Monday, August 13, 2012

राजकपूर की तीसरी कसम



कल व परसों दोनों दिन नन्हा जल्दी उठ गया सुबह उनके साथ ही, आज अभी तक सोया है सो उसने डायरी उठाई है, स्नान-ध्यान तो हो गया पर लगता है कल की तरह आज भी नैनी नहीं आयेगी, कल दोपहर वह जब कपड़े व बर्तन धोकर लेटी तो कैसा अजीब सा सुख महसूस हो रहा था, मेहनत करने का सुख. कल सुबह उस उड़िया लड़की की दोनों बहनें व उसकी माँ उनके घर आयीं थीं काफ़ी देर बैठी रहीं, सो सुबह वह ज्यादा कार्य नहीं कर पायी. उन्हें मकई पिसवानी थी व उसकी असमिया मित्र को जीरा व चटनी. शाम को उसकी एक पंजाबी परिचिता मिलने आयी वह तीन-चार महीनों के लए घर जा रही है. उसका बीएड का फार्म अभी तक आया नहीं है. पिछले तीन दिनों से मौसम बेहद गर्म है.
नैनी आज भी नहीं आयी और अब उसके आने की आशा भी नहीं है, वह स्वयं काम कर तो लेती है फिर क्या जरूरत है नौकरानी रखने की. साथ ही व्यायाम भी हो जाता है. इस समय सवा नौ बजे हैं, नन्हा पड़ोस में खेलने गया है. ट्रांजिस्टर पर गाना आ रहा है - भीगा भीगा है समां...कभी वक्त था जब कि इस तरह के गीत सुनकर ख्यालों में जून घूम जाता था पर अब ऐसा नहीं होता. उसने सोचा वह आज से उसका ज्यादा ध्यान रखेगी, प्यार तो मन में होता ही है पर उसका प्रदर्शन नहीं होता, जो उतना ही जरूरी है. कल महान अभिनेता राजकपूर का देहांत हो गया एक महीना कष्ट झेलने के बाद. रात को उनकी फिल्म दिखायी गयी थी, तीसरी कसम, पर यहाँ बिजली ही नहीं थी, पता नहीं कब आयी वे तो सो गए थे.
कल नन्हे के मित्र का जन्मदिन था, बड़ी पार्टी थी, उनके यहाँ एक छोटी लड़की है जो छोटे-मोटे काम कर देती है व बच्चे पर नजर रखती है, वह शायद उसे असमिया सिखा देगी, उसने सोचा. कल जाकर उसे छोटी बहन व देवर के भेजे जन्मदिन के बधाई कार्ड मिले डाक विभाग की मेहरबानी से. बहुत खुशी हुई. इसी तरह उसका फार्म भी कहीं अटका होगा, भर कर भेजने की अंतिम तिथि भी नजदीक आती जा रही है. पता नहीं क्या होगा, इंसान जो कुछ सोचता है वह पूरा तो नहीं हो जाता.फिर बात वहीं आकर अटक जाती है कि जो ईश्वर को मंजूर होगा वही होगा. नन्हा अभी तक सो रहा है उसने सोचा उसके उठने से पहले ही भोजन बना लेगी.








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