Sunday, March 2, 2014

कपास के पुष्प



कल रीडर्स डाइजेस्ट में एक ऐसी किताब के बारे में पढ़ा जो आँख की पलक के इशारे से लिखवाई गयी है, वह लेखक कितना बेबस था पर अपनी विवशता को उसने अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. उसके पास सारे अंग सही-सलामत हैं फिर भी कविताएँ नहीं लिखीं, इस नये वर्ष में तो अभी तक एक भी नहीं ! आसमान में आज बादल है और उसके मन में भी, पिछले कई दिनों से ऐसा महसूस हो रहा है कि..किसी स्तर पर भीतर प्रेम सुप्त हो गया है, आज सुबह उठी तो पहला ख्याल यही आया, रात को सोई थी तो अंतिम भी यही था, हो सकता है यह उसका भ्रम हो पर...? सुबह चुनाव की खबरें सुनी, वही डेढ़ साल पहले की स्थिति है थोड़ी सी रद्दोबदल के साथ, बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, फिर खिचड़ी सरकार बनेगी और टूटेगी..पता नहीं यह सिलसिला कब खत्म होगा. कल दोपहर नन्हे को पढ़ाने में बीती, पहला इम्तहान अंग्रेजी का है. उसकी तैयारी हो चुकी है, इसीलिए निश्चिंत है. जब वह पेपर हल कर रहा था, उसने भी अपनी किताबें पढ़ीं, प्रश्न पत्र भी आये हैं, जिन्हें सितम्बर से पहले कभी भी भेज सकते हैं. शाम को गेस्ट हाउस गयी, क्लब की एक सदस्या आज जा रही हैं, किसी को भी विदाई देना मन को भारी बना जाता है, विदा लेने वाले का दिल भी जरूर भर आता होगा. वह महिला भी अपनी मिसाल आप थी. कल रात उसे दो स्वप्न दिखे, एक में उसकी असमिया सखी के  पुत्र को देखा, जो गोरा, बेहद सुंदर और कोमल लगा, वह सखी स्वयं साइकिल चलाकर उनके लिए कुछ लेने जा रही है. उनके बगीचे में कपास के वृक्ष पर सुंदर श्वेत पुष्प लगे हैं. दूसरे स्वप्न में नन्हा और वह एक लम्बी पैदल यात्रा पर जा रहे हैं, एक बूढ़ी औरत उन्हें रास्ता बता रही थी फिर वह अचानक गायब हो जाती है आगे निकल जाती है और वे अरुणाचल प्रदेश के किसी गाँव का पता पूछते-पूछते आगे बढ़ते हैं, रास्ते का नाम ‘चींटी पथ’ है.

अभी नन्हे को बस तक छोड़ कर आई, हर बार की तरह थोड़ा परेशान था, पडोस के बच्चे का भी यही हाल था. मौसम आज भीगा-भीगा है, रात भर शायद पानी बरसा है. आज सुबह जून ने नींद न आने की शिकायत की तो उसने अपने मन की बात उन्हें बता दी, पर सुनकर वे सामान्य थे, पर उनका यही सामान्य होना तो उसे असामान्य लग रहा है. आज दोपहर उसे हिंदी क्लास के लिए जाना है, जून को उसने कहा है कि नन्हे के साथ रहने के लिए वह आधे दिन की छुट्टी ले लें, पिछले हफ्ते भी उनके न रहने के कारण वह नहीं जा पायी थी. कल जून वे दोनों पुरस्कार लाये, जो उसे ऊर्जा संरक्षण प्रतियोगिताओं में मिले थे. एक छोटा कुकर और दूसरा दीवार घड़ी. उसकी थोड़ी सी मेहनत का इतना अच्छा फल, मेहनत का फल मीठा होता ही है.

अभी-अभी दो बार फोन की घंटी बजी, वह उठाती उसके पूर्व ही बंद हो गयी, सुबह उसे भी अपने फोन का जवाब नहीं मिला था, शायद वहीं से आया हो. कल जून को उसने दो बार सही बात नहीं बतायी, एक बार बताना तो इसीलिए नहीं चाहा कि वह उसे नन्हे को अकेले घर में छोड़कर जाने के लिए टोकते और दूसरी बार यूँ ही, क्या यह अधःपतन की निशानी है ? कितने आराम से वह झूठ बोल सकती है, इसका पता उसे भी नहीं था, क्या इसलिए कि वह आसानी चाहती है, कोई असुविधा या प्रतिकूल शब्द सहन नहीं कर सकती और वह इतनी कमजोर है कि सच के वेग को सह नहीं पायेगी, अपनी आत्मा पर बेवजह दाग लगा रही है, अपने आप को तो कोई धोखा नहीं दे सकता न, चाहे कितना भी सामान्य क्यों न हो, झूठ तो झूठ ही है न !

Today is world women’s day ie her day ! she realized her importance ie importance of being a woman. Nanha and jun are with her in the celebration, cause today is Sunday…jun made tea and now making “lunch”, special lunch for special day. She rang to her friends and wished them, all said they had forgotten that today was women’s day. Nanha is preparing for maths paper and asking who invented this subject ? he is doing well in exams.




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