Friday, March 21, 2014

खलनायक से साक्षात्कार


इस वक्त उसका मन उदास है, उसे जो कार्य सौंपा गया उसे पूरा नहीं कर पायी. उसका सर नीचा हुआ, क्लब के काम को अपना काम न मानकर जो भूल उसने की, उसी का खामियाजा भुगत रही है. अभी-अभी जून का फोन आया, उन्होंने उसका अधूरा कार्य पूरा करवाने की पूरी कोशिश की है. ड्राइवर जो उस दिन पांच एरिया में बुलेटिन नहीं बाँट पाया था आज उसे डांट पड़ी और अब दूसरे ड्राइवर को हाथ वे बुलेटिन भेजे हैं. उसकी मुश्किल थोड़ी आसान हुई है. कल मीटिंग है सो आज शाम तक सभी को सूचना मिल ही जाएगी. कल शाम वे एक मित्र के यहाँ गये, वापस आकर पता चला, नन्हे को ढेर सारे नोट्स उतारने हैं, फिर जून ने कहा फोटोकॉपी कर देंगे, स्कूल में पढ़ाई का बोझ यहाँ से काफी अधिक है. कल उसकी संगीत अध्यापिका ने विलम्बित सिखाया, उसे कठिन लगा.
कल शाम वह परेशान थी कि बुलेटिन नहीं पहुंचे हैं, नन्हा परेशान था कि स्कूल का कार्य शेष है, जून उन दोनों को परेशान देखकर परेशान थे, ऐसा लेकिन बहुत कम ही होता है, वे लोग ज्यादातर समय हँसते-खेलते ही रहते हैं. जब परेशानी हो तो छोटी-छोटी खुशियाँ भी कितनी मायने रखती हैं. लेकिन इतना तो आभास हुआ कि वह कितनी नाजुक है जो थोड़ी सी परेशानी से घबरा जाती है.
कल उसने कुछ नहीं लिखा, सुबह एरिया की महिलाओं को फोन करने में गुजरी और दस बजे बायीं तरफ की पड़ोसिन के यहाँ से होते हुए क्लब गयी. वह उदास थी, घर से खबर आई थी कि उसकी भांजी, जिसने इंजीनियरिंग पास कर ली थी और नौकरी कर रही थी सड़क दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गयी. दोपहर को कुछ देर कम्प्यूटर पर काम करने की कोशिश की. शाम को मीटिंग थी. पूरा दिन व्यस्तता में गुजरा, उसने नया सूट पहना था, नया पर्स लिया और नई चप्पल भी. सेक्रेटरी का फोन आने के बाद थोड़ी परेशान थी पर दीपक चोपड़ा की बात याद आ गयी, किसी भी बात पर हम क्या react करें यह हम पर निर्भर करता है. choice is always ours !  जून ने भी कहा जब कोई सही हो तो offensive नहीं deffensive होना चाहिए, mood change हो गया. words are very powerful ! कल जून बहुत सहयोग कर रहे थे, नन्हा भी क्लब जाते समय उसकी मदद कर रहा था, उसे लगा they are a close knit family and love each other very very much. आज जून ने children’s meet के लिए हिंदी की कविताएँ चुनकर रखने के लिए कहा है. सुबह दीदी और छोटी बहन से बात की, छोटी बहन महाराष्ट् जा रही है.


मई का महीना शुरू हो गया, यानि उसके जन्मदिन का महीना...सुबह जून ने कहा नये सूट के रूप में वह उपहार पहले ही दे चुके हैं, उसने नहीं माना. इतनी उम्र गुजर जाने पर भी मन जन्मदिन मनाने को उत्सुक रहे और उपहार की लालसा भी रखे, क्या यह अजीब नहीं लगता, पर ऐसा ही है और जून भी इस बात को जानते हैं. नौ बजने को हैं, आज सुबह ध्यान करते समय उसे पिछले दिनों सुनी दो मृत्यु की घटनाओं की स्मृति हो पायी, और दो रेखा चित्र अंकित हो गये, लेखन के लिए ऐसी ही स्वतः प्रेरणा की जरूरत होती है. कल हिंदी कविताएँ लिख कर दीं और अंग्रेजी कविताओं के लिए तीन किताबें भी, ईश्वर से भी प्रार्थना है कि तीनों किताबें सही-सलामत वापस लौट आयें. कल से नन्हे के यूनिट टेस्ट शुरू हो रहे हैं, वह काफी उत्साहित है, नये स्कूल में पहली बार सारे टेस्ट देगा और टीचर्स को पता चलेगा कि नये बच्चे कितने पानी में हैं. कल जून उसे हिंदी कक्षा से वापस छोड़ने आये तो वापस नहीं गये, उनके बॉस छुट्टी पर हैं तो वे भी छुट्टी के मूड में आ गये हैं. कल वह हिंदी का दूसरा पेपर हल करती रही, एक प्रश्न अभी शुरू ही नहीं किया, किसी फ़िल्मी खलनायक से साक्षात्कार लेने के लिए प्रश्नों की सूची. इतना कठिन भी नहीं है. इतवार तक फेयर करना शुरू कर देना होगा.

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