अगस्त की शुरुआत..यानि कल का इतवार
अच्छा रहा, धीमे-धीमे से गूंजती स्वर लहरी सा, शांत धारा पर तैरती नौका सा, सोचा
था शाम को पड़ोसी के यहाँ जायेंगे, पर किसी कारण से गृहस्वामी को कहीं जाना पड़ा. आज
सुबह वे उठे तो तेज धूप थी, नौ बजते-बजते इतनी ठंडी हवा बहने लगी और फिर वर्षा आने
में भी ज्यादा देर नहीं हुई. कल शाम जून के साथ मद्धिम रौशनी में नन्हा और वह
बातें करते रहे, वह अगले महीने सोलह-सत्रह दिनों के लिए बाहर जायेंगे, वे दोनों
अकेले रहेंगे, उस दिन उसकी एक सखी, जो आजकल अकेले रह रही है, कह रही थी, बहुत
मुश्किल होती है शाम व रात गुजारना, वही अनदेखे, अनजाने डर, लेकिन उनसे उन्हें मुक्ति
पानी ही होगी. कल रात स्वप्नों में बीती, दोपहर को दो घंटे सो गयी थी शायद उसी का
परिणाम था, अजीब-अजीब सपने, कुछ दिन पूर्व पाकिस्तान गयी थी सपने में, उसका आकर्षण
खींचता है अपनी ओर, शायद पूर्वजों की जन्मभूमि है इसलिए या इसलिए कि उसका पिछला
जन्म वहीं हुआ होगा.
आज भी मौसम अच्छा है, बदली भरा, सुबह नन्हे को
बस में छोड़ने गयी तो वर्षा काफी तेज हो रही थी. सुबह देर से उठी तो व्यायाम का समय
नहीं मिला, पीछे आंगन में उसने स्किपिंग की, बचपन में सहेलियों के साथ रस्सी कूदना
कितना मजेदार खेल हुआ करता था. रात को बिस्तर पर लेटे कितने विचार आते हैं पर उस
वक्त कागज-कलम पास नहीं होता, और जब पेन हाथ में है तो मन खाली है, अभी ठंडी हवा
का एक हल्का सा झोंका आया, अच्छा लगा जैसे कल की फिल्म में एक गाना. कल की फिल्म ‘बुलंदी’
को देखकर ‘सर’ की याद आ गयी, शिक्षक का असर काफी पड़ता है विद्यार्थियों पर, अगर
शिक्षक वैसा हो जैसा फिल्म में दिखाया गया था, दोनों ही फिल्मों में शिक्षक मृत्यु
से नहीं डरता, और जो मरने से नहीं डरता उसे दुनिया की किस बात से बात से डर लग
सकता है? कल शाम वह अपनी बंगाली सखी के यहाँ गयी, उससे बातें करना अच्छा लगता है.
पड़ोसी के यहाँ एक कुत्ता अजीब सी आवाज निकाल रहा है, उनके यहाँ नई नैनी रहने आयी
है, उसका सात-आठ साल का बेटा एक कुत्ते के साथ ऐसे खेलता है जैसे उसका सगा भाई हो,
उसने जून से उन दोनों की एक फोटो खींचने को कहा है.
कल सुबह क्रोध ने उसके मन पर आक्रमण किया और आज सुबह
भी, कल पानी खोल कर छोड़ देने के कारण
स्वीपर उसका शिकार हुआ और आज नन्हा जो नाश्ता ठीक से न खाने पर उसे बोध दिलाने का
कारण बना. दोनों ही दिन उसे क्रोध का असर भुगतना पड़ा है मन की अस्थिरता के रूप
में, कल लिख नहीं पायी, आज भी प्रयास ही कर रही है. कल विवेकानंद की दूसरी पुस्तक
लायी है, कुछ देर पूर्व पढ़ रही थी, पढ़ने में बहुत अच्छी लगती हैं अच्छी बातें, पर व्यवहार
में लाना...असम्भव तो नहीं पर उसके जैसे अज्ञानी के लिए कठिन अवश्य है. बेवजह ही
क्रोधित हो जाना चाहे कुछ क्षणों के लिए ही क्यों न हो, जून से बहस करना, यह ठीक
तो नहीं और बेजरूरत ही असत्य भाषण करना. कल उसने माली से फिर असत्य कहा कि लॉन
मोअर ठीक होने के लिए वर्कशॉप में गया है. पता नहीं क्यों ?
उन्होंने गुलदाउदी के लिए नए गमले तैयार किये
हैं. उसमें लगाने के लिए कटिंग्स देने की बात उसकी सखी ने कही थी, सुबह से वह चिंता
कर रही थी यह सोचकर कि उससे कैसे मांगे, पर आखिर फोन पर कह ही दिया, उसने कहा, पौध
अभी तैयार हो रही है, दस-बारह दिनों में दे देगी. उसे राहत मिली, अनुभव इतना खराब
नहीं था. आज उसके मन में जून के प्रति प्रेम के साथ कृतज्ञता का भाव उपज रहा है.
ट्रांजिस्टर पर एक मधुर गीत बज रहा है, नन्हे को सुबह का नाश्ता फिर पसंद नहीं
आया, शाम को उसकी पसंद का नाश्ता यानि नूडल्स बनाएगी, उसे याद आया कल शाम वे एक
मित्र के यहाँ गए कैरम खेला बहुत दिनों बाद. उसके हाथ में एक बार कम्पन था, शायद यह उसकी
घबराहट की निशानी है, क्योंकि कभी-कभी यह बिलकुल नहीं होता, पर जब भी होता है उन
दिनों की याद दिला देता है.
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