शाम के साढ़े छह बजे हैं. जून अभी कुछ देर पूर्व डिब्रूगढ़ से
पिताजी को इंजेक्शन लगवा कर आये हैं. वे बहुत थक गये हैं, तीन-चार बार कह चुके हैं
कि उनके लिए रोटी न बनाई जाये. वह चाहते हैं कि सब उनके साथ सहानुभूति दिखाएँ,
उनके दुःख को समझें और उन्हें मनाएं, पर उन दोनों को ही यह कला नहीं आती. जून तो
चार घंटे से उनके साथ ही थे, आते ही कम्प्यूटर पर अपना नया मॉडेम लगाकर बैठ गये
हैं. वह कुछ देर पहले टहल कर आई थी, भोजन बना रही थी जब वे आये. गर्मी भी एकाएक बढ़
गयी है. उनका दुःख कम करने के लिए वह क्या कहे उसे समझ नहीं आता. वैसे भी जरूरत से
ज्यादा बोलना उसे अच्छा नहीं लगता. पिताजी लेट गये हैं चुपचाप. आज सुबह कैसा अजीब
सा स्वप्न देखा था. नन्हा और वह छत पर हैं, एक किनारे जंगल जैसा खुला क्षेत्र है,
अचानक काले-काले और ठिगने जानवर छत पर कूद-कूद कर आने लगते हैं. हाथी जैसे या
गैंडे जैसे हैं वे. वह नन्हे को बचकर भागने के लिए कहती है. छत के बीच में सीढ़ियाँ
हैं, जब खुद उसे जाना होता है तब एक को पैर से कुचल कर वह आगे सीढ़ियों की तरफ जाती
है, तभी नींद खुल जाती है. कल रात नन्हे से बात नहीं हो पायी थी. सुबह यह स्वप्न
देखने के बाद उससे बात की तो कहने लगा, एक जानवर से तो पीछा छूट गया अब और जानवर आ
गये. वह समझदार है, स्वयं को सम्भाल लेगा. आज दोनों भाँजियों से भी बात हुई, वे
दोनों इसी वर्ष माँ बनने वाली हैं, एक जून में एक अगस्त में. रेल से देखे दृश्यों
पर उसने जो कविता लिखी थी, उस पर कई कमेन्ट आये हैं. बहुत दिनों से ‘बाल्मीकि
रामायण’ की पोस्ट नहीं लिखी.
अभी कुछ देर पूर्व
ही जून का फोन आया, उन्हें बड़ा घर मिल गया है. आज दोपहर बाद ही वे देखने जायेंगे,
अगले छह वर्ष उन्हें उस घर में बिताने होंगे. कल शाम ही क्लब की एक सदस्या का फोन
आया, उसे अगले वर्ष की क्लब की कमेटी में रहना होगा. अच्छा है उसने सोचा, बड़े घर
में मीटिंग करने में आसानी होगी. एक भतीजी को भी आना है और ममेरी बहन की बेटी को
भी, दोनों नये घर में आएँगी, नन्हे को भी आना है और उसके एक मित्र को भी, वे भी उस
घर में कुछ दिन रह सकेंगे. इस घर से उनका बोरिया-बिस्तर अब उठने वाला है. आज सुबह
भी कैसा अजीब स्वप्न देखा, पिताजी का क्रोध..क्या यह उसके ही मन की आवाज थी. वे
उनका ज्यादा ध्यान नहीं रख रहे इसलिए शायद वे क्रोधित हों, ऐसा उसे लगा होगा. पिताजी
का मूड खिल गया है नये घर में जाने की बात सुनकर, अब कुछ दिन वे अपनी अस्वस्थता
भूले रहेंगे. जीवन एक नयी करवट लेगा. उसे इस लेन की महिलाओं को चाय पर बुलाना था,
वह बात भी अब पूरी हो जाएगी.
पिताजी कल शाम से ही
कमजोरी महसूस कर रहे हैं. आज का अख़बार उन्होंने छुआ भी नहीं. जून ने शिलांग से
ड्राइवर को फोन कर दिया, सो उसने नये घर में लॉन मोअर पहुंचा दिया है, वहाँ लॉन की
सफाई का काम शुरू हो गया है. कल शाम जून आकर देखेंगे, क्या-क्या काम करवाना है. आज
सुबह नींद खुली, अभी उठती है, सोचकर पल भर को आँख बंद की तो स्वप्न लोक में पहुंच
गया मन, सुंदर लाल रंग के फूलों से भरा कोना. एक बेंच पर बॉलीवुड के एक हीरो बैठे
हैं, जून भी हैं. मन कितने ख्वाब बुनता है, छल करता है. प्रकृति की गहराई में जो
अबदल छिपा है, उस पर टिकने से मन खो जाता है !
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