Monday, September 26, 2016

ओबामा की किताब


नवम्बर का आरम्भ हो चुका है. दो दिन बाद दीवाली है. आज सुबह एक सखी के साथ मृणाल ज्योति गयी, बच्चों के लिए मिठाई और नमकीन लेकर. प्रिंसिपल ने बताया उन्हें व्यावसायिक शिक्षा की योजना के अंतर्गत लड़कियों के लिए सिलाई स्कूल खोलना है, यदि मिल सकें तो पुरानी मशीनें चाहिए. वे लोग लेडीज क्लब में सूचित कर देगीं. इसी माह के अंत में नेशनल ट्रस्ट का एक कार्यक्रम भी है, जिसमें किसी हुनर को सिखाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, इन बच्चों को भी तो बड़े होकर अपने पैरों पर खड़ा होना है. दीवाली के लिए सुंदर दीये भी बनाये हैं वहाँ के बच्चों और अध्यापिकाओं ने, जिन्हें को-ओपरेटिव स्टोर में बिक्री के लिए रखने कल वे आयेंगे. आज लेडीज क्लब की पत्रिका के लिए कोई नाम का सुझाव देने के लिए फोन आया. एकता में अनेकता, मेल, मित्रता, मिलन, सहयोग, भागेदारी, अपनापा, समन्वय, मिलाप, सहभागिता को व्यक्त करता हुआ कोई एक शब्द. वार्षिक उत्सव आने वाला है.

जून और पिताजी कोलकाता गये हैं, परसों आयेंगे. घर में माँ और वह है. उनका होना और न होना बराबर है, चुपचाप बैठी रहती हैं. वह एक सखी के आने की प्रतीक्षा कर रही है, उसने आने की बात कही थी. कल उसकी एक कविता पर काफी लम्बी टिप्पणी पढ़ने को मिली, ज्ञान बढ़ा और लगा कि दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो परमात्मा से उसी तरह मिले हुए हैं जैसे कभी-कभी वह मिलती है, जब केवल वही रहता है, तब दो नहीं होते, वैसे तो दो कभी भी नहीं होते, दो परिधि पर होते हैं, लहरें सतह पर ही तो हैं, वह सदा ही है, एक ही है, वह उनका मूल है, कितना आश्वस्त करती है यह बात...

पिछले कुछ हफ्तों से डायरी नहीं लिखी, पहले मेहमान फिर सभी के लिए उनके व्यक्तित्त्व को दर्शाती हुईं कविताएँ...समय इसी में गुजर गया. आज फुर्सत है. दोपहर के डेढ़ बजे हैं. मौसम ठंडा है बादलों के कारण, नवम्बर की सर्दी के कारण नहीं. वह ध्यान कक्ष में है. माँ-पिताजी अपने कमरे में सोये हैं. माँ उठकर बिस्तर के पास वाली कुर्सी पर बैठ गयी होंगी, वह वहीँ घंटों बैठी रहती हैं. बच्चों जैसी बातें करने लगी हैं, हँसी आती है उन सबको उनकी बातों पर, लेकिन बुढ़ापे में उनका भी क्या हाल होने वाला है यह तो भविष्य ही बतायेगा. जून को इसी हफ्ते मुम्बई जाना है. बड़ी ननद के ज्येष्ठ की अचानक मृत्यु हो गयी है. जब वह उन्हीं के घर में रात को भोजन के बाद सोये थे. जीवन कितना क्षणभंगुर है. नन्हा कल हस्पेट गया था मोटरसाईकिल से. आज वापस जा रहा है. उसका फोन अभी तक नहीं आया है, वह सकुशल होगा. जून छोटी बहन की किताब को आकार दे रहे हैं. वह वापस जाने वाली है आज ही. बड़ी बहन से कई दिनों से बात नहीं हुई है. परसों बड़े भाई का जन्मदिन है और दो दिन बाद उनकी बिटिया का, वह दोनों के लिए कविता लिख सकती है. सर्दियों के फूल खिलने लगे हैं, यहाँ उनके क्लब में भी वार्षिक उत्सव की तैयारी शुरू हो गयी है, उसने बहुत दिनों से कोई पुस्तक भी नहीं पढ़ी है. आज लाइब्रेरी जाकर ओबामा की किताब वापस करनी है. कल से वे सत्संग का समय शाम पांच बजे से कर रहे हैं, आजकल अँधेरा चार बजे के थोड़ा बाद ही शुरू होने लगता है. इस समय कितनी शांति है. नैनी के बेटी के रोने की आवाज आ रही है और कौए की कांव-कांव भी सुनाई दे रही है, घड़ी की टिक-टिक कितनी स्पष्ट सुनने में आ रही है. परसों विश्व विकलांग दिवस है, वह ब्लॉग पर मृणाल ज्योति के बारे में लिखेगी.


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