Thursday, March 13, 2014

पीपल का पेड़



कल शाम को जून का फोन आया, वह होटल जाने से पूर्व ही छोटी बहन के यहाँ उतर गये, अच्छी बात है अपनों के प्रति स्नेह और सम्मान प्रकट करना और मन में होना. कल रात भी स्वप्न देखे, अजीब से स्वप्न. नन्हा भी सुबह एक बार उठा, उसे हल्का जुकाम हो गया है, आज गणित का टेस्ट नहीं दे पायेगा. मौसम फिर ठंडा हो गया है. कल शाम जब वह उसे पढ़ा रही थी, एक मित्र परिवार आया, वे नन्हे के लिए किताबें लाये थे, इस साल उसके पास कई किताबें हो गयी हैं, पढने के लिए उचित माहौल घर में बन रहा है. स्कूल में भी है. कल शाम वह अकेले टहलने गयी, शाम ठंडी थी और सडकें लगभग खाली, घर से निकलते ही पीपल की सूनी टहनियों पर उगे नये कोमल पत्ते दिखे, एक पंक्ति मन में कौंधी जो अब याद नहीं है. हवा चेहरे को सहलाती हुई बह रही थी और आँखें जैसे हरियाली को पी लेना चाहती थीं. क्लब के सामने से गुजरते हुए महसूस हुआ कि पेड़ भी विद्यार्थियों की तरह हैं, कुछ ने नयी ड्रेस पहन ली है और तैयार हैं, कुछ ने अभी तक कपड़े नहीं बदले हैं, असम में पतझर नहीं होता इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण दिखा. आज सुबह ‘कन्हैया लाल प्रभाकर’ का निबंध पढ़ा, पढ़ाया, देश प्रेम की भावना से युक्त लेख मन पर असर करता है. अब से तीन बजे तक पांच घंटे उसके पास हैं, जिनमें एक भरपूर जीवन जीना है.

आज आखिर सफाई करने का मुहूर्त निकल ही आया और उसने नन्हे के स्कूल जाते ही काम शुरू कर दिया. साढ़े दस बजे तक तीनों कमरे स्वच्छ हो गये. घर आज बेहद अच्छा लग रहा है. उसके बाद भोजन, पत्रों के जवाब, विश्राम और दिन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला. एक सखी का फोन आया, उसने कल नन्हे और उसे लंच पर बुलाया है, कहने लगी, जून के न रहने से उन्हें अकेलापन लगता होगा, पर सच तो यह है कि उन्होंने अकेलेपन को स्वयं पर हावी नहीं होने दिया है, स्वयं को काम में व्यस्त रखकर और सामान्य दिनचर्या अपनाकर ही ऐसा सम्भव हुआ है. उनका कम्प्यूटर गोहाटी से रवाना हो चुका है शायद एक-दो दिनों में पहुंच जाये. कल स्कूल से आकर जब नन्हे ने किसी बच्चे से सुनी, डीपीएस में दाखिले के लिए किसी के एक लाख रूपये डोनेशन देने की बात कही तो कुछ देर के लिए तो वह सन्न रह गयी, पर फिर मन अपने रस्ते पर आ गया कि इस बात में कितनी सच्चाई है कहना कठिन है. जून के लिए एक पार्सल भी कोरियर से आया है, उन्हें फोन पर सारी खबरें देनी हैं, पर जब फोन आता है वह अन्य सब भूल जाती है.

They are ready to go to friends house, she and Nanha. Day is warm today, full of sun shine. Woke up at 6 am and taught till 8. Washed some clothes, linen etc, their Dhobi is away since last one and half month, washing machine is doing his job efficiently. Last night jun called and told about his presentation. His voice was nice to hear, clear and full of love, he is happy there, change of place and journey makes one happy generally. They are also fine, there is so much to do. They do not have a single moment to worry about , of course his presence is needed but he has made them strong enough. Just now phone rang but before Nanha had picked it up, it stopped. Who wants to talk to them… to two persons ?, who are going to share food with friends on this pleasant April noon !

आज पड़ोसिन ने दोपहर के खाने पर बुलाया है, नन्हा भी स्कूल से आकर वहीं खायेगा, सो आज का दिन भी व्यस्त रहेगा, आज संगीत की कक्षा भी है. उसने कल शाम और आज सुबह भी कुछ देर अभ्यास किया. फिर सोचा, देखें, उनकी कसौटी पर कितना खरा उतरता है उसका अभ्यास, शांत मन से बिना विचलित हुए अपना कार्य नियमानुसार करना, अपने आस-पास होती घटनाओं तथा प्राकृतिक सुन्दरता/बदलाव के प्रति सजग रहना ही एक सचेतन मन की निशानी है, जे कृष्णमूर्ति ने इस पुस्तक में बच्चों के लिए कई ज्ञानवर्धक उपयोगी बातें कही हैं लेकिन साथ-साथ वह यह भी कहते हैं कि बच्चों की उत्सुकता को, उनकी प्रश्न पूछते रहने की प्रवृत्ति को न दबाएँ, उन्हें खिलने, आगे बढने के लिए पूरा स्पेस दें, उन्हें अच्छी आदतें सिखाएं जरूर पर उन पर लादें नहीं बल्कि उन्हें इस योग्य बनाएं कि वह स्वयं अपना अच्छा-बुरा समझें, हर वक्त एक आज्ञा की छड़ी लिए उनके पीछे-पीछे फिरना उन्हें कुंठित करता है, वे एक स्वतंत्र व्यक्तित्त्व हैं और उन्हें हमारे स्नेह और सम्मान की जरूरत है न कि डांट-फटकार की, जून का फोन आज आयेगा, और दो दिन बाद वे लौट आएंगे, सम्भव है, बड़ा भांजा और छोटी भांजी भी उनके साथ आयें.  





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