दो दिनों का अन्तराल ! परसों
लक्ष्मी पूजा का अवकाश था, वे सुबह-सुबह फोटोग्राफी के लिए निकट के एक गाँव में
गये. जून ने कमल के फूलों के सुंदर चित्र लिए. आज शनिवार है. सुबह टाइनी टॉटस की
मीटिंग में शामिल हुई, शाम को क्लब में मीटिंग है. प्रेसिडेंट बहुत अच्छा बोलती
हैं, पर कुछ अधिक ही. वह निरंतर काम में व्यस्त रहती हैं, ऊर्जावान हैं. दोपहर को
प्रेस जाना है. मृणाल ज्योति से फोन आया, 'विश्व विकलांग दिवस' के लिए पेपर कार्ड
या बुक मार्क बनाने के लिए सुझाव माँगा है. एक परिचिता की माँ अस्पताल में दाखिल
हैं, एक के पति की ओपन हार्ट सर्जरी हुई है दिल्ली में. जून को यात्रा से लौटने के बाद से सर्दी लगी है
व गले में खराश है. उसे भी आज पाचक लेना पड़ा है. कल लोभ के कारण खान-पान में परहेज नहीं रखा. मिठाई खाई, स्कूल में
प्रसाद भी लिया और लाल चाय. क्लब में भी औपचारिकता वश कुछ खाना पड़ा. शरीर किसी का
भी हो बद परहेजी उसे जरा भी नहीं भाती. नैनी आज अपनी बेटियों के स्कूल की मीटिंग
में गयी. सरकारी स्कूल में पढ़ाई को लेकर माता-पिता व शिक्षक पहले से सजग हुए हैं.
मोदी सरकार की पहल से कई सुधार देश में हो रहे हैं.
आज सुबह तैरने गयी. कोच ने
आज दोनों हाथों को लगातार चलाने के लिए कहा. तैरना अपने आप में एक सुखद अनुभव है.
नाक से पानी आ रहा है, पर कुछ देर में अपने आप ठीक हो जायेगा. वापस आई तो जून ने
उपमा लगभग बना ही लिया था. आज बगीचे में गोबर की खाद डलवाने का दिन था. ड्राइवर
अपनी बड़ी गाडी लेकर आया था. दोनों माली अन्य दो मजदूरों को लेकर सुबह से शाम तक
चार बार में पूरे वर्ष के लिए गोबर ले आये हैं. मृणाल ज्योति के एक कर्मचारी के
द्वारा एक दुखद समाचार मिला, स्कूल के एक अध्यापक ने आत्महत्या कर ली है, जो कई
दिनों से अस्वस्थ था और छुट्टी पर था. उस क्षण उसका यह वाक्य जैसे असत्य प्रतीत
हुआ. मन उसे स्वीकारने को तैयार नहीं था. पर खबर देने वाले ने कहा, मृतक की भाभी
ने उन्हें यह सूचना दी है. उसने भाभी का नम्बर लिया, बात की. उसने कहा, सुबह वे
उठे तो अध्यापक बिस्तर पर नहीं था. आज उसके भाई उसे लेकर स्कूल आने वाले थे. उसे
ढूँढ़ते हुए वे गाय बाँधने के स्थान पर गये तो वह मृत अवस्था में मिला. पुलिस आयी, शव को पोस्टमार्टम
के लिये ले जाया गया है. पिछले कई महीनों से वह अस्वस्थ था. पहले उसकी आँख में कुछ
समस्या हुई थी फिर मोटरसाईकिल से गिर जाने के कारण हाथ की हड्डी टूट गयी, यहाँ इलाज
भी ठीक से नहीं हुआ. पटना जाकर दुबारा ऑपरेशन हुआ, शायद वह भी ठीक से नहीं हो पाया
हो. दुखी होकर उसने अपनी जान ही लेली. स्कूल की सभी अध्यापिकाएं और अध्यापक दुखी
हैं और शायद वे भी यही सोच रहे होंगे की काश समय रहते बात कर लेते और उसका दुःख
बाँट लेते. उसने लगभग एक वर्ष पूर्व अपनी समस्याओं से उसे अवगत कराया था. उसके बाद
ही सभी अध्यापकों के लिए एक कार्यक्रम भी हुआ था, वह खुश था. ऐसा उसने जाहिर भी
किया था. पर वह शायद स्कूल में अलग-थलग पड़ गया था. स्कूल में हो रहे बदलावों को भी
स्वीकार नहीं पाया था. जो भी हुआ हो पर अब वह उनके मध्य नहीं है. उसने प्रार्थना
की, वह जहाँ भी रहे, परमात्मा उसे शांति प्रदान करें.
आज भी धूप तेज है. मृणाल ज्योति से फोन आया, एक
अध्यापिका दो सौ दीये बिक्री के लिए उनके घर रखवाना चाहती है, उसने 'हाँ' कह दी
है. दीपावली तक अथवा तो उसके पूर्व ही बिक जायेंगे. कोई आये या जाये, संसार अपनी
गति से चलता रहता है. दोपहर को बड़ी ननद का फोन आया. उसकी बड़ी बिटिया को ससुराल में
कुछ समस्या हो गयी है. बात बढ़ गयी है. वह कह रही थी, नन्हा उसे जाकर ले आये. जून
ने मना कर दिया पर बाद में पता चला नन्हा और सोनू दोनों उसे लेने गये थे. उनसे ही
बात की, वे लोग घर पहुँच गये थे. भांजी के जीवन में जो भी उलझन है शायद अब उसका
कोई हल निकल आये. अब व्हाट्स एप पर संदेश भेजने का मन नहीं होता. इतने सारे ग्रुप
हो गये हैं और इतना समय भी व्यर्थ ही जाता है. कल जून ने विवाह के कार्ड्स पर पते
के लेबल चिपकाये. अभी कुछ दिनों तक यह कार्य चलेगा. बंगलूरू से वापस आने पर वे
कार्ड्स वितरण का कार्य आरंभ करेंगे.
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/06/2019 की बुलेटिन, " गिरीश कर्नाड साहब को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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