कल नन्हे की मित्र की माँ से बात की, ये लोग चाहते हैं, अभी कोई भी रस्म
कुछ महीने बाद की जाये, वे भी यही चाहते हैं, पिताजी के रहते जो काम नहीं हो सका
अब उनके जाने के बाद इतना शीघ्र करना उचित भी नहीं है. वैसे इस महीने वे लोग आ रहे
हैं. नन्हे का जन्मदिन वे साथ मनाएंगे, सुबह हवन होगा शाम को चाय-पार्टी. अभी-अभी
उसने अपने पिताजी से बात की, छोटी भतीजी का चुनाव AIMS व KGMC में भी हो गया है.
उसने मेडिकल के लिए जितने भी इम्तहान दिए थे, लगभग सभी जगह उत्तीर्ण हो जाएगी.
कल शाम वे एक मित्र
परिवार से मिलने गये, वृद्धा आंटी को नन्हे के विवाह की बात सुनकर बहुत ख़ुशी हुई.
दो दिन बाद वह आ रहा है, दिन तब व्यस्त हो जायेंगे. आज सुबह सुधांशु जी ने कितनी
सुंदर बात कही, उन्हें अपनी कीमत बढ़ानी है न कि घटानी है. उम्र के साथ उनकी समझ भी
परिपक्व होनी चाहिए. कल रात वर्षा शुरू हुई जो आज सुबह तक लगातार होती रही. बगीचे
में पानी भर गया है, शायद शाम तक सूखेगा, बाहर का नाला भी लबालब भर गया है. इस समय
थमी है, बगीचा हरियाली का एक पुंज नजर आ रहा है.
पांच दिनों का
अन्तराल ! उस दिन नन्हे के आने की तैयारी, अगले दिन वह आया, उसके दो दिन बाद बाकी मेहमान आये, पता ही नहीं चला समय कैसे
बीत गया. आज सब चले गये हैं, घर में वे दोनों ही रह गये हैं. अब कुछ अन्य कार्य
करने का समय आ गया है. पहले घर को पुनः व्यवस्थित करना है, फिर सेवा कार्य शुरू
करना है. फ़िलहाल तो दो छात्राएं आ रही हैं, उन्हें पढ़ाना है. नैनी व उसके पति ने,
जो एक कुक है, कल खाना बनाया, सबको पसंद आया, उन्हें इनाम देना है. जून ने कितनी
अच्छी तरह मेहमानों की देखभाल की, कुल मिलाकर अच्छा रहा यह मिलन समारोह ! परमात्मा
की कृपा ही तो है यह ! नन्हे ने भी बहुत सहजता से सभी कार्यों में हिस्सा लिया, सब
कुछ ठीक-ठाक हो गया, नन्हा खुश रहेगा क्योंकि खुश रहना उसे आता है. मौसम भी बहुत
सुहावना रहा पिछले दिनों..
नन्हा उसके लिए टेबलेट
लाया है. उस पर काम करना सीखना है.
किताबें पढनी हैं. उसने सभी के लिए कविताएँ लिखीं, जून ने सभी के फोटो चुनकर लगाये
और उन्हें भेज दिया. सुबह धूप निकली थी, पर साढ़े नौ बजते न बजते बदली छा गयी और
बरस भी गयी. उन्होंने सारे कारपेट बाहर निकले थे, आज साप्ताहिक सफाई का दिन था.
जल्दी-जल्दी सब अन्दर किये, नैनी पूरे मन से काम करती है, सफाई कर्मचारी भी ठीक से
काम कर रहा है आजकल. फिर नैनी के पति ने बाहर चारों ओर का जाला साफ किया, गैराज का
भी. इतने बड़े घर को साफ-सुथरा रखना अकेले का काम नहीं है. सुबह माली आया था, गुलदाउदी
के लिए गमलों की तैयारी शुरू हो गयी है.
नन्हे के लाये टेबलेट
पर कहानी पढ़ रही है, शिवा की कहानी, अच्छी लग रही है. परसों स्वप्न में सद्गुरू को
देखा था, वह उनसे बात कर रही थी, उनके साथ वही रिश्ता है, जो उसका खुद के साथ है,
तभी इतना अपनापन है, कैसा आश्चर्य है वह असीम परमात्मा ससीम देह में प्रकट हो जाता
है, वह तो सभी के भीतर है पर किसी-किसी में नजर भी आने लगता है. मन का दर्पण यदि
स्वच्छ होगा तो उसमें वह झलक ही जायेगा, उस पर तेल लगा हो या धूल जमी हो तो
प्रतिबिम्ब स्वच्छ नजर नहीं आता.
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