Monday, July 1, 2013

बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत


आज आखिर असमिया का गृहकार्य पूरा हो गया, मैडम ने पत्र लेखन का कार्य दिया था, जो उसके लिए कुछ कठिन था. जून को भी अभी तक समय नहीं मिल पाया है, आज वह  लंच पर भी नहीं आ रहे हैं, सुबह टिफिन साथ लेकर गये हैं, उसने सोचा है जब जोरों की भूख लगेगी तब अपने लिए फुल्के सेंकेगी. वह स्नानघर में थी तब एक फोन बजा, पता नहीं किसका हो, शायद जून का ही हो. आज भी मौसम बादलों भरा है, लगता है इस बार गर्मियां पड़ने वाली ही नहीं हैं. कल रात कुछेक मधुर स्वप्न देखे, एक में जूही चावला को भी देखा, सुंदर कपड़ों के ढेर में.

उस दिन सिलचर से आते वक्त मन में कितने प्रण किये थे, स्वयं से कितने वायदे किये थे, किन्तु किसी ने सही कहा है, मैन प्रपोज़ेज गॉड डिस्पोज़ेज, ईश्वर की यही इच्छा है कि वह अपना जीवन जून और नन्हे की देखभाल करते हुए घर का माहौल शांत व सुखद रखते हुए बिताये, घर से बाहर जाकर काम करना अथवा घर में रहकर भी ऐसा काम जिसमें आर्थिक लाभ हो उसके वश में नहीं है. यूँ देखा जाये तो उन्हें इसकी जरूरत भी नहीं है. नन्हा उनके साथ रहकर ही अच्छी तरह पढ़ सकता है, उसे हॉस्टल भेजने का ख्याल दिल से निकाल देना ही बेहतर होगा. जिन्दगी जैसी है उसे वैसी ही जी जाये तो इसमें तनाव कम है. कल जून पौने चार बजे आ गये थे, थके हुए थे पर उसके कहने पर असमिया कक्षा के लिए मान ही  गये. पत्र में ज्यादा गलतियाँ नहीं थीं, पर मैडम के पढ़ाने का तरीका कुछ अनोखा ही है, वह  उनसे पूछ कर उन्हें पढ़ाती हैं. खैर, उन्हें पढ़ना अच्छा लगता है. कल शाम उन्होंने नन्हे का नया बोर्ड गेम खेला जो उसके जन्मदिन पर लाये थे, अत्यंत रोचक खेल है.

आज भी मूसलाधार वर्षा हो रही है, नौ बजे नन्हे को बस में बैठाकर जब घर में दाखिल हुई तो मन कृतज्ञता से भर गया. कितनी भाग्यशाली है वह कि एक सुंदर सा घर दिया है ईश्वर ने. वर्षा, धूप, गर्मी और दुनिया भर की आपदाओं से मुक्त एक छत, जिसके नीचे वे सुरक्षित हैं. कैसे रहते होंगे वे लोग जिनके पास कोई घर नहीं होता. नन्हा अवश्य ही स्कूल बस से उतरकर कक्षा में जाते वक्त भीग गया होगा. अभी कुछ देर पूर्व उनकी बैक डोर पड़ोसिन का फोन आया, बाढ़ पीड़ितों के लिए पुराने कपड़े चाहियें, शाम को ही जून से कहकर सूटकेस उतरवाएगी, कुछेक कपड़े निकल ही आएंगे. कल का नन्हे के नाम पत्र व जन्मदिन का कार्ड आया, दीदी से छोटी बहन हर बार मिल पाती है, वह खुद कब मिल पायेगी ईश्वर ही जानता है.
उसने भी नन्हे के लिए जन्मदिन का गीत लिखा..


हवा, पानी और इस संसार की जितनी भी अच्छी चीजें हैं
इस जन्मदिन पर उन्हें ईश्वर का उपहार मानकर देखो
प्यार जो नसों में खून के साथ बहता है
हँसी जो शिराओं में हर उस वक्त खुली रहती है, जब मन साफ-शफ्फाफ होता है
प्यार, हँसी और इस संसार की जितनी अच्छी खुशबुएँ हैं
इस साल उन्हें उपहार मानकर देखो ! 

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