पूरे एक सप्ताह बाद डायरी खोली है, इस
बीच बहुत कुछ हुआ, मंगल को ही पता चला कि स्कूल जाना है, बुध व बृहस्पति दो दिन ही
स्कूल गयी, दिनचर्या इतनी व्यस्त थी कि लिखने का ख्याल भी नहीं आया. शुक्र व शनि
नन्हे के जन्मदिन की तैयारी में निकल गए, इतवार को वह वैसे भी नहीं लिखती, सोम की
सुबह स्टोर की सफाई में, सोचा, बहुत सी वस्तुएं सालों से यूँही रखी हैं, उन्हें
निकाल देना ही ठीक है. और दोपहर खतों के जवाब में बीत गयी. सो अब पूरे आठ दिन बाद
सुबह के दस बजकर पांच मिनट पर खुद से मिलना हुआ है. कल रात बेवजह ही मूड खराब हो गया.
किसी के यहाँ अनचाहा मेहमान बनना एक अजीब सी स्थिति है, वह इसमें कभी अपने को
एडजस्ट नहीं कर पाती. वे जिन के यहाँ गए वे कहीं और जाने के मूड में थे, वे उनका
स्वागत करने की स्थिति में नहीं थे, वहाँ दस मिनट रुकना भी अजीब सा लग रहा था,
लेकिन मन को इस तरह का अभ्यास करना चाहिए कि वह हर परिस्थिति में मजबूत रहे, और
उसे भ्रम भी हो गया था कि अब भीतर द्वेष की भावना नहीं रह गयी है, वह अंदर छुपी
थी, दूर जाना है.. बहुत दूर.
आज दिन गर्म है, कल शाम को
लग रहा था कि वर्षा होने ही वाली है, सुबह भी बादल सूरज से आँख-मिचौनी खेल रहे थे,
लेकिन अब आसमान इतना तप रहा है कि ऊपर देखा भी नहीं जाता, जबकि अभी दस ही बजे हैं.
नन्हा स्कूल गया है, अभी-अभी कल्याण में उसने पढ़ा, ‘जब तक संसार, नाम, देह में मैं
मेरेपन की भावना रहेगी, सच्चा सुख कभी नहीं मिल सकता. जो कुछ प्रारब्ध में है उसे
ज्यों का त्यों स्वीकारने में ही शांति है, अपनी इच्छाओं को लगाम दिए रहकर.’ समाचारों
में सुना प्रधानमंत्री कार्यालय से कई कागजात मंगाए गए थे जेपीसी द्वारा, पता नहीं
यह जांच कहाँ जाकर खत्म होगी.
कल रात वर्षा हुई, तीन
दिनों की भीषण गर्मी के बाद आज मौसम सुहाना है. उसकी एक सखी ने कुछ देर पहले फोन
किया कि क्लब में पुरानी मशीन लेकर नई फ्लोरा मशीन मिल रही है, वह भी चार सौ रूपये
छूट पर. शाम को वह डिटेलस् बताएगी. अगर ऐसा हो तो अच्छा रहेगा, उसे अपनी सिलाई
मशीन को पैर से चलने वाली मशीन बनाने का वैसे भी मन था. कल पिताजी ने घर की जमीन के
पेपर भेज दिए हैं, अब वे घर बनाने के लिए लोन ले सकते हैं. उसे दीदी के पत्र की
प्रतीक्षा है, अगले हफ्ते छोटी बहन को जन्मदिन कार्ड भेजेगी, कुछ लोग भूल जाते हैं
पर उसे सबके जन्मदिन पर कार्ड भेजना सदा याद रहेगा. कल दोपहर Parade के
साथ अच्छी बीती, लिखा है कि “Don’t wait for inspiration if you work it will come
soon.” उसने सोचा वह एक कविता लिखेगी.
कल दोपहर को डॉल बनाने के
बाद Helena Robinson की किताब पढ़ी. काफी प्रेरणा मिली, लेकिन कब तक कायम
रहती है यही देखना है. To be woman is to be beautiful ..उनकी माँ कहा करती थीं. सही
है यह बात बल्कि यह बात सभी के लिए ठीक है. सुबह फिर drawers आदि की सफाई में लगी रही. इस
समय दोपहर के दो बजे हैं कोशिश तो की है आज भी एक हैंगिग फ्लावर पॉट बनाने की,
सूखने पर पता चलेगा. आज जून को मकान के लोन कि पहली किश्त मिल जायेगी. तेज गर्मी
की वजह से वह एसी चलाकर बैठी है, ‘सुकन्या’ धारावाहिक आ रहा है टीवी पर, जून ‘इण्डिया
टुडे’ और अखबार भी दे गए हैं, लेकिन उससे जरूरी है वही कल वाली बात.. यानि नई
कविता..
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