आज बाबाजी ने बताया, ‘अहंता’
और ‘ममता’ ही दुखों का कारण है. उन्होंने एक सरल साधन भी बताया जिससे भीतर
विश्रांति का जन्म होता है. शनिवार को जून उसे ऑफिस ले गये. eSatsang से श्री श्री
की एक छोटी सी टॉक डाउनलोड की Ultimate relationship पर बोल रहे थे. वह इतने प्यार
से इतनी अच्छी बातें बताते हैं, उनका ज्ञान अनंत है. कल शाम को एक परिचिता आयीं,
उनकी सास icu में हैं, वह उनके दुःख को अनुभव कर पा रही थी. अंतर में प्रेम हो तभी
यह सम्भव हो सकता है अन्यथा तो दूसरों की पीड़ा ऊपर से छूकर ही निकल जाती है. स्वयं
को यदि ज्ञान में स्थिर करना है तो उसका लक्ष्य प्रेम ही रखना होगा, अन्यथा यहाँ
भी स्वार्थ ही है. अपनी आत्मा का विकास मात्र स्वयं के लिए, अपने सुख के लिए...
नहीं, अपने ‘स्व’ का विस्तार करते जाना है, सबको अपना सा देखना है. तभी मुक्ति
सम्भव है. जितने-जितने उदार वे होते जायेंगे, जितनी देने की प्रवृत्ति बढ़ती जाएगी,
लेने की, संग्रह की प्रवृत्ति घटती जाएगी उतने ही स्वाधीन वे होते जायेंगे.
आज नन्हे का जन्मदिन है. सुबह ससुराल से फोन आया. बड़ों का आशीर्वाद मिले तो
जीवन का पथ सरल हो जाता है. भाई-भाभी व पिताजी का फोन भी आया. सभी परिवार जन आपस
में प्रेम के धागों से ही तो जुड़े हैं. यह सूक्ष्म भावना बहुत प्रबल है. यही प्रेम
उन्हें बार-बार इस जगत में खीँच लाता है, लेकिन जब इस प्रेम की धारा ईश्वर की ओर मुड़
जाती है तो मुक्त कर देती है, क्योंकि उसके सान्निध्य में रहने के लिए उन्हें इस
तन में आने की क्या आवश्यकता, वे जहाँ कहीं भी हों उसे चाह सकते हैं. आज अमावस्या
है, ईश्वर का स्मरण करते हुए दिन का आरम्भ हुआ. उसे लगता है जिससे उन्हें ममता है
उन्हें सुखी वे इसलिए करते हैं कि वे स्वयं सुखी हों. अपनी ख़ुशी के लिए ही वे
दूसरों को कुछ देते हैं. ममता में स्वार्थ है पर प्रेम निस्वार्थ है. प्रकृति के
गुणों के वशीभूत होकर ही ममता में बंधते हैं. ईश्वर को प्रेम करने में वे स्वतंत्र
हैं. ईश्वर के नाते ही सारे सम्बन्ध हों तभी मुक्ति है.
आज सुबह बहुत दिनों बाद ऐसा हुआ कि वह ‘क्रिया’ नहीं कर पायी. नन्हे के एक
मित्र के लिए भी टिफिन बनाना था सो जून ज्यादा सचेत थे. कल शाम को बड़ी बुआ का फोन
आया, उनकी बेटी के बड़े पुत्र का चुनाव एयर फ़ोर्स में हो गया है. वह सत्संग में गयी
थी, जून ने बताया. वहाँ शुरू में उसका मन स्थिर नहीं रह पा रहा था पर धीरे धीरे
गुरूजी से मानसिक प्रार्थना करने के बाद अच्छा लगा. कुछ देर पहले दीदी से बात हुई,
जीजाजी के जन्मदिन पर उन्होंने घर पर उगाया हुआ तरबूज काटा. बड़ी भांजी CA बन गयी
है, उसकी पांच साल की पढ़ाई पूरी हो गयी. कल छोटे भांजे को लेकर वे दिल्ली जा रहे
हैं. परसों उसे हास्टल ज्वाइन करना है. पूजा की छुट्टियों में फिर घर आयेगा. नन्हा
भी एक दिन ऐसे हॉस्टल जायेगा. दीदी खुश थीं, वह भी ईशप्रेम में सदा खुश रहती आयी
हैं.
कल रात सिर दर्द के कारण उसकी नींद खुली, कुछ देर बैठी रही फिर धीरे-धीरे शवासन
में लेटे हुए कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला. आज छोटी ननद का फोन आया, ननदोई जी ने
aol के एडवांस कोर्स का फार्म भरा है, उन्हें अभी इसके लिए काफी लम्बा इंतजार करना
होगा. ‘क्रिया’ वे नियमित करते हैं और जून को लगता है यह बहुत है.
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