Wednesday, March 20, 2013

सिडनी की आग




आज छोटी बहन का पत्र व कार्ड मिला, जून के दफ्तर से उनके सहकर्मी आकर दे गए. सुबह रोजमर्रा के कार्यों में गुजर गयी. दोपहर को बरामदे में रखे गमलों की सफाई-निराई की, उनमें पानी दिया, एक घंटा उसमें लग गया, फिर मन न जाने कहाँ-कहाँ की बातें सोचने लगा, मन बहलाने को पड़ोसिन से मिलने उसके घर गयी, साथ बैठकर स्वेटर बनाया, चायनीज चेकर खेला, टीवी देखा, और फिर घर आकर नन्हे का इंतजार. शाम को वे दोनों घूमने गए और फिर वह पुरानी डायरियों में उस कविता की खोज में लग गयी जो क्लब की पत्रिका में छपने के लिए देनी है. सारी शाम इसी में निकल गयी, एक कविता व लेख चुना तो है. उसे जून का ख्याल हो आया, कल उनका सेमिनार है, जिसके लिए वह गये हैं. आज सुबह ही क्लब से भी विवाह की सालगिरह का कार्ड मिला. हो सकता है आज रात वह उसे स्वप्न में देखे. सरस्वती पूजा के लिए चंदा मांगने फिर एक ग्रुप आया था, उसने छूटते ही मना कर दिया और वे लोग चले गए.

 सुबह उठते ही मन ही मन उसने जून को मुबारकबाद दी, बाद में उसके उपहार के लिए धन्यवाद भी दिया जो नन्हे ने सुबह उठते ही अपनी बधाई के साथ उसे दिया, एक सुंदर कार्ड व चॉकलेट ! जो जून उसे देकर गए थे. वह आजकल जरा भी नखरे नहीं करता है, अच्छे बच्चे की तरह उसका हर कहा मानता है. आज सुबह ठंड ज्यादा थी, नन्हे के जाने के बाद बाहर के गमलों की देख-रेख की, फिर तीन कवितायें उतारीं, पत्रिका में देने के लिए. दोपहर को कुछ देर कढ़ाई की. फिर शाम को नन्हे के साथ अपने घर के सामने वाली सड़क पर घूमने गयी. शाम को पहले उसकी बंगाली सखी आयी, फिर असमिया सखी जो साथ में कचौडियाँ भी लायी थी. और बाद में उड़िया सखी, स्वीट डिश में चॉकलेट बहुत काम आई. कुल मिला कर शाम अच्छी रही, सिर्फ जून की कमी खल रही थी. कल स्वप्न में उसने सचमुच जून को देखा, कह रहा था, दीदी लोगों से मिलने रात को दो बजे गया, सपने तो सपने ही होते हैं आखिर.

  आज पांचवी रात है यानि लगभग आधे दिन बीत गए हैं. उसने सोचा वह भी सोने की तैयारी कर रहे होंगे. दोपहर को नन्हे की पसंद पर अरहर की दाल की खिचड़ी बनाई उसने, सुस्वादु थी. आज लौंग स्टिच की कढ़ाई का कार्य पूर्ण हो गया, अब उसे फ्रेम करवाना होगा. शाम को बैडमिंटन, भ्रमण और वापस आकर नन्हा खेलता रहा, अपने कई पुराने खिलौने निकाले उसने. रोज रात को चम्पक पढकर सोता है. कल नए गमलों में माली ने मिटटी भरी और पौधे लगाये. शाम को ‘रुदाली’ फिल्म थी टीवी पर, उसने सोचा शायद जून ने भी देखी हो. आज सुबह उसने एक नई कविता लिखी ‘रात’, जून के आने पर उसे सुनाएगी, नन्हे ने आज उसकी कुछ पुरानी कवितायें सुनीं, पता नहीं वह कितना समझ पाता है. आज गर्म पानी नहीं आया तो जून की बात याद आई कि शाम को गैस तेज कर दिया करे. पिछली बार जब जून गए थे तो नन्हा बहुत उदास हो गया था, पर इस बार ठीक है, अब वह बड़ा हो रहा है, शायद इसीलिए, या उसे शांत देखकर वह ऐसा है और उसे इस बार शायद ज्यादा उदासी इसलिए नहीं हुई कि दस-ग्यारह दिन ही तो बात है, सिर्फ छह रातें और..उसके स्वप्नों के सहारे.

  उसने डायरी में ही जून को एक खत लिखा जो वह जानती है कि भेजेगी नहीं, आज अभी सवा आठ ही हुए हैं, उसका रात्रि भोजन हो चुका है, नन्हा अभी खा रहा है. आज शाम से ही अच्छा नहीं लग रहा, खल रही है उसकी कमी. सुबह से शाम हो गयी, नन्हा और उसने किसी से बात नहीं की, उनके पड़ोसी भी घर में रहे दिन भर, एक बार भी बाहर नहीं निकले. शाम को वह दो-तीन बार नन्हे पर झुंझला भी गयी, पर वह बहुत बहादुर है उससे भी ज्यादा. सुपरमैन बना था, आज वही सेफ्टी पिन्स से टॉवेल लगाकर. शाम को वे घूमने भी गए. माली आज दूसरे दिन भी नहीं आया, सो शाम को पानी दिया बगीचे में. ‘गार्डन टैप’ लगता है जून के आने के बाद हो ठीक होगी, दोपहर को असमिया फिल्म देखी “मयूरी”, आज उसकी जितनी याद आ रही है पिछले पांच दिनों में एक दिन भी नहीं आयी होगी ऐसी याद जो व्याकुल कर  देती है. उसने सोचा वह उसके पिता के घर गए होंगे, अपना नया बनता हुआ मकान देखा होगा, यकीनन अच्छा लगा होगा. समाचारों में सिडनी की आग के बारे में सुना, कितनी भयंकर आग है, संभवतः आस्ट्रेलिया में तो घर भी लकड़ी के होते हैं न अधिकतर.

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