Wednesday, March 6, 2013

ताड़ के पत्ते




विशुद्ध प्रेम कभी रुकता नहीं, घटता नहीं, मिटता नहीं. जो रुकता, घटता और मिटता है वह  विशुद्ध नहीं और वह जानती है कि वह अपनी सखी से विशुद्ध प्रेम करती है, अभी-अभी उसने उससे बात की और जब पता चला कि वह ठीक है तो उसे भी अच्छा लगा, जून ठीक कहते हैं कि वह व्यर्थ ही अपनी कल्पना में दूसरों को परेशान देखकर खुद परेशान होती है. दस बजे हैं, कुछ देर पूर्व ही वर्षा की झड़ी लगकर थमी है, न जाने कहाँ से एकाएक काले बादल छा गए और अब मौसम फिर खुल रहा है. नन्हे की बस आज छूट गयी जून उसे स्कूल छोड़ने गए, इस अनुभव से वह अगर कुछ सीखे तो अच्छा है, सुबह उसे बहुत समय होता है पूरे दो घंटे.. पर मजे-मजे से करता है सब कार्य, धीरे-धीरे.. आज जून की पसंद पर इडली बनाई है उसने बहुत दिनों बाद.

अभी-अभी ‘कल्याण’ में पढ़ा कि दुःख का कारण विवेक का अनादर तथा विश्वास में विकल यानि विश्वास में कमी है. नन्हे का आज कक्षा दो में पहला हिंदी का टेस्ट है. कल उसकी बंगाली सखी कुछ देर के लिए आयी थी, बहुत सुंदर लग रही थी, और उसे भी हेलेन रॉबिंसन की किताब पढकर कुछ लाभ तो हुआ है. उसने समाचारों में सुना, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तीसरी बार फिर गिर गया है, गुवाहाटी से अभी तक रेलें चलनी शुरू नहीं हुई हैं. महाराष्ट्र में भी बाढ़ आ गयी है. बाढ़ की विभीषिका का अनुभव उसने नहीं किया है पर जिनके घर ड़ूब जाते हैं उनका दुःख..  उसने सोचा जिन बातों पर वश नहीं है उन्हें न सोचना ही बेहतर है. कल जून को एक सप्लायर ने सुपारी के दो और डिब्बे दिए...क्या यह मित्रता में दिया उपहार है..फिर उसे लेते हमें थोड़ी भी झिझक क्यों नहीं होती. कितनी सहजता से हम स्वीकार लेते हैं...

मंझले भाई का पत्र आया है. कल माँ-पिताजी का पत्र भी आया, मकान संबंधी कुछ सवाल थे, जून उनसे फोन पर बात करना चाहते थे, आज नहीं हो सकी, कल होगी. आज नन्हा सुबह जल्दी उठ गया, बस आने से काफी पहले तैयार था. सुबह स्कूल जाने से पूर्व उसने याद दिलाया, ताड़ के पत्तों से गुलदस्ता बनाना है, आज दोपहर उसी पर कार्य करेगी, एक पंखा और एक गुलदस्ता, और अभी एक कविता..

उसने सोचा जून ने पिता से फोन पर बात कर ली होगी, अगर वह भूल न गए हों, वह कम ही भूलते हैं, यह काम उसके ही जिम्मे है. नन्हे ने कल फिर ‘मोटू’ कहकर पुकारे जाने की शिकायत की, उस दिन कुछ लिख तो रही थी, उसी को पूरा करेगी पहले. कल पहले दिन ही उसने नया बैज खो दिया, स्कूल से आया तो उदास था. कल शाम के सिरदर्द के लिए कौन जिम्मेदार था शायद पत्तों पर रंग करना या फिर..खैर..खत्म होने का इंतजार करते करते लेटे हुए उसने एक कहानी बुनी, शेखर, शैल और दामिनी की..शेखर को एक का चुनाव करना है. तभी एक परिचित पंजाबी परिवार आ गया मिलने. क्रिकेट मैच के कारण आजकल ट्रांजिस्टर पर देर तक गाने आते है, ‘दुनिया’ फिल्म का गाना आ रहा है- जिंदगी मेरे घर आना ..कितने मधुर भाव हैं इस गीत के..











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