ईश्वर उसके साथ है, आज वह ठीक है, अब
सोचती है तो लगता है व्यर्थ ही वह अपने को और जून को परेशान कर रही थी. कल रात भी
यही चिंता करते-करते कब सो गयी पता नहीं, नन्हा आज फिर सुबह जल्दी में पूरा नाश्ता
खाकर नहीं गया, शाम को ही उसे पौष्टिक आहार देना होगा. कल माँ-पिता का पत्र आया
था, एक बार फिर पढ़ेगी, कल उदास मनोस्थिति में पढ़ा था, आज उसका रंग ही और होगा. आज
उसने नन्हे से पूछा, उसे एक भाई या बहन चाहिए, हमेशा की तरह उसका जवाब
नहीं में था, जैसे उसका और जून का होता है. उन तीनों के अलावा किसी की गुंजाईश नहीं
उनके छोटे से परिवार में. अब वह जल्दी घर आ जाएँ तो कितना अच्छा हो, वे दोनों
साथ-साथ उदास नहीं थे तो क्या, साथ-साथ खुश तो हो लें.
कल दोपहर जून उसे प्रसन्न
देखकर खुश थे, वह ज्यादा कुछ कहते नहीं हैं, उसे लगता है वह उसके दुःख से उदासीन
हैं, पर वे भी गहराई से महसूस करते तो हैं, ऐसा उसे लगा. कल पड़ोस के बच्चे को
स्कूल में चोट लग गयी, उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा. छुट्टी के एक घंटे के बाद नन्हा भी
घर नहीं पहुंचा तो उसे चिंता होने लगी, जून से भी सम्पर्क नहीं हो पा रहा था. फिर
साढ़े चार बजे वह आया तो मन शांत हुआ, बस आने की वजह से कुछ बच्चे वहीं खेल रहे थे,
यहाँ एक विज्ञान कांफ्रेंस चल रही है, उसी वजह से बस देर से पहुंची. उसने नन्हे के
एक दूसरे मित्र के यहाँ फोन किया, वह भी पहली बस में आ चुका था, उसकी आवाज में चिंता
देखकर मित्र की माँ भी आ गयी.
जून आज जोरहाट गए हैं, लंच
पर नहीं आएंगे, पर उनकी याद आयेगी. मन का भी यह कैसा अजीब रंगीन करिश्मा है कि जब
तक वह पास रहते हैं वह बेवजह ही रुठ जाती है, उन्हें तंग करती है पर जब दूर होते
हैं...कल इतवार था, दूरदर्शन पर उसने एक अच्छी मराठी फिल्म देखी, नन्हा जी.आई.जो.
से खेल रहा था, जून सो गए थे. दीदी की बताई एक फिल्म भी उन्होंने देखी, ‘प्राब्लम
चाइल्ड’ हल्की-फुल्की हास्य फिल्म है. कल व परसों भी वह अपने एक सहकर्मी को कार
चलाना सिखाने गए, मित्रों के काम आते हैं वह, उनमें सभी के सहयोग की बहुत भावना है.
पिता ने नए घर का पता लिखा है, अब छोटे भाई व उन्हें अलग-अलग पतों पर खत लिखने
होंगे. उनके घर के बायीं ओर का घर कई दिनों से खाली पड़ा था, उसमें शामियाना लग रहा
है, अगले हफ्ते कोई शादी है वहाँ.
कल छब्बीस जनवरी थी, आज
वसंत पंचमी है. नन्हे का स्कूल बंद है, आज फिर उसने पेन्सिल से बड़े-बड़े शब्दों में
लिखा है कुछ- “आज सरस्वती पूजा है, इस डायरी में मैंने पहले लिखा है कि यह माँ की
है, पर आज मैं फिर इसमें लिख रहा हूँ,” परसों दोपहर को उसकी बंगाली सखी आयी थी,
शाम तक रही, उसकी बहन के तलाक केस के बारे में सुनकर मन बहुत बेचैन रहा. उन लोगों
के साथ बहुत सारी दुखद बातें घटी हैं, पर वह बहुत साहसी है. उसने बताया कि उसे
लगता है उसे पति वक्त से पहले अपने को प्रौढ़ समझने लगे हैं, जबकि उनका प्रेम विवाह
हुआ था. दीवानावर वह छलकता हुआ प्रेम, वह कशिश उनमें नहीं है, उनकी इस स्थिति के
लिए वह भी किसी हद तक जिम्मेदार हो सकती है, अगर उसे उनसे पहली की सी मुहब्बत
चाहिए तो..
आज सूर्यदेव के दर्शन हो
रहे हैं, सुबह जब दरवाजा खोलने गयी तो कोहरा बहुत घना था, बचपन की एक सुबह का
स्मरण हो आया, जब आकाश में लाल, बाल सूर्य का गोला घने कोहरे में उसके साथ-साथ
चलता प्रतीत हो रहा था. लक्ष्मी छुट्टी पर है, उसने बेटी को जन्म दिया है. कल शाम
वे उसके लिए एक फ्रॉक खरीद कर लाए. उसकी जगह जो महरी आयी है, बहुत धीरे हाथ चलाती
है. नन्हे का एक मित्र सेंट्रल स्कूल से क्रिश्चियन स्कूल में चला गया है. बहुत
दिनों से उसके माता-पिता प्रयास कर रहे थे. कल वह लाइब्रेरी से “पेंटिंग विद वाटर
कलर” नामक एक किताब लायी है.
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