Saturday, August 18, 2012

केले का फूल



वर्षा रानी अपने पूरे साज-सिंगार के साथ आ गयी है. सोनू आज सुबह नींद में सिसकियाँ भर रहा था शायद नींद में कोई बुरा सपना देख रहा था. यह लिखकर वह उसे दूध देगी, अभी तक बोतल से पीता है, अब दादी-बुआ के जाने के बाद ही वे कोशिश करेंगे गिलास से पिलाने की. आज उसका मन शांत है और तन भी स्वस्थ है, कल रात नन्हा जब सो गया टीवी पर एक नाटक देखा ‘पाबंदी’, देखकर मन भर आया. रिटायर होने के बाद मन कितना कोमल होता है, छोटी-छोटी बातें भी चुभ जाती हैं. ३०-४० वर्ष की दिनचर्या अगर एकदम से छूट जाये तो पीड़ा तो होगी ही, कसक भी जो समय के साथ ही घट सकती है.

चार-पांच के लिये नैनी छुट्टी लेकर गयी है. उसका काम सब बाँट कर कर लेते हैं. कल रात को दिल को दहला देने वाली वर्षा हुई. बाहर सड़क, नाले और बच्चों का पार्क सभी पानी से भरे हैं. नन्हा अभी सोया है, उसके पेट पर एक मच्छर ने काट लिया है, उसे बोरोप्लस मिली नहीं, अभी ढूँढ कर लगायेगी. कल उन्होंने गुलजार की ‘इजाजत’ देखी, अच्छी लगी. कल जून ने कुछ तस्वीरें उतारीं, और रील भी बनने को दे दी एक हफ्ते में फोटो बन कर आ जाएँगी. आज बीएड की प्रवेश परीक्षा हो रही होगी और वह यहाँ है, उसका फार्म आखिर जमा नहीं हो पाया था. वैसे भी बीएड की प्रवेश परीक्षा का सूचना पत्र जब से उसे मिला था, उसे लग रहा था काफ़ी तैयारी करनी पड़ेगी, खैर अगले वर्ष सही.

‘नुक्ताचीं है गमेदिल उसको सुनाये न बने’ कल रात मिर्जा ग़ालिब देखकर सोयी थी. वर्षा रिमझिम के तराने गा रही है. कल वे सभी तिनसुकिया गए थे. ननदों व छोटी बहन के लिये वस्त्र खरीदे. बहन का टॉप पार्सल बना कर उसने जून को दिया है पर इतनी बारिश में पता नहीं पोस्ट ऑफिस जा भी पाएंगे या नहीं. कल शाम उसे पत्र लिखते समय उसकी कई बातें याद आ रही थीं. पौने आठ बजे हैं, अभी तक सब सो रहे हैं, जून अब पहले से भी ज्यादा ध्यान रखते हैं उसका और वह.. उसके लिए तो वह धूप, हवा, पानी की तरह हैं हर वक्त सासों में बसे हुए. कल रात बल्कि सुबह उसने स्वप्न में देखा कि उसका अपहरण हो गया है तभी जून ने उसे उठाया.

आज सब जल्दी उठे हैं तो उसे ही देर हो रही है हर काम में. नन्हा भी आज जल्दी उठ गया है. कल शाम क्लब में फिल्म होनी थी पर किन्हीं महिला की मृत्यु हो जाने के कारण स्थगित हो गयी, उनका डिलीवरी केस था, पिछले तीन-चार महीनों में यह चौथी मृत्यु है यहाँ. मौसम आज भी अच्छा है, वातावरण में शीतलता है, नैनी को गए कल आठ दिन हो जायेंगे, पिछली लाइन की बंगाली महिला परेशान हैं वहाँ भी वह काम करती थी, पर उसे कोई दिक्कत नहीं हुई, उसका काम सुचारु रूप से चलता रहा. कल बड़ी ननद का पत्र आया है वह थोड़ी परेशान है, वह एक बार वहाँ जाना चाहती है उसके ससुराल में. टीवी पर ‘ताक धिना दिन ताक’ आ रहा है, नन्हें को बहुत पसंद है यह कार्यक्रम.
कल शाम वे उसकी असमिया मित्र के यहाँ गए, उसने आज इडली खाने के लिये बुलाया पर अभी- अभी कहा कि वह दाल भिगोना ही भूल गयी थी. उनके केले का फूल सब्जी बनाने के लिये कोई मांग कर ले गया था, पर बताया की कड़वा निकला, सारे फूल खाने के काम नहीं आते. मौसम अपने खूबसूरत रंग बिखेर रहा है, तनमन कितना हल्का रहता है, जून अपने साथ है और प्यारा सा सोनू, फिर आजकल समय कैसे बीत जाता है खाली समय का अहसास ही नहीं होता. 

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