कल खतों के जवाब का दिन था. शाम को उसकी तीन सखियाँ एक
साथ आ गयीं, परसों जो केक बनाया था, उन्हें पसंद आया, आज एक एनिवर्सरी पार्टी में
जाना है, कल रात नूना सोच रही थी कि इस अवसर पर एक कविता लिखेगी लेकिन अब सम्भव
नहीं लगता, समय नहीं है या कहें कि वैसा मूड नहीं है, शायद लिख भी पाए, कोशिश तो
करेगी ही. जून की स्वास्थ्य समस्या अभी ठीक नहीं हुई है, वह आजकल थोड़ा उदासीन से
रहते हैं, या फिर उम्र के साथ यह स्वाभाविक है. कल लाइब्रेरी से लौटते समय हल्की
बूंदाबांदी होने लगी, वे लोग एक परिचित के यहाँ रुक गए. गृहणी का भाषण शुरू हो
गया, वह पता नहीं कैसे इतना बोल लेती हैं.
कल कविता जैसा कुछ लिख
नहीं सकी, पार्टी अच्छी रही, लौटने में काफी देर हो गयी. उनका उपहार शायद उन्हें
पसंद आया हो शायद नहीं, पर फूल तो अवश्य भाए होंगे, फूल जो वह हमेशा ले जाती है ऐसे अवसरों पर, उन्हें
प्रतीक्षा भी रहती है.. कल रात उसे भी अपनी शादी की स्मृतियाँ ताजा हो गयी थीं.
जून भी उसके भावों में सम्मिलित हो गए, वह दिल की बात समझ जाते हैं. नन्हे का
लिखने का आजकल बिलकुल मन नहीं करता है, पर पढ़ने में वह ठीक है. आज वह बहुत देर से
सोकर उठा है, उसकी मर्जी पर छोड़ दिया जाये तो शायद वह दस बजे तक भी न उठे.
कल उसने चंद पंक्तियाँ
लिखकर भिजवा दीं, अभी तक उनका फोन नहीं आया है, शायद वह झिझक रही हों. आज भी मौसम
गर्म है. सुबह देखा गुलाब की पत्तियों में छेद है, जीनिया के पौधों में भी शुरू हो
रहे हैं, शाम को दवा का छिडकाव करेंगे. अगले महीने गुलदाउदी की कटिंग्स भी लगनी
हैं, उसके पत्तों पर भी दवा का छिड़काव जरूरी है. कोलकाता रेलवे स्टेशन से जो
पुस्तक खरीदी थी “किचन गार्डन” उसे भूल ही गयी, आज पढ़ेगी.
नन्हे का परीक्षा परिणाम
अच्छा रहा चार सौ में से तीन सौ तिरानवे अंक मिले हैं और दूसरी पोजीशन है क्लास
में, वह बहुत खुश था कल. शाम को क्लब में ‘दोस्त’ फिल्म देखी, जो जानवरों पर थी,
उसे बहुत पसंद आई, पिछले कुछ दिनों से नूना के दायें हाथ में कुछ अनोखी सी अनुभूति
होती है, डाक्टर को बताना भी मुश्किल है, जून को भी नहीं बताया है अभी तक, कभी-कभी
लगता है कहीं यह उसका वहम न हो, पर टहलते समय कभी-कभी हाथ देर तक जब लटका रहता है,
ऊपर उठाना एक बड़ा काम सा लगता है.
पिछले सप्ताह वे लोग दो
दिनों के लिए तेजपुर गए थे. दो दिनों की भीषण गर्मी के बाद आज मौसम अच्छा हुआ है.
कल रात को वर्षा हुई, आंधी भी आयी होगी क्योंकि सुबह भुट्टे के सभी पेड़ गिरे हुए
थे. पीछे आंगन में व बाहर सभी ओर पत्ते बिखरे हुए हैं. शनिवार को अस्पताल गयी थी, कल
पहला इंजेक्शन लगा, कल से हाथ में वैसा अनुभव नहीं हुआ है, एक बार फिर चिकित्सा
शास्त्र के प्रति मन श्रद्धा से भर गया है. कल “कल्याण” पढ़ा कुछ देर, मन हल्का
होगया, सरे संशयों से दूर..ॐ पूर्ण मदः पूर्ण मिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते,
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्ण मेवावशिष्यते. आज इस समय भी काफी तेज वर्षा हो रही है
झमाझम..उसने सोचा, अच्छे-भले मूड को बिगाड़ना हो तो सोनू को कोई काम दे देना चाहिए,
कई बार कहने पर भी नहीं होता है जब काम, तो खीझ उठती है और कल्याण में पढ़े वे सारे
वाक्य आँखों के सामने आ जाते हैं कि क्रोध आने पर इंसान विवेक शून्य हो जाता है.
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