दिवोदास की कथा
आज दिन भर सुखद व्यस्तता बनी रही।सुबह टहलने के बाद उन दोनों ने कुछ देर साइकिल चलायी। हरसिंगार के पेड़ इन दिनों पूरे शबाब पर हैं। कई पेड़ों के नीचे बिछी फूलों की चादर आकर्षित कर रही थी, पुन: फ़ोटोग्राफ़ी करने गये। शनिवार साप्ताहिक सफ़ाई का दिन भी है। जून ने नूना के बालों में रंग भी लगा दिया। थोड़ा बच गया तो लगभग साल भर बाद अपने बालों में भी लगा लिया। शाम को पुन: साइकिल से जाकर एक नया पौधा और एक गमला ख़रीद कर लाये, सीढ़ी के मोड़ पर रखना है। गमलों के नीचे रखने वाली प्लेट्स भी ख़रीदीं।नाश्ते में दोसा और फ़िल्टर काफ़ी, लंच में ब्रोकोली की खिचड़ी। किचन का भार जून ने ही सँभाल लिया है जैसे। कल बच्चों के आने का दिन है, वह इडली के साथ कश्मीरी हलवा बनाने वाले हैं।दोपहर को छोटी बहन का फ़ोन आया, थोड़ी परेशान लग रही थी, काम का दबाव है और स्वास्थ्य भी पूरा ठीक नहीं है। बहनोई की आँख का कल कैट्रैक का ऑपरेशन है। उसे एक अच्छा सा संदेश लिखने का तय किया नूना ने।एक अच्छी नींद बहुत से रोगों का इलाज है।पापाजी से उसकी चार दिन बाद बात हुई, उन्हें आज की कविता अच्छी लगी।जून के भेजे कुकीमैन बिस्किट उन्हें मिल गये हैं। ‘काव्यालय’ पर एक पुरानी कविता पोस्ट की है।
आज का इतवार अच्छा रहा। सुबह लॉन में नई लगी घास पर नये पाइप से पानी डाला, पर शाम से मूसलाधार वर्षा हो रही है।नौ बजे नन्हा और सोनू आ गये थे। भरवाँ इडली व लोभिया भी बनाया था। कश्मीरी हलवा विशेष था। पहली बार मैक पर सभी को व्हाट्सेप कॉल की। दीदी आज बहुत खुश लग रही थीं, वह इंगलिश ग्रामर सीख रही हैं।उन्होंने साइलेंस कोर्स के बारे में भी पूछा। कल मंझले भाई-भाभी से बात हुई। उनकी बिटिया बहन की बिटिया से टोरंटो में मिली। शाम को बादलों से झाँकता सूर्यास्त पल भर को देखा। नन्हा आज ईवी ले गया है, सर्विसिंग करानी है। अगले हफ़्ते उसके जन्मदिन पर पार्टी होगी, मेनू आज ही बन गया।
आज दोपहर कुछ फ़ोटो प्रिंट करके फ़्रेम में लगाये, फिर छत तक जाने वाली सीढ़ी की दीवार पर लगाये। बैंक में अकाउंट खोलने के लिए फार्म भरा। नन्हे ने क्रैब मोबाइल स्टैंड खिड़की पर लगा दिया था, सुबह योगा सेशन की रिकार्डिंग की। आज पहली बार ज्वार का दलिया खाया, अच्छा लगा। एसी का स्विच बदला। बाथरूम का लीकेज अभी ठीक नहीं हुआ। रात के भोजन में मोरिंगा का थेपला बनाया।
सुबह वे उठे तो वर्षा हो रही थी।शायद रात भी होती रही थी। बाद में कुछ देर को थमी तो टहलने गये।बोटेनिका का गेट खुला था, सो उधर ही चले गये। सड़कों पर कई जगह पानी भरा हुआ था। सोमनहल्ली के रास्ते में सुवर्णमुखी नदी में तेज गति से जल बह रहा था। रास्ते में कीचड़ भी था। एक जगह लाल मुसंडा की एक डाल टूट कर गिर गई थी, घर आकर उसकी कटिंग्स लगा दी हैं। दस बजे बैंक जाना था। जून ने कार में पेट्रोल भरवाया, सौ रुपये से अधिक है एक लीटर का दाम। नन्हे से बात हुई, उसने बताया, सुबह सवा आठ बजे वह सीट पर बैठा था और अभी नौ बजे आख़िरी कॉल ख़त्म हुई है। उसने अमेजन और मिन्तरा के बिज़नेस की कुछ बातें बतायीं। सोनू अभी भी फ़ोन पर थी, वह अपने नये काम को रोज़ एक घंटा सीखती है।आज वर्टिकल गार्डन बनाने की ओर पहला कदम बढ़ाया।
आज रात्रि भोजन के बाद वे टहलने निकले तो औरेंज जास्मिन के फूलों की सुवास ने मन मोह लिया पर लौटे तो पड़ोस के निर्माणाधीन मकान से धुँए की गंध आयी जो एसी के द्वारा खींच लिए जाने पर कमरे में भी भर गई है। ‘देवों के देव में’ काशी के राजा रिपुंजय द्वारा वरदान प्राप्त करने के बाद शिव की विदाई का अद्भुत दृश्य दिखाया गया। दिवोदास या रिपुंजय की कथा शिव पुराण में आती है। इनके चरित्र पर एक पुस्तक भी लिखी है राहुल साँस्कृतायन ने। आज कुछ देर गुरुवार के मंत्र का जाप किया। मृत्यु के बारे में एक प्रवचन सुना। शरीर में जीवन प्राणों के द्वारा ही टिका हुआ है। समान, प्राण, अपान, उदान और व्यान पाँच प्राण हैं, जिनके जाने से शरीर में मृत्यु के बाद भी कुछ देर तक जीवन के लक्षण दिखायी देते हैं। हर कोशिका में जीवन है तथा उसमें ज्ञान भी है। जून ने आज सुबह झूले पर टचवुड लगाया, बहुत सुंदर लग रहा है। आजकल वह उत्साह से भरे रहते हैं और नए-नए काम ढूँढा करते हैं। सब्ज़ी का ट्रक आया था और फलवाला घर आकर इमाम पसंद आम दे गया। नन्हे ने दो तरह के सौंफ भेजे हैं, जो पूरा वर्ष चलेंगे।नूना को लगता है, जीवन ऐसे ही छोटे-छोटे पलों से मिलकर बनता है, जिन्हें गौर से देखने पर उस अनाम की छाप हर कहीं दिखायी देती है।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 15 नवम्बर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार यशोदा जी !
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteस्वागत व आभार!
Deleteसुंदर
ReplyDeleteस्वागत व आभार!
Deleteबहुत खूब!!
ReplyDeleteस्वागत व आभार!
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