Thursday, July 4, 2013

आलू-प्याज की सब्जी


अभी कुछ देर पूर्व बिजली चली गयी, मौसम भी आज अपेक्षाकृत गर्म है, नन्हे का स्कूल २० तक बंद है, आज सोलह तारीख है. जून के जाते ही हमारा नया माली काम करने आ गया, चुपचाप सारे काम कर देता है. वह सोच रही थी कि कुछ देर नन्हे को पढ़ाने का वक्त मिल जायेगा पर उन्होंने अभी फोन करके एक मित्र को भोजन पर साथ लाने की बात कही, एक सब्जी और बनानी थी, पर घर में आलू-प्याज के आलावा कुछ भी नहीं, देखें जून को यह आलू-प्याज की सब्जी पसंद आती है अथवा नहीं. पिछले हफ्ते उसकी पुरानी पड़ोसिन लौट आई, इतवार तक उनके साथ ही वे व्यस्त रहे, सोमवार को जून का जन्मदिन था, नन्हे का स्कूल बाढ़ के कारण बंद चल रहा था, कल उन्होंने पन्द्रह अगस्त मनाया सुबह अपने घर में छोटी सी पार्टी, शाम को एक मित्र के यहाँ गये. अचानक उसे किचन याद आ गया और लिखना छोड़कर वह बाकी काम निपटाने चली गयी.

समाचारों में सुना फिरोजाबाद के पास कालिंदी व पुरुषोत्तम एक्सप्रेस में टक्कर से भयंकर दुर्घटना. उसे ट्रेनों के नाम पर आश्चर्य हुआ, कालिंदी यमुना का नाम है और पुरुषोत्तम कृष्ण का, जैसे यमुना का जल उमड़ आया था कृष्ण के चरण छूने, वैसे ही कहीं..दोनों की टक्कर..

मन एक गाय है जो ‘मैं’ के खूंटे से बंधी
एक संकुचित दायरे में अनवरत घूम रही है
दूर.. जहाँ तक दृष्टि जाती है
नीले पहाड़ों के नीचे
घाटियों में है चाँदी सी चमकती जल धारा
वह उस मीठे पानी की ठंडक महसूस करना चाहता है  
लेकिन अपने अहम् के दायरे में ‘मैं’ के दायरे में बंधे होना उसकी नियति है
उसके इर्दगिर्द की हरियाली सूख गयी है
ऊपर तपता हुआ सूरज है
और सुदूर.. मैदानों में ठंडी छाँव
पर उस छाँव तक पहुंच पाना कितना दुर्लभ है
और ‘मैं’ के खूंटे से बंधे रहना कितना सुलभ....

Yesterday night she was feeling so helpless. She could not sleep much and then she thought above poem. It shows the true state of her mind. Jun has more stable mind. He is so calm and she does,nt know why did she behave so badly. She must be above the mere myness . There are others also beyond me and true happiness one can get only when he/she forgets him/herself. She shall always remember this and she knew this yesterday also when she was furious for nothing.


सुबह की शुरुआत ‘जागरण’ के साथ हुई. अन्तर्मुखी होकर ही अपने अंदर परमात्मा से साक्षात्कार किया जा सकता है. प्रतिदिन आधा घंटा ध्यान का अभ्यास करना होगा. नन्हा आज बहुत दिनों के बाद स्कूल गया है, सो सुबह तैयार होने में नखरे कर रहा था, कहा, ‘अच्छा नहीं लग रहा है’, शायद उसने नूना को ऐसा कहते सुना होगा, बच्चे नकल करने में होशियार होते ही हैं. जून तभी कहते हैं वह उस पर गया है. आजकल वे नियमित खेलने क्लब जाते हैं, अच्छा लगता है, तन-मन दोनों शक्ति से भर जाते हैं.

No comments:

Post a Comment