Tuesday, June 11, 2019

पिटुनिया के फूल



आज बड़े भाई से बात हुई, बुआ व मामी जी से भी. सबको विवाह के लिए निमन्त्रण दिया. फुफेरे भाई ने कहा, वह कार्यक्रम बनाकर बतायेगा. मंझली भाभी से बात की, वह बेटी को लेकर परेशान हैं. आज से मात्र एक महीना शेष है विवाह के दिन में. आज भी वे कार्ड्स बांटने जायेंगे. परसों मुख्य अधिकारी के यहाँ से शुरुआत की. उसके बाद छह घरों में गये. पटवारी, पॉल, फूकन, बनर्जी, एक तमिल परिवार, और शर्मा परिवार में. कल भी पांच मित्रों के यहाँ गये, मराठी, बंगाली, मारवाड़ी, दो असमिया, व ब्राह्मण परिवार में, एक तरह से यहाँ पूरा भारत बसता है. हर प्रदेश के लोग यहाँ रहते हैं. सभी ने दीवाली की मिठाई खिलाई. एक परिवार में उनकी बेटी से मिले जिसने कानून में पढ़ाई पूरी कर ली है और अब एक लॉ कालेज में पढ़ाने जा रही है. सभी के घर सुसज्जित थे. सबसे सुंदर थे दो बंगाली सखियों के घर. उनके घरों की सज्जा देखने लायक थी. सुंदर फर्नीचर तथा सुंदर बगीचे रहने वालों के कलात्मक मिजाज की खबर दे रहे थे. अगले वर्ष उनमें से एक के पति रिटायर हो रहे हैं, तथा दो अन्य के इसी वर्ष. उनके लिए विवाह से लौटने के बाद कुछ लिखेगी.

दस बजने को हैं, आज भोजन पहले ही बना लिया है ताकि आराम से एक घंटा बैठकर लेखन कार्य किया जा सके. कल शाम भी वे कालोनी के दस परिवारों के यहाँ कार्ड्स देने गये. एक का घर बंद था. आज शाम को भी जाना है.

आज बड़े भांजे का जन्मदिन है, इस बार बंगलूरू में उसके साथ रहने का अवसर मिला. मिलनसार है, काम में हाथ बंटता है. सीधा-सरल स्वभाव है उसका. भगवान उसे शक्ति और ज्ञान का वरदान दे ! जून का स्वास्थ्य ठीक नहीं है पर अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण वह किसी समस्या को खुद पर हावी नहीं होने देते हैं. आज शाम को अपने दफ्तर में काम करने वाली एक कर्मचारी को बुलाया है. जो कुछ परेशान है, घर से दूर अकेले रहती है, अपने शहर में तबादला करवाना चाहती है. उसे समझना और समझाना है. कल शाम भी वे कुछ मित्रों के घरों में कार्ड्स देने गये, अच्छा लग रहा है. एकाध दिन और जाना होगा. शाम को बहुत दिनों बाद बेक्ड सब्जी बनाने वाली है. आज से एलोवेरा जूस बनाना भी आरंभ करना है. इस वर्ष आंवले काफी हुए हैं बगीचे में. कुछ महीने चलेंगे.

कल कुछ नहीं लिखा और आज इस समय शाम के पांच बजे हैं, जून गोहाटी गये हैं, परसों लौटेंगे. आजकल उसे न ही फोटोग्राफी का शौक रहा है, न ही व्हाट्स एप पर संदेश भेजने का, न ही लोगों से बात करने का. वैराग्य बढ़ रहा है, सब कुछ व्यर्थ प्रतीत होता है. आज सुबह जून की बात का जवाब भी ठीक से नहीं दिया. माली को भी उसकी गलती के लिए सुनाया. हर बार वह वही गलती करता है. कल रात भी नींद ठीक नहीं आई, परसों भी. शायद देर तक जगने के कारण ही, समय से सो जाना ही उचित है. नींद पूरी न होने पर ऐसे लक्षण होने स्वाभाविक हैं. आज दोपहर को बारह-तेरह बच्चे ही आये. कल स्कूल जाना है और नर्सरी भी, जहाँ से फूलों की पौध लानी है. 

तीन बजने को हैं, यानि योग कक्षा का समय. अभी-अभी वर्षा शुरू हो गयी है. महिलाओं की संख्या कम हो सकती है. आज नर्सरी गयी थी. छह गमले खरीदे और कैलेंडुला, पिटुनिया, डहेलिया, सिल्विया और इंका की पौध. सर्दियों में फूलों से भर जायेगा बगीचा..अभी तक तो बरसात का मौसम ही चल रहा है. मृणाल ज्योति से फोन आया, बौद्धिक अक्षमता पर योग, संगीत या व्यायाम का कितना और क्या असर पड़ता है, इस पर कुछ लिखने को कहा है. उसने इसके बारे में नेट पर पढ़ा. दुनिया में बहुत जगह लोग ऐसे व्यक्तियों और बच्चों को योग सिखा रहे हैं. कल शाम को 'सीता' पुस्तक से प्रेरित होकर नन्हे और सोनू के लिए कविता लिखनी आरंभ की है. आज उसे आगे बढ़ाना है.  


5 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक चर्चा मंच पर चर्चा - 3365 दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  2. बहुत बहुत आभार !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (14-06-2019) को "काला अक्षर भैंस बराबर" (चर्चा अंक- 3366) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. बहुत बहुत आभार !

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  5. अति सुंदर लेख

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