अभी-अभी बैडमिन्टन का एक थकाने वाला गेम खेलकर
प्रसन्नचित वह घर वापस आई है, जून सवा छह तक आएंगे, घर कितना शांत है, केवल घड़ी की
टिक-टिक सुनाई दे रही है. नन्हा पढ़ाई में व्यस्त है सो लिखने का यह सर्वोत्तम समय
है कम से कम उसके लिए, वरना लिखने वाले तो ट्रेन में भी लिख लेते हैं. दरवाजा
खोलते समय नन्हे ने कहा, नैनी की बेटी आयी थी, जरुर कोई छोटी-मोटी वस्तु मांगने आई
होगी, वह कुछ देर बाद पूछेगी, अभी तो साँस तेज चल रही है, आते वक्त सड़क खाली थी तो
कुछ दूर तक दौड़ कर आयी, उसे अच्छा लगता है ठंडी हवा को चेहरे पर महसूस करते हुए हल्के
धुंधलके में अकेले चल कर आना, पीपल की पत्तियों से झांकता चाँद (पूर्णिमा का लगता
है) देखकर मन में एक कविता जग उठी. अभी पौने छह बजे हैं, बाद में वे सब एक मित्र
परिवार से मिलने जायेंगे. यहाँ बैठक के इस कोने में मच्छर मोजों के ऊपर से पैरों
में काट रहे हैं, उसे आश्चर्य हुआ, इतनी ठंड में भी मच्छर सही-सलामत हैं.
अभी-अभी वह घर लौटी है.
सुबह के व्यायाम के बाद उसे जैसा अच्छा महसूस होता है, वैसा ही खेल कर भी. जून ने
आज उसे एक गाइड दी है ‘अक्षर’, जो कम्प्यूटर पर हिंदी में काम करने में सहायक है,
आज से वह इसे पढ़ेगी और शनि व रविवार को अभ्यास करेगी. जहाँ चाह वहाँ राह..कितनी
बार और कितने तरीकों से ईश्वर उसकी सहायता करते हैं, वह उनकी आभारी है.
आज शनिवार है, सुबह नींद
अपने आप ही जल्दी खुल गयी, नन्हे का अवकाश है. आंवले का मुरब्बा बनाने का दूसरा
चरण शुरू हुआ. शाम को जून के दफ्तर गये, कम्प्यूटर पर हिंदी में कुछ पंक्तियाँ
लिखीं और एक गेम खेला. बाजार से गाजर-पालक के बीज और फ्लौस्क के बीज लिए, जो कल
सुबह लगा देंगे. कल शाम पंजाबी दीदी के पति उनका एक खत और कुछ पकवान लेकर आये,
उन्होंने रिटायर्मेंट के बाद एक कम्पनी ज्वाइन कर ली है, उसी के सिलसिले में आए
थे.
अभी कुछ देर पूर्व ही वे
सांध्य भ्रमण से वापस आए हैं और उसे रास्ते भर यह अहसास होता रहा, रोज वह वास्तव
में अकेली होती थी आज साथ होते हुए भी अकेली है, जून चुपचाप रहे सारे रास्ते, शायद
किसी चिंतन में व्यस्त, और संवाद हीनता की यह स्थिति भी शायद वही महसूस कर रही है,
अन्यथा वह इसे दूर करने का प्रयास तो करते ही. किसी ने सच कहा है डायरी भी एक
मित्र के समान है यदि किसी के पास कोई ऐसा नहीं जिससे वह दिल की बात कह सके तो
इसके पन्नों को ही हाले-दिल सुना दे, सब कुछ सुनकर वे दिल का भार तो हल्का कर ही देगें.
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