Friday, February 15, 2013

साइकिल की सवारी



कल सुबह से लग रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ है, दोपहर को उपवास किया, फिर शाम को टिफिन में उबले आलू खा लिए कि कुछ तो खा लेना चाहिए और खेलने चली गयी, खाली पेट में आलू वात बढ़ाते हैं, यह पता ही नहीं था, गैस सिर पर चढ़ गयी और दर्द से फटने लगा अच्छा भला सिर. घर आकर वमन किया फिर एक घंटा आराम और तब जाकर सब ठीक हुआ. पूरे वक्त जून के साथ नन्हा उसका बहुत ख्याल रख रहा था. उसको हिंदी में पूरे नम्बर मिले हैं, अगले हफ्ते उसे हिंदी में समाचार बोलने हैं स्कूल की असेम्बली में. उन्हें साथ वाले घर में हो रही शादी में जाना था, जल्दी ही लौट आए वे. वहाँ का प्रबंध बहुत अच्छा था, न ज्यादा शोर न भीड़भाड़, दुल्हन बहुत छोटी लग रही थी बहुत सुंदर. कल उसका फैब्रिक पेंटिंग का काम पूर्ण हो गया, आज दोपहर को पहले पत्रिका पढ़ेगी, फिर न्यूजट्रैक का कैसेट देखेगी फिर थर्मोकोल पर काम शुरू करेगी वह. कल शाम जून ने बहुत दिनों के बाद कहा कि वह हरी साड़ी में अच्छी लग रही थी, उन्हें शिकायत थी कि वह सिर्फ कहीं जाने के लिए ही क्यों तैयार होती है, इसका अर्थ हुआ कि वह उसकी पोशाक आदि पर नजर रखते हैं.

“आदमी अगर जिन्दा रहे तो उसे सौ साल बाद भी खुशी मिल सकती है”, अभी-अभी बाल्मीकि रामायण में हनुमान के मिलने पर सीता के मुख से यह वाक्य पढा. यह बिलकुल ठीक है, हम थोड़ी सी परेशानी होने पर जीवन को व्यर्थ मानने लगते हैं लेकिन कहीं न कहीं खुशी होती है, जो हमें मिलने वाली है. जैसे आज वे खुश हैं, कल उसने गाजर का हलवा बनाया, लाल गाजरें यहाँ नहीं मिलती, नारंगी रंग का हलवा कुछ अलग सा लगता है. उन्होंने किचन में पेंट करवाया था, नई नैनी ने सूखने की प्रतीक्षा लिए बिना पानी डाल दिया, सारा पेंट उतर गया पर..अब इसे कुछ कहने से क्या लाभ. नन्हे के स्कूल जाना है, जून ने फोन पर कहा था, उसको क्लास कैप्टन ने कल मारा था, शाम को वह थोड़ा उदास था, पर सुबह बिलकुल ठीक था. फरवरी का आरम्भ हो गया है, आदर्श महीना है, न सर्दी न गर्मी..यानि वसंत का महीना. कल उसकी पड़ोसिन ने गुलाब की एक कटिंग दी, पीला, लाल व नारंगी रंग का मिलाजुला रंग है उसका, माली ने शाम को लगा दी थी, इस मौसम में तो शायद ही खिले लेकिन अगले मौसम में जरूर फूल आयेगा. कल की तरह आज भी उसने साड़ी पहनी है, अच्छा लगता है हल्का-हल्का, खुला-खुला सा. जून को पसंद भी है, और उन्हें क्या पसंद है क्या नहीं इसका तो ख्याल उसे रखना है न...और इससे उसे खुशी मिलती है, और खुशी इंसान की पहली जरूरत है.

आज नैनी जल्दी आ गयी है, खाना भी बन गया है, इसका अर्थ गाड़ी पटरी पर आ रही है, पिछले दिनों ग्यारह बज जाते थे और काम बिखरा रह जाता था. कल वे स्कूल गए थे, नन्हे की क्लास टीचर और साइंस टीचर से मिले. आज सुबह नन्हा बहुत अच्छे मूड में था, खिला- खिला और ताजा सा. टेप रिकार्डर पर ‘मिली’ फिल्म का गाना आ रहा है, छोटे भाई का उपहार उनकी शादी की सालगिरह पर. कल भी परसों की तरह उसने साइकिल चलाई, बहुत अच्छा लगता है हवा को काटते हुए गति से आगे बढ़ना. लगभग दस सालों के बाद वह साइकिल चला रही है. कितना अजीब लगता है सोचकर कि बचपन कितना पीछे छूट गया है. याद करो तो लगता है कल की ही तो बात है. नन्हा कल पिछले या उससे पिछले साल की गर्मियों को याद कर रहा था कि कैसे एक आम के लिए वह गुस्सा कर रही थी, फिर जून और भी नाराज हो गए थे, उसकी याददाश्त बहुत तेज है. उसे कहानी सुनाने की प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार मिला, उदास था कि प्रथम क्यों नहीं मिला.





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