आज न ही कोई खत आया न फोन, पता नहीं आजकल पत्र इतनी देर से
क्यों मिलते हैं, जून
का पिछला पत्र पूरे सत्रह दिनों के बाद उसे मिला था. सुबह साढ़े पांच बजे ही नींद
खुल गयी, अमूमन उस वक्त शीतल हवा बहती है पर आज हवा ने छुट्टी ली थी. छत पर
व्यायाम करने गयी, कमर का घेरा बढ़ता ही जा रहा है, घी लगे फुल्के और ताजा मक्खन
लगाकर माँ परांठे खिलाती हैं. उसने सोचा जून भी अपने भोजन का ख्याल रखते होंगे. आज
पूरे घर की बाहरी दीवारों की सफेदी हो गयी है, कल से अंदर की होगी. शाम को आंधी-तूफान
के कारण बिजली गुल हो गयी थी, काले बादलों में बिजली इतनी तेज चमक रही थी कि शाम
के वक्त ऐसा लगने लगा जैसे सूरज चमकने लगा हो. फिर जैसे-जैसे शाम गहराती गयी,
अँधेरा बढ़ता गया, अंधेरे में तकिये में मुंह छिपाए नन्हा जैसे कुछ देख रहा था,
पापा को याद कर रहा था. उसे रोज नई कहानी सुनानी होती है, नानाजी के साथ जाकर ढेर
सारी कॉमिक्स भी लाया है पास में ही किसी दुकान से जो पच्चीस पैसे में एक दिन पढ़ने
के लिए देते हैं. कभी-कभी अकेले उसे संभालना मुश्किल हो जाता है, सुष्मिता सेन मिस
यूनिवर्स बन गयी है, कोई भारतीय जब किसी क्षेत्र में जब नाम पाता है तो कितनी खुशी
होती है न.
आज का इतवार भी तरबूज के नाम था, भाई परिवार
सहित यहीं आ गया था. आज घिसाई वाला आया था, पिता को उसकी बातों पर, उसके टालमटोल
पर आज क्रोध आया गया, पर बाद में वे बेहद परेशान थे. आज धूप तेज है, उसने मन ही मन
जून से कहा, तुम्हारे पास बादल हैं और मेरे पास धूप है.
कल दोपहर को जून का खत मिला, मन फूल की मानिंद
हल्का था, सुबह ही माँ किसी सम्बन्धी के यहाँ दसवें पर चली गयीं थीं. शाम को लौटीं
तो बुआ जी उनके साथ थीं, वे छोटे-छोटे रसगुल्ले लायीं थीं. ज्यादा मुखर होना हमेशा
पछतावे का कारण बनता है, उसे स्वयं पर संयम रखना चाहिए, जून भी यही चाहते होंगे उसने
सोचा. आज सुबह एक बार फोन की घंटी बजी, कहीं दूर से कोई आवाज आ रही थी, बेहद धीमी,
बात नहीं हो सकी, लाइन नहीं मिल रही थी शायद. उसने सोचा क्या जून ही थे उस पार. सुबह
उसने पिता के कहे अनुसार हिसाब की कापी से मुख्य मद्दों पर खर्च का जोड़ किया. आज
एक खुशी की बात और हुई, फर्श की घिसाई पूरी हो गयी, कल से वायरिंग का काम भी शुरू
हो जायेगा. शाम को माँ की एक परिचिता आई थीं, नूना को साड़ी पहने देखकर कहने लगीं, साड़ी
उस पर अच्छी लगती है. वह धीरे-धीरे बोलती हैं, चलती भी धीरे-धीरे हैं. शाम को
नन्हे और भतीजी ने कवितायें सुनायीं, सबको बहुत आनंद आया.
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