की ड्रेस पहन कर जरुर स्मार्ट दिखती होगी उसे जल्दी ही पत्र लिखेगी. आज हिंदी पढ़ाते समय ‘सर्वेश्वर दयाल सक्सेना’ का एक लेख और ‘बच्चन’ की कविता पढ़ाई, बच्चन मधुशाला का प्रयोग करना नहीं चूकते प्रतीक रूप में. कल शाम मीटिंग में एक सदस्या को विदाई दी गयी, उनका भाषण अच्छा था और उनके गीत भी, उनकी तारीफ़ में कही गयी बातें सुनकर कभी-कभी थोड़ी उलझन हुई, पर तारीफ़ को भी खुले मन से स्वीकार करना सीखना पड़ता है हर इन्सान को. आज नन्हे का संगीत का इम्तहान है, वह गाने ठीक से गा पा रहा है, सिखाया जाये तो बच्चे बड़ों की अपेक्षा जल्दी धुन पकड़ लेते हैं. कल जून आशिकी का vcd लाये थे, पड़ोसी की मदद से कम्प्यूटर पर चल सका, पहले भी एक दो बार वह  मदद कर चुके हैं. कल क्लब में वह भी पड़ोसिन के साथ बैठी थी, वह शांत है और मृदुभाषी भी, उसने सोचा उन्हें चाय पर बुलाना चाहिए.

आज फिर एक चमकदार दिन है, पर अभी तक गर्मी असहनीय नहीं है, देश के कुछ भागों में तापमान ४० डिग्री से ऊपर हो गया है, समाचारों में सुना २४८ लोग गर्मी से मर गये हैं. कल शाम वे एक मित्र के वृद्ध माता-पिता से मिलने गये, वृद्ध दंपति बहुत हंसमुख था, खासतौर पर आंटी बहुत बातें कर रही थीं, वह उनसे पहले भी मिल चुकी है और हर बार उनसे मिलना उसे अच्छा लगता है. टीवी पर ‘जी साहेब’ आ रहा है बहुत रोचक कार्यक्रम है, All four character are very cute, smart, witty and humorous!  कल शाम जून देर से आये, कारण पूछा तो बोले, उसके ही काम से देर हुई. उसका फोटो कम्प्यूटर के स्क्रीन पर लाना चाहते थे, जिसे पहले छोटा करके स्कैन किया फिर फ्लॉपी में सेव किया और घर आकर कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क में कॉपी किया. स्क्रीन पर जब नई ड्रेस में उसका फोटो आया तो वाकई अच्छा लगा और खुद पर गरूर भी हो आया कि जून उसे इतना चाहते हैं.

काश्मीर मे हालात बदल रहे हैं, कुछ दिन पहले वहाँ एक फिल्म की शूटिंग भी हुई और टूरिस्ट भी जाने लगे हैं. कल पाकिस्तान में भी पांच एटमी तजुर्बात किये गये और बाद में वहाँ आपात स्थिति लागू कर दी गयी. भारत के आणविक परीक्षणों के जवाब में किये गये इन परीक्षणों का क्या असर होगा यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन बीजेपी की सरकार ने लोगों के मन में एक चेतना का विकास तो किया है चाहे उनका साधन या माध्यम हिंसा पर ही क्यों न आधारित हो, गाँधी के देश में लोग जब एटम बम बनाने से खुश हो सकते हैं तो यह मानकर भी चलना चाहिए कि वे कभी भी इसके उपयोग का खतरा मोल नहीं लेंगे, क्योंकि उसका परिणाम उन्हें स्वयं ही भुगतना पड़ेगा. आज उसे बाजार जाना है, कल के जन्मदिन के लिए.. जन्मदिन के दिन एक विशेष उत्साह रहता ही है, उसका लाभ उठाते हुए.. घर की विशेष सफाई कल होगी. कल उसने दोनों बहनों को पत्र भेज दिए, ऐसा क्यों होता है कि लडकियाँ या बहनें विवाह के बाद भी अपने पुराने संबंधों को कायम रख पाती हैं, माता-पिता से भाई-बहनों से जुड़ाव को महसूस करती हैं पर भाई ऐसा नहीं कर पाते, शायद बचपन से ही उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं सिखाया जाता या वे इतने भावुक नहीं होते, कुछ भी हो वे तीनों आज भी एक-दूसरे की बात समझ पाती हैं, कुछ ऐसा है जो तीनों के दिलों में एक सा धड़कता है, साझा है वह तीनों का. काश ! भाइयों में भी ऐसा होता, हो सकता है वे तीनों भी अपने अंदर ऐसा ही महसूस करते हों !


2 comments:

  1. आपकी यह पोस्ट आज के (२७ मार्च, २०१४) ब्लॉग बुलेटिन - ईश्वर भी वेकेशन चाहता होगा ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  2. तुषार जी, स्वागत व बहुत बहुत आभार !

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