Tuesday, April 16, 2013

क्रोशिये की लेस



आज जून का दूसरा पत्र मिला, उसके पत्र कितने संयत हैं मगर कितने नेह भरे. उसकी इसी गंभीरता पर तो वह फ़िदा है. वह अपनी बात अच्छे शब्दों में कितनी आसानी से कह जाते हैं. नन्हा अब ठीक है पर कमजोरी का थोड़ा असर अभी बाकी है, ईश्वर ने चाहा तो कल वह बिलकुल स्वस्थ होगा. वह उसके लिए कैल्शियम टैबलेट्स लायी है और कल से दिन में तीन बार बायोकेमिक दवा भी देनी है. आज उसने भी पापा को एक पत्र लिखा है. आज मकान में मीटर भी लग गया व बिजली भी आ गयी है. दो बल्ब वहाँ लगवा दिए हैं, अब काम शुरू हो गया है तो मई के मध्य तक खत्म भी हो जायेगा फिर बाकी की तैयारी रह जायेगी. माँ ने उसे व नन्हे को उपहार में वस्त्र दिए हैं. 

  आज जून का फोन भाई के यहाँ आया पर उससे बात नहीं हो सकी, उसका समाचार मिल गया, मन को राहत हुई. यहाँ का फोन सुबह से डेड है, पता नहीं कल तक ठीक भी होगा या नहीं. अगर जल्दी ही ठीक हो जाये और तब वे उससे बात कर  सकेंगे. उसको आने में पूरा एक महीना रह गया है. उसने सोचा ..पूरा एक महीना...कैसे बीतेगा गर्मी का यह एक महीना. पिताजी ममेरे भाई की पत्नी की क्रिया में शामिल होने एक-दो दिन के लिए दूसरे शहर गए हैं, एक दिन उनके न रहने से कितनी मुश्किलों का सामना उन्हें करना पड़ा. दो बार माँ को नूना और नन्हे को छोड़कर जाना पड़ा, इतने बड़े घर में अकेले रहना अच्छा नहीं लग रहा था. माँ कड़कती धूप में बिजली वाले को बुलाकर लायीं, यह काम ठेकेदार का था पर वह हमेशा की तरह गायब था. शाम को भाई-भाभी आए, उसने क्रोशिये का गोल रुमाल भाभी को दिया, उन्हें पसंद आया, उसे अच्छा लगा. यू पिन तथा क्रोशिये से रेशमी धागे द्वारा लेस बनाना, ये दोनों काम उसे माँ से सीखने हैं. घिसाई करने से थोड़ा सा साफ फर्श निकल आया है, अच्छा लग रहा है.

   फोन अभी तक ठीक नहीं हुआ, उसने सोचा, शायद आज भी जून ने उससे बात करने प्रयत्न किया हो, जरूर ही किया होगा. आज बिजली ने बहुत परेशान किया, पूरी शाम अँधेरे में बीती, नन्हा शाम को दौड़ते समय गिर गया उसके बाएं घुटने में मामूली खरोंच आ गयी है. शाम को भाई के मकान मालिक उनका निर्माणाधीन मकान देखने आये, बढाई के काम की आलोचना कर रहे थे. शाम को उसे जून की बहुत कमी महसूस हो रही थी, उसे उनके साथ ही आना चाहिए थे, वह उससे कहे तो क्या आ पायेंगे, या जब दिल्ली आएं तो कुछ दिन के लिए ही यहाँ आ जायें. काम करवाने का भी एक ढंग होता है, वैसे तो देर-सवेर सभी काम हो ही जायेगा, पर वक्त पर पूरा हो जाये यह तो जून भी चाहेंगे. हजार तरह की मुश्किलें पेश आती हैं मकान बनवाने में, जो वे वहाँ बैठे-बैठे महसूस ही नहीं कर सकते थे. सबसे बड़ी समस्या अब जो आ रही है वह है बिजली, मीटर शायद ठीक से नहीं लगा है, और सिर्फ एक फेज में होने के कारण सुबह दिक्कत पेश आई. अब देखें कल का सूरज अपने साथ क्या लेकर आता है.  



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