Sunday, April 14, 2013

फर्श की घिसाई



रात को नन्हे को हल्का ज्वर था, भाई क्लीनिक ले गया, उसने भोजन नहीं खाया सिर्फ तुलसी, अदरक की ज्यादा दूध वाली चाय पीकर सो गया, सुबह उठा तो ठीक था.  शायद उस दिन के गरिष्ठ भोजन की वजह से ऐसा हुआ, अब उसका ध्यान रखेगी. उसे घर पर छोड़कर जाने से शायद वह धूप में चला गया हो, उसने सोचा, सचमुच उसे ज्यादा ख्याल रखना चाहिए. जून का एक खत मिला है पर वह उसी दिन का है जब उन्हें ट्रेन में बिठाकर वह वापस घर गए थे, शायद उन्हें भी उसका पत्र मिला हो. बढाई को आज आना था, अगर नहीं आया तो कल पिताजी को उसे बुलाने जाना होगा.  शाम को छोटा भाई-पेंटर भाभी के साथ आया था, वह अपने रंगों से उसकी पेंटिग पूरी कर के लायी थी, उसने जो रंग लाकर दिए थे, उन्हें वैसे का वैसा वापस ले आयी. भाभी ने अपने पेपर क्लीपिंग्स के शौक के बारे में बताया, उसके पास ढेरों कटिंग्स हैं. वे कुछ देर खानों में बारे में बातें करते रहे, उसने आइसक्रीम बनाने के विभिन्न तरीके भी बताए. पिताजी ने पूछा, संगीत क्या है ? नूना कुछ जवाब नहीं दे पायी. दरअसल उसे हारमोनियम बजाना अच्छा नहीं लगता क्योकि उसके साथ गाना पड़ता है, गाना उसके वश का नहीं है, वह भी किसी के सामने.
  कल रात को उसे नींद नही आ रही थी, बेचैनी सी महसूस हो रही थी. गरमी के कारण या भोजन के कारण, मगर उसने किसी को कुछ नहीं कहा, बरसों पहले एक बार ऐसा होने पर पिता की प्रतिक्रिया याद आ गयी सो वह चुप ही रही. सुबह उठी तो जैसे शक्ति कम हो गयी थी, धीरे-धीरे शाम तक सम्भल पायी, सुबह भाभी के साथ बाजार जाने का कार्यक्रम था, उसे कैंसल करना पड़ा, अब वे कल शाम को जायेंगे. जून का फोन आया था, घर के बारे में पूछा, पर उनका जवाब वही पुराना था, काम मजदूरों के न आने के कारण अटका हुआ है. दो दिन पहले ननद का फोन भी आया था, उसने ससुराल आने के लिए कहा, वह ठीक से जवाब नहीं दे पाई, फोन पर सोचने के लिए वक्त कहाँ होता है.

  आज वह वे दो सूट ले ही आई जिनके बारे में वहाँ घर में सोचा करती थी, जून को अवश्य पसंद आएंगे. अभी दुपट्टे लेने बाकी हैं. नन्हे के लिए एक ड्रेस, घर के लिए चम्मच, संडसी और एक चाकू  खरीदा. पिछले दो-तीन दिन से न तो उसका सुबह का व्यायाम हो रहा है न ही शाम का टहलना. कमर का घेरा बढ़ता ही जा रहा है. दोपहर बाद उसने सिंधी कढ़ाई से चादर काढ़नी शुरू की, माँ से हरे रंग से बेल बनाना सीखा, बहुत सिस्टमेटिक है यह कढ़ाई, बहुत धैर्य है माँ के भीतर, नूना बार-बार भूल जाती थी पर वह एक बार भी झुंझलाए बिना दुबारा-दुबारा उसे बताती रहीं, जैसे पहली बार बताया था. आज सुबह उसने जून को पत्र पोस्ट कर दिया, कल उसे सपने में देखा था, उनके साथ बैठना भला लग रहा था. मंझले भाई का खत आया है वह अगले महीने आयेगा उसके वापस जाने से पहले. आज सुबह घिसाई वाला भी आ गया और दोपहर में मीटर भी लग गया.





No comments:

Post a Comment