फिर एक अंतराल, पिछले दिनों कुछ
छोटी-बड़ी समस्याएं मन को घेरे रहीं, पर आज भीतर कुछ प्रकट होने को व्याकुल है,
परमात्मा का अनुभव हर कोई कभी न कभी, किसी न किसी रूप में करता है, वह सदा ही साथ
रहता है और दुःख में भी मार्ग दिखाता है, वही भला करने की प्रेरणा देता है. अप्रैल
का महीना भी आज शुरू हो गया, बचपन में भाई-बहन एक दूसरे को कितना मूर्ख बनाते थे
आज के दिन, पता नहीं कहाँ खो गए बचपन के वे दिन, अब तो उम्र के आधे पड़ाव आ चुके
हैं वे, लेकिन मन तो वही है, अभी भी कितनी रोक लगानी पड़ती है, किस तरह बंधन में
बांध कर वे मन को बड़ा करना चाहते हैं, पर मन है कि अंगुली छुड़ा कर फिर वहीं खड़ा हो
जाता है, नहीं तो रात भर नींद क्यों नहीं आती, क्यों काँप उठता है हर आहट पर मन.
पिछले कई दिनों से रात उसे दुश्मन लगने लगी है, जितना प्रयत्न करती है सोने का उतना
ही नींद दूर भागती है. एक अनजाना, नहीं जाना-पहचाना सा डर समा गया है मन में. अब इतने बड़े होकर डरना तो बचपना ही
हुआ न, नन्हा सो जाता है आराम से, जून भी सो जाते हैं, हालांकि वह उन्हें जगा देती
है कई बार. बस वह ही सोचती रहती है, घूमती है अनिश्चय के अँधेरे में. उसे
भगवद्गीता का पाठ फिर से शुरू कर देना चाहिए. इस डर को मन से बाहर निकालना बेहद
जरूरी है. आज उसने बहुत दिनों बाद चेहरे पर दही-बेसन लगाया. नन्हा स्कूल गया है, उसके
इम्तहान इसी महीने की छह तारीख से शुरू हो रहे हैं. जून अभी आने वाले हैं.
पिछले दिनों या कहें कई
हफ्तों वह लिखने से कतराती रही है, कारण कई हो सकते हैं, लेकिन अब उन कारणों में न
जाकर वह अपने आप से वादा करती है कि नियमित लिखने का प्रयत्न करेगी. उसकी दाहिनी
बाँह की कोहनी में हल्का-हल्का दर्द सा रहता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से इतनी
संवेदनशील हो गयी है कि शरीर की छोटी से छोटी समस्या पर ध्यान जाता है, हर हरकत
पर. जून भी सोते समय कभी-कभी चौंक जाते हैं यह आठ सालों में अभी महसूस करने लगी
है. नन्हे के खर्राटे भी अब ज्यादा साफ सुनाई देते हैं. उसके दिल के पास हल्का सा
दर्द पहले भी कभी कभी होता था पर अब डॉक्टर को दिखाने की जरूरत महसूस होती है.
पहले जिन बातों के बारे में कभी सोचा भी नहीं था अब वे सच न हो जाएँ ऐसा लगता है.
ज्यादा ज्ञान भी खतरनाक सिद्ध हो सकता है. मेडिकल गाइड में पढकर कितनी जानकारी हुई
है उनकी, लेकिन वे सब बातें मस्तिष्क में जैसे रिकार्ड हो गयी हैं. आज नन्हे का
चौथा इम्तहान है, सोमवार को अंतिम होगा, फिर गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो जाएँगी.
छुट्टियों में उसे व्यस्त रखने के लिए ड्राइंग, पेंटिग या संगीत सिखाने के बारे
में वे सोच रहे हैं.
कल इतवार था सो डायरी
लिखने का सवाल ही नहीं था क्योंकि इस डायरी में इतवार के लिए जगह ही नहीं है, वैसे
भी जून घर पर होते हैं, समय नहीं मिलता, शुरू-शरू में वे दोनों रात को एक साथ
बैठकर लिखा करते थे, लेकिन वह कई वर्ष पुराणी बात है, समय कितनी तेजी से गुजर जाता
है पता ही नहीं चलता. आज कई दिनों बाद उसका मन उत्साह से भरा है, कल घर पर कुछ
लोगों को लंच पर बुलाया है. कितना काम करना है, कुशन कवर आदि बदलने हैं. कई बार वह
सोचती है कि घर को खूबसूरत बनाने के लिए और क्या-क्या करना चाहिए. सबसे पहले तो सारे
फर्नीचर पर पेंट करवाना है, फ्रिज भी पुराना लगता है. दीवारों पर लगाने के लिए कुछ
अच्छी तस्वीरें चाहिए और साइड रैक्स, टीवी स्टैंड आदि के लिए अच्छे कवर. कितना
अच्छा लगता है जब घर में इस तरह का कोई आयोजन हो, शाम को बाजार भी करना है. एक मित्र
परिवार से मिलने भी जाना है. सोच रही थी लाइब्रेरी भी जायेगी पर इतना समय नहीं
होगा. अगले दो दिन छुट्टी है, पत्र तभी लिखेगी.
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