Friday, August 24, 2012

पानी में छप छप




कल गणेश पूजा के कारण जून का ऑफिस बंद था, वह घर पर ही थे. नन्हा कल दिन में पानी से खेलता रहा, उसे कितना मना करो पानी में जाना छोड़ता ही नहीं, कितना गर्म था कल मौसम, पर यहाँ के मौसम में ठंड बहुत जल्दी लग जाती है, रात को वह नाक से श्वास नहीं ले पा रहा था, मुँह से श्वास ले रहा था. अभी उसने वाल्मीकि रामायण का पहला सर्ग पढ़ा. आज बादल भी पुनः आ गए हैं, हवा भी बह रही है. पिछले कुछ दिनों से वे रात को भी चावल खाते हैं, यहाँ तो सभी लोग दोनों समय चावल ही खाते हैं, रोटी नाश्ते की वस्तु है. लेकिन रात को चावल खाने का असर तन पर व नींद पर साफ झलक रहा है. कल से ओलम्पिक खेलों की शुरुआत हो रही है. कल विश्वकर्मा पूजा भी है.
उस दिन वह कालोनी में ही एक परिचित महिला द्वारा घर पर चलाए गए ब्यूटीपार्लर में केश कटवाने के लिये गयी थी, उन्हें जुकाम था, एक-दो दिन में उसे भी गले में खराश सी होने लगी. शायद उन्हीं से संक्रमण हुआ हो, पहले हाकी मैच में भारत की हार हो गयी है, आगे क्या होगा आभास होने लगा है.
आज चार-पांच दिनों के बाद उसने डायरी खोली है. वर्षा तेज हो गयी है, पौधों के लिये बहुत अच्छा है, पंजाब, हरियाणा, काश्मीर व उत्तरप्रदेश में भी वर्षा बहुत हो रही है, बाढ़ भी आ गयी है. कैसा अजीब व्यवहार है प्रकृति का, प्रकृति का संतुलन तो मानव ने ही बिगाड़ा है न, भुगतना भी उसे ही होगा. कल दीदी का पत्र मिला और उसने फौरन जवाब भी दे दिया. पिता का पत्र भी आया छोटे भाई का विवाह तय हो गया है, लगता है उसे अकेले ही जाना होगा. मौसम आज भी ठंडा है, नन्हें ने बिस्तर गीला कर दिया है, कपड़े सूखते ही नहीं है, किचन में जो रस्सी लगायी थी वह टूट गयी है. कल शाम जून ने ग्वार की फली की सब्जी बनायी थी. आजकल सुबह टीवी पर साम्बू नामक धारावाहिक शुरू हुआ है, अच्छा है.

अक्तूबर का प्रथम दिन ! आज सुबह नींद बहुत जल्दी खुल गयी थी कौओं की आवाजों से. आज धूप में उसने कारपेट रखे हैं. कल शाम वे जून के दफ्तर गए, कम्प्यूटर पर एक गेम खेला, दूसरे में सोनू परेशान हो गया सो वापस लौट आये. जून सब्जियों के बीज ले आये हैं, माली पहले खाद डालकर क्यारियां बनाएगा. नन्हा अपने में मग्न होकर खेल रहा है बीच बीच में आकर उससे मिल जाता है.
उसे तिथि देखकर याद आया कि आज ही के दिन तीन वर्ष पूर्व जून मोरान गए थे, शाम को उसने फोन क्या उदासी भरा, रात को वह आये, कैसे अनोखे थे वे दिन. शायद पड़ोस के घर से बच्चे के रोने की आवाज आ रही है. उसने झांक कर कमरे में देखा सोनू सुखद नींद में सोया था.
   




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