लुकिंग इनवर्ड
आज सुबह उसकी नींद तीन बजे खुल गई थी। कुछ देर ध्यान किया, फिर गुरुजी की वाणी सुनी। अनमोल हैं उनके वचन ! सुबह बैंक जाना था, बहुत भीड़ थी, गर्मी भी थी। काफ़ी देर बैठना पड़ा। सड़क पर होते क्रिया कलापों को नूना साक्षी भाव से देखती रही। एक पुलिस वाले ने कितने ही स्कूटर्स व बाइक्स की चाबियाँ निकाल लीं, जो नो पार्किंग में खड़ी की थीं। सड़क पार सामने की दो दुकानों में कुछ मुर्ग़े पिंजरों में खेल रहे थे, अपनी मृत्यु से अनजान। आकाश पर श्वेत बादल हवा के साथ उड़ रहे थे।
आज शाम नूना की पापाजी से फ़ोन पर बात हुई। उन्होंने ‘अष्टावक्र’ की कहानी बतायी। ब्रह्म और ब्रह्मा कैसे अलग हैं यह भी। जो कुछ भी उन्हें दिखायी दे रहा है, वह ब्रह्म का विवर्त है। इंद्रियों के माध्यम से जो अनुभव होता है, वह माया के कारण होता है।मिर्च उन्हें तीखी लगती है, लेकिन तोते को वह तीखी नहीं लगती।जिह्वा में ऐसा कुछ है जिससे स्वाद का अनुभव होता है। जैसे पानी का एक रूप बर्फ है, वैसे ही ब्रह्म का एक रूप जगत है।भावातीत है ब्रह्म, उसमें कोई विचार नहीं है, उसमें कोई भेद नहीं है, वह अद्वैत है। उसका सृष्टि भाव ब्रह्मा है। उसका स्थिति भाव विष्णु है, उसका संहारक भाव शिव है।उड़िया सखी का फ़ोन आया, वह एओएल के अंकुर संस्कार केंद्र की शिक्षिका बन गई है। नूना को जानकर बहुत अच्छा लगा।आज नूना और जून लाल बाग गये थे। बहुत बड़ा है और देखने योग्य है।
आज वे महीनों बाद नन्हे के यहाँ गये। पिछली बार मार्च में गये थे। सोनू के पिताजी आपरेशन के बाद अब ठीक हो रहे हैं। आज से भोजन में ग्रीन टी, ब्राउन राइस व रागी की रोटी को शामिल किया है। शाम को सोमनहल्ली गाँव में टमाटर का एक खेत देखा, जिसमें क्यारी को प्लास्टिक की एक चादर से ढक दिया गया था, ताकि नमी भीतर बनी रहे, शायद इस तरह कीट भी नहीं लगते होंगे। आज स्वामी पूर्णचैतन्य की लिखी पुस्तक ‘लुकिंग इनवर्ड’ अमेजन पर ऑर्डर की है। उसे याद आया, असम में वह उनसे उड़िया सखी के घर पर मिली थी, बाद में वे दोनों उन्हें गोल्फ फ़ील्ड तक घुमाने भी ले गई थीं।स्वामी नीदरलैंड के वासी हैं। उन्होंने संस्कृत में श्लोक व मंत्र जाप करके रुद्र पूजा भी करवायी थी।उनकी पुस्तक अवश्य ही साधकों के लिए लाभप्रद सिद्ध होगी।
अभी कुछ देर पहले वे रात्रि भ्रमण से लौटे हैं, हवा ठंडी थी और पीज़ा वैन अभी तक खड़ी थी। आज शाम की चाय के साथ उन्होंने भी वर्षों बाद पीज़ा खाया। नन्हे ने ऑर्डर कर दिया था। शाम को वे सब मिलकर पास के गाँव तक घूमने गये थे। नन्हा और सोनू साइकिल पर थे। सोनू को घुटने पर थोड़ी सी चोट लग गई, जब वह साइकिल से गिर गई। घर लौटकर बाद में सबने मिलकर एक वृत्त चित्र देखा, जिसमें सोशल मीडिया के बढ़ते हुए प्रभाव के बारे में बताया गया था।यह भी कि किस तरह सोशल मीडिया लोगों की राय बदल देता है।
कुछ देर पहले छोटे भाई का फ़ोन आया। उसने बताया, पापाजी घर की हर वस्तु का ख्याल रखते हैं। यदि कोई वस्तु ख़राब हो जाये तो उसे ठीक करवा के ही छोड़ते हैं। ईश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा को वे जगत के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी में आड़े नहीं आने देते। कर्मशील हैं, तथा ज्ञानी भी। ।जून सुबह घर से निकले थे, शाम को वापस आये। कई काम हो गये। सिट आउट के लिए घास, मुख्य दरवाज़े के बाहर रखने के लिए हरा बड़ा सा डोरमैट। घर में लगाने के लिए वुडेन फ़्लोर का भी पता किया।बैंक तथा डाक्टर के पास भी जाना था। नूना ने सारा समय पढ़ने-लिखने और कुछ सुनने में लगाया। सूफ़ी धर्म पर एक चर्चा सुनी। सभी भाइयों को राखी भी भेज दी। भारत ने हाकी में कांस्य पदक प्राप्त किया है। पहला स्वर्ण पदक भाला फेंकने की प्रतियोगिता में प्राप्त हुआ।
आज इतवार है। सुबह रोज़ से अलग, यानि माली से बगीचे में काम करवाना। गैराज में माली का समान रखने के लिए एक अलमारी भी बन कर आ गई है। नन्हा, उसका एक मित्र, सोनू व उसके माँ-पापा सभी लंच के समय आये। उसके बाद एक बोर्ड गेम खेलते रहे।सोसाइटी में एक छोटा सा मेला लगा था, सब मिलकर वहीं गये, निशाना लगाने का खेल खेला।
आज भारत छोड़ो आंदोलन की ७९वीं जयंती है। आज वे बैंगलुरु का चिड़ियाघर देखने गये। कल शाम नन्हा यहाँ आ गया था। उसने अपने कमरे में बिट कॉइन्स के लिए एक सेटअप किया है। कहा रहा था, बिट कॉइन्स बनाएगा। सुबह नूना पूजा के लिए हरसिंगार के फूल लेने बगीचे में गयी तो देखा, एक खिड़की के शीशे, घर की दीवार, पौधों तत्था घास पर सफ़ेद सीमेंट या चूने के छींटे पड़े हुए थे। पड़ोस वाले घर में अब सीमेंट लगाने का काम शुरू हुआ है, मज़दूर जब दीवार पर सीमेंट फेंकते हैं तो कुछ भाग उनके बगीचे में आ जाता है। मज़दूरों को कहने के बाद नूना ने पड़ोसियों को बुलाकर दिखाया तो उन्होंने दोनों घरों के मध्य तारपोलीन का पर्दा लगवाने को कहा है।
एक ही पोस्ट में बहुत सारी विशेष जानकारी मिल गईं .अच्छा लगा.
ReplyDeleteस्वागत व आभार दीदी!!
Delete