आज विश्व पर्यावरण
दिवस है, अमलतास के पीले फूल, गुलमोहर के लाल पुष्प और एक अनजान वृक्ष के गुलाबी
कुसुमों ने सारे नगर को एक कैनवास में बदल दिया है. सडकों पर भी फूल बिछे हैं जैसे
किस ने रंग छिडक दिये हों. आज नये स्कूल में पहली बार नन्हे को अस्वस्थता के कारण
छुट्टी लेनी पड़ी है, जून उसे अस्पताल ले गये और दवा दिलाई. इस वक्त ठीक लग रहा है.
ईश्वर उसे सेहत व शक्ति दे जिससे अगले हफ्ते होने वाले इम्तहान अच्छी तरह से दे
सके. कल शाम एक परिवार मिलने आया, वृद्ध माता-पिता भी थे, सारी शाम उनके साथ जो
बातें कीं रात को सोते वक्त भी मन को खटखटाती रहीं. कल क्लब में भूपेन हजारिका आ
रहे हैं. उसने एक सखी को साथ चलने का निमन्त्रण दिया.
आज दिगबोई जाने वाले सभी बच्चों ने व उनके
माता-पिता ने सोमवार से होने वाली परीक्षाओं की तैयारी के लिए उनका घर पर रहना ही
तय किया सो नन्हा जो आज जाने के लिए तैयार था, उसे घर पर ही रहकर पढ़ने का अवसर मिल
गया. इस समय आठ बजे हैं, वह पिछले एक घंटे से आँखों को जबरदस्ती खोलकर geography
की work book हल कर रहा है. कल छोटे भाई ने जन्मदिन की बधाई दी, इतने दिनों बाद उसे
अपने आप शायद ही प्रेरणा हुई होगी, जरूर किसी ने याद दिलाया होगा. उसका कार्ड तो पहले
ही मिल गया था.
कल शाम वे भूपेन हजारिका का कार्यक्रम देखने क्लब
गये तो सारी सीटें भर चुकी थीं. कुछ देर जून और उसने खड़े होकर ही देखा फिर जून के एक
मित्र ने अपनी सीट उसके लिए छोड़ दी, कल्पना लाजमी भी आई थीं. उसकी परिचिता एक
महिला के भजन गायन से शुरुआत हुई, एक अन्य स्थानीय गायक की दो गजलें भी अच्छी
थीं-
अंदर अंदर क्या टूटा है, चेहरा क्यों कुम्हलाया है
तन्हा तन्हा रोने वालों, कौन तुम्हें याद आया है
और
तू ख्याल है किसी और का, तुझे सोचता कोई और है
डाक्टर भूपेन हजारिका काला कुर्ता, चूड़ीदार पायजामा
व टोपी पहने थे. ‘दिल हूम हूम करे’ गाना सुनकर सभी मंत्र मुग्ध हो गये. उनकी कई
बातों ने भी लोगों को हंसाया, लोगों की भीड़ देखने लायक थी. पूरा हाल खचाखच भरा था.
वे पूरा कार्यक्रम तो नहीं देख पाए, नन्हा घर पर अकेला था, उसे अकेले छोड़कर जाना
अच्छा भी नहीं लगा था पर भूपेन हजारिका को देखने का लोभ संवरण नहीं कर पायी.
आज एक सखी ने फोन किया, वह दूधवाले को कह दे कि दोदिन
बाद उसे एक लीटर दूध ज्यादा दे, उसकी समझ में यह नहीं आता कि वह उसका भी दूधवाला
है फिर वह उसके द्वारा क्यों कहलवाना चाहती है. खैर, वह और उसकी बातें वही जाने. आज
भी वर्षा बदस्तूर जारी है पिछले दो-तीन दिनों की तरह. कल नन्हे का पहला पेपर था,
परसों रात को उसे नींद नहीं आ रही थी, बच्चों को भी घबराहट का सामना करना पड़ता है
पर कल वह ठीक था. कल उसने ड्राइविंग न जानने पर अफ़सोस जाहिर किया तो जून ने मजाक
में एक ऐसी बात कही जो उसे अच्छी नहीं लगी. जिस तरह का सवाल उसने पूछा था शायद
उसका वही उत्तर वह दे सकते थे. दुनिया में हर कोई सभी कुछ तो नहीं सीख सकता है.
फिर भी वह थोड़ा उदास हो गयी.
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