Tuesday, June 25, 2019

नया कैलेंडर



आज जून ने यह डायरी भेजी है. इस बार की कम्पनी की डायरी पहले मिल गयी थी, सलेटी रंग की, सुंदर है, पर लिखने का स्थान कम था, एक ही पेज में दो तिथियाँ. अब एक वर्ष बाद अंतिम डायरी मिलेगी कम्पनी की. अगले वर्ष अगस्त में उन्हें विदाई दे दी जाएगी. असम में अब दो वर्ष से भी कम समय रह गया है. इस समय का सदुपयोग करना है, सेवा, सत्संग और साधना के द्वारा. रात्रि के पौने आठ बजे हैं. जनवरी का महीना वैसे ही इतना ठंडा होता है, ऊपर से झीनी-झीनी वर्षा भी हो रही है. सुबह से ही बादल बने थे. दोपहर को बूंदा बांदी हुई, जब सर्वेंट लाइन की महिलाओं को योग सिखा रही थी. एक ने कहा, उनकी माँ ने भी कभी इस तरह नहीं समझाया जैसे वह उन्हें लड़ाई-झगड़े से दूर रहने के लिए कहती है. उसने सोचा, माँ को भी किसी ने नहीं समझाया होगा शायद. सुबह सेक्रेटरी ने उसका नाम क्लब के प्रोजेक्ट स्कूल की कमेटी में सम्मिलित कर दिया. प्रेसिडेंट ने दस बजे मीटिंग के लिए बुलाया, पर स्वयं सवा दस बजे आयीं. भारतीय समय में इतनी देरी को सामान्य मान लिया जाता है, पर उस कारण वापसी में देर हुई. दोपहर को एक वरिष्ठ सदस्या के यहाँ जाना था, उनकी बहन का दामाद अमेरिकी अन्तरिक्ष यात्री है, जो परिवार सहित असम आया हुआ है. डेढ़ घंटा वहाँ बिताया. वर्षों पूर्व जब वे नासा गये थे, उनके घर भी गये थे, उसने ही उन्हें घुमाया था. शाम को गायत्री समूह की महिलाओं के साथ नियमित योग की साधना, यानि सारा दिन कैसे गुजर गया पता ही नहीं चला. झींगुर की आवाज आ रही है और कमरे में इतना सन्नाटा है कि घड़ी की टिक-टिक भी स्पष्ट सुनाई दे रही है. पिताजी ने आज स्मार्ट फोन छोटी भाभी को वापस कर दिया है. कुछ दिनों तक व्हाट्स एप पर संदेशों का आदान-प्रदान करने के बाद अब वह उससे विरक्त हो गये हैं, उनका स्वास्थ्य अब ठीक है. टीवी पर तेनाली रामा धारावाहिक आ रहा है, जो रोचक और मनोरंजक भी है.

रात्रि के नौ बजने वाले हैं, यानि सोने से पूर्व आज के दिन की अंतिम घड़ी. जून ने शाम को गाजर का हलवा बनाया है. कल उनके एक मित्र आ रहे हैं गोहाटी से, उन्हें खाने पर बुलाया है. वैसे भी उनके विवाह की वर्षगांठ आने वाली है. दोपहर बाद को ओपरेटिव स्टोर गयी, बीहू के लिए पीठा आदि लिया, सर्दियों के मौसम में तिल खाने की सलाह दी ही जाती है. मन्दिर की साज-सज्जा बदली, ध्यान कक्ष में भी नया कैलेंडर लगाया व नई मूर्तियाँ भी, नये वर्ष का फेर-बदल अभी चल रहा है. आज वर्षा नहीं हुई. आज योग कक्षा में एक साधिका की भांजी भी आई थी, जो बिहार योग स्कूल से योग सीख चुकी है. उसने शिथलीकरण सिखाया और नाड़ी शोधन प्राणायाम भी.

इस समय दोपहर के तीन बजे हैं. वह रात के भोजन की तैयारी कर चुकी है. उनके पूर्व सहकर्मी आयेंगे ऐसा जून ने कहा था पर अब ज्ञात हुआ वह किसी अन्य जगह निमंत्रित हैं. कल दोपहर भी जून का लंच बाहर है, उनके दफ्तर के चार अधिकारी परीक्षा के बाद स्थायी हुए हैं, वे मिलकर पार्टी का आयोजन कर रहे हैं. अब यह भोजन कल रात्रि को खाया जायेगा. कुछ बना हुआ कुछ बनने के लिए तैयार. फ्रिज में रखा हुआ भोजन तो लोग तीन-चार दिन तक भी खाते ही हैं. आज सुबह क्लब गयी, एक स्थानीय क्लब ने उनके क्लब द्वारा चलाई जा रही सिलाई कक्षा के लिए सात सिलाई मशीनें दी हैं, जो उनके यहाँ वर्षों से रखी हुई थीं. कल मृणाल ज्योति में भी मीटिंग है. सुबह एक सखी को पहली बार अपने पति के साथ टहलते देखकर अच्छा लगा, वह वर्षों तक अकेले ही टहलने जाती रही है. उसके लिए उसने मन ही मन शुभकामनायें भेजीं. परमात्मा ही हर आत्मा के द्वारा प्रकट हो रहा है. उन्हें उसके प्रकट होने में बाधक नहीं बनना है. किसी भी तरह की आसक्ति, मोह तथा अहंकार से मुक्त होकर मन को पारदर्शी बनाना है, तभी परमात्मा की ज्योति मन में झलकेगी. वे अकेले ही इस जगत में आते हैं और अकेले ही यहाँ से जाने वाले हैं. मित्रता का भ्रम यदि टूटता है तो वह इसी सत्य की ओर इशारा करता है.

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-06-2019) को "बादल करते शोर" (चर्चा अंक- 3377) पर भी होगी।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. बहुत बहुत आभार !

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  2. "परमात्मा ही हर आत्मा के द्वारा प्रकट हो रहा है."
    सत्य।सुंदर।

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    1. स्वागत व आभार अनुपमा जी, आपको इस ब्लॉग पर देखकर ख़ुशी हो रही है, परमात्मा के पथ की आप भी तो राही हैं..

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